रांची:झारखंड के कई बड़े संगठित आपराधिक गिरोह दाउद इब्राहिम की तर्ज पर वारदात को अंजाम दे रहे हैं. ऐसे में पुलिस के लिए इन्हें पकड़ना मुश्किल हो रहा है. हालांकि झारखंड डीजीपी ने इनपर लगाम लगाने के लिए विशेष प्लानिंग की है.
टेक्निकली स्ट्रांग हुए गैंग्स
एक जमाना हुआ करता था जब कोई भी अपराधी अगर फोन के जरिए धमकी या फिर रंगदारी मांगने के लिए कॉल किया करता था, तो वह तुरंत धर दबोचा जाता था. क्योंकि वह लोकल सिम कार्ड का प्रयोग किया करता था. लेकिन अब झारखंड जैसे राज्य में बड़े अपराधियों की पहुंच इंटरनेशनल स्तर तक हो गई है, जिसका वे भरपूर फायदा उठा रहे हैं. इंटरनेट की दुनिया का तेजी से हुआ विकास हुआ तो अपराधियों ने भी इसका फायदा उठाया. हालांकि पुलिस की चुनौतियां बढ़ गईं. झारखंड में शायद ही कोई ऐसा शहर है जहां बड़े गैंगस्टर के नाम पर रंगदारी नहीं मांगी जा रही है. झारखंड के कुछ गैंग्स इतने स्ट्रांग हो गए हैं कि वे लोग इंटरनेशनल सिम कार्ड का प्रयोग कर रहे हैं. इंटरनेशनल सिम कार्ड का प्रयोग अपराधी रंगदारी मांगने के लिए कर रहे हैं. ऐसे कॉल को ट्रेस करना मुश्किल होता है, नतीजा रंगदारी वाले कॉल्स पर लगाम लगाना बेहद मुश्किल होता है. ऐसे में पुलिस के सामने इंटरनेशनल कॉल एक बड़ी चुनौती है.
खौफ में धनबाद जैसे शहर
पुलिस के आंकड़े बताते हैं कि झारखंड के लातेहार, रांची, हजारीबाग, रामगढ़, पलामू, बोकारो, चतरा जैसे शहरों में रंगदारी के मामले लगातार सामने आ रहे हैं, लेकिन देश की कोयला राजधानी कहे जाने वाले धनबाद का सबसे बुरा हाल है. गैंग्स ऑफ वासेपुर से जुड़े अपराधियों ने यहां रंगदारी को लेकर आतंक मचा रखा है. खौफ के मारे धनबाद के कारोबारी कभी सीएम तो कभी डीजीपी से मिलकर सुरक्षा मांगते रहते हैं. तीन सप्ताह पहले जब झारखंड विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया गया था तब धनबाद के एक दर्जन डॉक्टर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मिलने पहुंचे थे और कुख्यात अपराधी प्रिंस खान से सुरक्षा की गुहार लगाई थी. धनबाद में आधा दर्जन से अधिक आपराधिक गैंग्स एक्टिव हैं जो बिना रंगदारी मिले कोई भी काम नहीं होने देते.
प्रिंस खान दुबई से कर रहा ऑपरेट
कुख्यात प्रिंस खान रहने वाला धनबाद का है लेकिन वह पिछले दो वर्षों से दुबई में बैठकर अपने गैंग का संचालन कर रहा है. इंटरनेशनल कॉल के जरिये वह धनबाद के कारोबारियों को दुबई से ही धमकाते रहता है. प्रिंस खान के ऊपर रेड कॉर्नर नोटिस जारी हो चुका है लेकिन अब तक वह इंटरपोल की गिरफ्त से भी दूर है.
दो तरह से हो रहा इंटरनेशनल सिम कार्ड का प्रयोग
जानकार बताते हैं कि बड़े गिरोह की अपराधी विदेश से जुड़े अपने गुर्गों से विदेशी सिम एक्टिव करवा कर भारत लाते हैं, फिर उससे रंगदारी मांगते हैं. जबकि कुछ गैंग्स ने बकायदा विदेश में अपने गुर्गों को ही बैठा रखा है जो वही से अपने आका के आदेश पर रंगदारी भरे कॉल्स करते हैं.
क्या है टेक्निक
सबसे पहले अपराधी अपने विदेशी मददगार के जरिए इंटरनेशनल सिम कार्ड खरीद लेते हैं उसे वहीं एक्टिव कर कर भारत लाते हैं. उसके बाद उसके बाद देश में खरीदे गए इंटरनेट कनेक्शन से विदेशी सिम कार्ड लगे मोबाइल को वाईफाई के जरिये कनेक्ट कर देते हैं. फिर कभी व्हाट्सएप्प कॉल तो कभी अलग-अलग ऐप के जरिए कारोबारी को कॉल कर रंगदारी मांगते हैं. ऐसे सिम कार्ड की जांच जब पुलिस की टेक्निकल टीम करती है तो उसका लोकेशन दूसरे देश का आता है, जबकि वे लोग भारत में ही बैठकर कॉल करते हैं. इस वजह से इंटरनेशनल सिम कार्ड से जुड़े कॉल्स ट्रेस नहीं हो पाते हैं.
आधा दर्जन अपराधी विदेश में, एक हुआ है गिरफ्तार