पूर्णिया:बिहार के पूर्णिया में किसान अब विदेशी सब्जियों की खेती कर न सिर्फ भरपूर आमदनी कमा रहे हैं, बल्कि आत्मनिर्भर भी हो रहे हैं. नई खेती और नए-नए प्रयोग से कम समय में ज्यादा मुनाफा कमा रहे हैं. पूर्णिया के युवा किसान शशि भूषण अपने खेतों में स्वीट क्वास यानी जुकिनी सब्जी की खेती कर रहे हैं. जुकिनी में भरपूर न्यूट्रिशन पाया जाता है. यह जवां बनाए रखने में भी मदद करती है.
पूर्णिया में जुकिनी की खेती:पूर्णिया के युवा किसान शशि भूषण जिन्हें अलग-अलग वैरायटी के सब्जी अपने खेतों में लगाने का शौक है. उन्होंने एक विदेशी सब्जी जिसका नाम जुकिनी है उसे लगाया. शुरू में उन्हें बेचने मे काफी दिक्कत हुई. मगर जो भी व्यक्ति एक बार जुकिनी सब्जी का स्वाद लिए वह उनके पास बराबर आते दिखे. इसके बाद शशि भूषण ने इस सब्जी की पैदावार बढ़ाने शुरू कर दी.
लखनऊ से बीज लाकर की खेती:किसान शशि भूषण सिंह कहते हैं उन्होंने कृषि विज्ञान केंद्र जलालगढ़ से जाकर जानकारी ली और बाजार के संपर्क दुकानों से विदेशी सब्जी का बीज यूपी के लखनऊ से मंगवाया. किसान कहते हैं कि फिलहाल पूर्णिया जिला के इकलौता किसान वो खुद हैं जिन्होंने विदेशी सब्जी की खेती की हैं. उन्होंने अपने अथक प्रयास से इस बार विदेशी सब्जी को वृहद रूप से पूर्णिया की धरती पर उगाने का प्रयास किया है.
बाजार में 100 से 200 रुपये किलो: शशि भूषण बताते हैं कि इसकी कीमत बाजार में 100 से 200 रुपए तक है. शुरुआत में बाजार में 40 से 50 रुपए कीमत पर इस सब्जी को बेचनी पड़ी. मगर अब उसी सब्जी को 100 से 200 रुपए की कीमत पर बंगाल एवं झारखंड में सप्लाई कर रहे हैं. साल में 4 से 5 बार इस सब्जी को लगाया जा सकता है.
महीने के दो लाख की हो रही कमाई:उन्होंने कहा कि महीने में इस सब्जी को बेचकर एक से 2 लाख रुपए की कमाई कर रहे हैं. इस सब्जी को लगाने में एक कट्टा में 2 से 3 हजार रुपए की लागत लगती है और उसे बाजार में बेचने में लगभग 8 से 10 हजार रुपए कीमत मिलती है. बताया जाता है की जुकिनी खाने से हार्ट की बीमारी कैंसर की बीमारी एवं डायबिटीज की बीमारी में फायदा करता है.
विदेशी सब्जी की खेती पूर्णिया में:उनके खेत में जुकिनी सब्जी लेने आए मोहम्मद निजामुद्दी बताते हैं की यह सब्जी का पैदावार विदेश में हुआ करता था. इस सब्जी का पैदावार पूर्णिया से छोटे शहर में युवा किसान कर रहे हैं यह बहुत बड़ी उपलब्धि है. आज इनकी सब्जी पूर्णिया के सीमांचल के साथ-साथ बिहार बंगाल एवं झारखंड में यहां से भेजी जाती है