भुवनेश्वर: मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जन्मस्थली कटक के ऐतिहासिक शहर में बाराबती किले में 25 जनवरी तक चलने वाले पराक्रम दिवस का उद्घाटन किया. दौरान नेताजी के योगदान को याद करते हुए माझी ने कहा कि महान स्वतंत्रता सेनानी को प्रतिष्ठित भारतीय सिविल सेवा के लिए चुना गया था, लेकिन उन्होंने इसमें शामिल नहीं होने का फैसला किया और अपने पिता की इच्छा के खिलाफ भारत की स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करने के लिए एक आरामदायक जीवन को त्यागने का फैसला किया.
माझी ने कहा, "नेताजी ने 1921 में मुंबई में महात्मा गांधी से मुलाकात की और बाकी जैसा कि वे कहते हैं, इतिहास है. नेताजी स्वामी विवेकानंद और अरबिंदो घोष जैसे लोगों से प्रभावित थे." उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी के नेतृत्व में स्वतंत्रता संग्राम ने सभी क्षेत्रों के लोगों को एकजुट किया.
नेताजी महात्मा गांधी से अलग राय रखते थे और उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन के लिए एक अलग रास्ता चुना.नेताजी का मानना था कि अंग्रेजों पर दबाव डालना जरूरी है और इसी पर विश्वास करते हुए उन्होंने आजाद हिंद फौज का गठन किया.
Today, on Parakram Diwas, I pay homage to Netaji Subhas Chandra Bose. His contribution to India’s freedom movement is unparalleled. He epitomised courage and grit. His vision continues to motivate us as we work towards building the India he envisioned. pic.twitter.com/HrXmyrgHvH
— Narendra Modi (@narendramodi) January 23, 2025
पराक्रम दिवस समारोह की शुरुआत
बता दें कि बाराबती किले में पराक्रम दिवस समारोह की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वीडियो मैसेज के साथ हुई और इसमें नेताजी के जीवन पर केंद्रित एक पुस्तक, फोटो और अभिलेखीय प्रदर्शनी लगाई गई, जिसमें दुर्लभ तस्वीरें, पत्र और दस्तावेजों के साथ-साथ उनकी उल्लेखनीय यात्रा को दर्शाने वाला एक एआर/वीआर डिस्प्ले भी दिखाया गया.
पीएम मोदी ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस को श्रद्धांजलि दी
प्रधानमंत्री ने अपने एक्स हैंडल पर कहा, "आज पराक्रम दिवस पर, मैं नेताजी सुभाष चंद्र बोस को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं. भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में उनका योगदान अद्वितीय है. उन्होंने साहस और धैर्य की प्रतिमूर्ति के रूप में कार्य किया. उनका दृष्टिकोण हमें प्रेरित करता रहता है, क्योंकि हम उनके द्वारा देखे गए भारत के निर्माण की दिशा में काम कर रहे हैं."
इस बीच नेताजी को 'राष्ट्र का पुत्र' और आजाद हिंद स्थापना दिवस को 'राष्ट्रीय दिवस' घोषित करने के लिए उड़ीसा हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है. कटक के एक सामाजिक कार्यकर्ता पी नकापानी मोहंती द्वारा दायर मामले की सुनवाई करते हुए अदालत ने केंद्र और राज्य दोनों सरकारों को अपना जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है.
अदालत ने हलफनामे के माध्यम से जवाब प्रस्तुत करने का आदेश दिया है. कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति अरिंदम सिन्हा और न्यायमूर्ति मृगाकन शेखर साहू की खंडपीठ ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 12 फरवरी की तारीख तय की.