नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट को मंगलवार को बताया गया कि दिवंगत एआई इंजीनियर अतुल सुभाष का चार साल का बेटा हरियाणा के फरीदाबाद में एक बोर्डिंग स्कूल में है. सुभाष ने दिसंबर में आत्महत्या कर ली थी और अपनी पत्नी निकिता सिंघानिया और उसके परिवार पर झूठे मामले दर्ज करके प्रताड़ित करने का आरोप लगाया था.
शीर्ष अदालत ने कहा कि बच्चा अपनी दादी के लिए बिल्कुल अजनबी है. उसकी मांग निकिता सिंघानिया अभी दोषी साबित नहीं हुई है और मामले का फैसला मीडिया ट्रायल के आधार पर नहीं किया जा सकता.
निकिता के वकील ने जस्टिस बीवी नागरत्ना की अध्यक्षता वाली पीठ को बताया कि बच्चा हरियाणा के फरीदाबाद में एक बोर्डिंग स्कूल में था. वकील ने कहा कि बच्चे को बेंगलुरु ले जाया जाएगा, जहां वह अपनी मां के साथ रह सकता है. निकिता, उसकी मां निशा और उसका भाई अनुराग आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले का सामना कर रहे हैं और फिलहाल जमानत पर हैं.
सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को सुनवाई के दौरान निकिता के वकील ने कहा कि जमानत की शर्तों को पूरा करने के लिए मां को बेंगलुरु में रहना होगा. परिवार ने बच्चे को बोर्डिंग स्कूल से निकाल लिया है और वे उसे बेंगलुरु ले जाएंगे. इस पर पीठ ने कहा कि अगली सुनवाई पर बच्चे को अदालत में पेश किया जाना चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट अतुल की मां अंजू देवी की याचिका पर सुनवाई कर रहा है, जिसमें उन्होंने अपने पोते की कस्टडी मांग की है. अंजू देवी के वकील ने तर्क दिया कि उनकी मुवक्किल बच्चे की दादी हैं और उन्हें बच्चे की कस्टडी दी जानी चाहिए. उन्होंने जोर देकर कहा कि बच्चा केवल चार साल का है और उसे बोर्डिंग स्कूल में नहीं भेजा जाना चाहिए.
निकिता के वकील ने कहा कि बच्चे का दाखिला फरीदाबाद के बोर्डिंग स्कूल में हुआ था और वह अपनी मां की गिरफ्तारी के दौरान वहीं था.
दलीलें सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने जोर देकर कहा कि निकिता को अभी दोषी साबित किया जाना है और मामले का फैसला 'मीडिया ट्रायल' के आधार पर नहीं किया जा सकता.
पीठ ने कहा कि बच्चे ने अपनी दादी के साथ ज्यादा समय नहीं बिताया है. पीठ ने कहा, "माफ कीजिए, लेकिन बच्चा याचिकाकर्ता के लिए अजनबी है."
सुभाष की मां के वकील ने कहा कि उनके पास अंजू देवी के साथ बच्चे की बातचीत की तस्वीरें हैं, जब वह दो साल का था.
अंजू देवी को पोते से मिलने के संबंध में अंतरिम राहत नहीं
हालांकि, पीठ ने अंजू देवी को अपने पोते से मिलने के संबंध में अंतरिम राहत नहीं दी. शीर्ष अदालत ने कहा कि बच्चे की हिरासत के मुद्दे को उचित अदालत में उठाया जाना चाहिए, जहां मुकदमा चल रहा है. पीठ ने बच्चे की हिरासत के संबंध में हरियाणा सरकार और बच्चे की मां से हलफनामा मांगा और मामले की अगली सुनवाई 20 जनवरी को तय की.
सुभाष की मां अंजू देवी ने अधिवक्ता कुमार दुष्यंत सिंह के माध्यम से अपने पोते की हिरासत सुरक्षित करने के लिए बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की है. उन्होंने याचिका में तर्क दिया कि वह प्रतिवादी पुलिस अधिकारियों को बंदी प्रत्यक्षीकरण के रूप में एक रिट जारी करने की मांग कर रही हैं, ताकि उनके 4 साल और 9 महीने के पोते को उसकी मां निकिता सिंघानिया की अवैध हिरासत से खोज कर पेश किया जा सके.
याचिका में कहा गया है कि याचिकाकर्ता के पोते को उसकी मां ने जानबूझकर उसके जैविक पिता की पहुंच से दूर रखा ताकि उसे गंभीर मानसिक पीड़ा हो. याचिका में यह भी कहा गया है कि अतुल को अपनी पत्नी के हाथों गंभीर मानसिक उत्पीड़न और क्रूरता का सामना करना पड़ा.
यह भी पढ़ें- मुंबई की तर्ज नया शहर बनाने की योजना, CM फडणवीस ने किया परियोजना का खुलासा