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SIT ने TTD को मिलावटी घी सप्लाई में शामिल धोखाधड़ी का पर्दाफाश किया - ADULTERATED GHEE SCAM

TTD को मिलावटी घी मामले में SIT ने खुलासा किया है कि तमिलनाडु की एआर डेयरी घी सप्लाई टेंडर के लिए योग्य नहीं थी.

tirupati
तिरुपति मंदिर (ANI)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Feb 11, 2025, 3:23 PM IST

अमरावती: विशेष जांच दल (SIT) ने तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (TTD) को मिलावटी घी की सप्लाई से जुड़े एक बड़े घोटाले का पर्दाफाश किया है, जिसमें एआर डेयरी, वैष्णवी डेयरी और भोलेबाबा ऑर्गेनिक डेयरी घोटाले के केंद्र में हैं. जांच में पता चला है कि मुख्य आरोपियों ने मामले सें जुड़े सबूत नष्ट किए. कंपनी ने हेराफेरी करके श्रीवारी लड्डू और अन्य प्रसाद बनाने के लिए घटिया घी की सप्लाई किया.

SIT ने रिपोर्ट में बताया गया है कि कैसे घोटाले के पीछे के मास्टरमाइंड पोमिल जैन और विपिन जैन ने घोटाले के प्रकाश में आने के तुरंत बाद वैष्णवी डेयरी के निदेशक पद से इस्तीफा दे दिया. इतना ही नहीं उन्होंने खुद को जांच से बचाने के लिए अपनी जगह सुरेंद्र सिंह और सौरभ कश्यप को नियुक्त किया - जो पहले ड्राइवर के रूप में काम करते थे. उन्हें कोई ट्रैक कर सके इसके लिए उन्होंने अपने सेलफोन नष्ट कर दिए.

धोखाधड़ी कैसे की गई?
तमिलनाडु स्थित एआर डेयरी के पास टीटीडी के घी सप्लाई टेंडर में भाग लेने के लिए योग्यता नहीं थी. हालांकि, वैष्णवी डेयरी ने FSSAI रिटर्न सहित झूठे दस्तावेज तैयार किए और एआर डेयरी की ओर से टेंडर जमा किया.

प्रसाद में इस्तेमाल होने वाले घी का निर्माण एआर डेयरी ने नहीं किया था. इसके बजाय, इसे उत्तराखंड के रुड़की में भोलेबाबा ऑर्गेनिक डेयरी से खरीदा गया और फिर तिरुपति के पास वैष्णवी डेयरी में ले जाया गया. यहां घी कोटीटीडी को सप्लाई करने से पहले नई सील और फर्जी लैब रिपोर्ट के साथ फिर से पैक किया गया.

​​जून और जुलाई 2024 में टीटीडी ने कई क्विालिटी टेस्ट में घी को घटिया पाया गया और सैंपल गुजरात में एनडीडीबी काफ लैब को भेजे गए. रिपोर्ट में पशु वसा की मौजूदगी की पुष्टि हुई, जिसके कारण टैंकरों को रिजेक्ट कर दिया गया. हालांकि, एआर डेयरी में वापस जाने के बजाय गी के टैंकर सीधे वैष्णवी डेयरी में चले गए.

अयोग्यता और घुसपैठ की रणनीति
भोलेबाबा डेयरी को पहले 2022 में खराब गुणवत्ता वाले घी की सप्लाई करने के लिए टीटीडी ने ब्लैकलिस्ट किया था. प्रतिबंध को दरकिनार करने के लिए, भोलेबाबा डेयरी ने वैष्णवी डेयरी के साथ साझेदारी की. इस डील में प्रति किलो 2.75 से 3 रुपये का कमीशन शामिल था. जांच के दौरान भोलेबाबा और एआर डेयरी के बीच वित्तीय लेन-देन का पता लगाया गया, जिससे धोखाधड़ी की पुष्टि हुई. एसआईटी अभी भी सप्लाई किए गए घी की वास्तविक उत्पत्ति की जांच कर रही है, क्योंकि इसे भोलेबाबा डेयरी द्वारा निर्मित भी नहीं किया गया था.

राजनीतिक और संस्थागत संलिप्तता?
एसआईटी को संदेह है कि टीटीडी के अधिकारियों और YSRCP सरकार में शामिल नेताओं ने एआर डेयरी को टेंडर देने में भूमिका निभाई होगी. डेयरी कंपनियों, सरकारी अधिकारियों और राजनीतिक नेताओं के बीच सांठगांठ की जांच चल रही है.

अन्य मंदिरों में भी मिलावटी घी की सप्लाई
टीटीडी के अलावा वैष्णवी डेयरी ने अप्रैल 2023 से मार्च 2024 तक श्रीकालहस्ती और कनिपकम मंदिरों को भी घी सप्लाई किया था. श्रद्धालुओं ने शिकायत की थी कि गर्मी में भी घी जम जाता है, जिससे संदेह पैदा हुआ. टीटीडी घोटाला सामने आने के बाद मंदिर प्रशासन ने वैष्णवी डेयरी के घी का इस्तेमाल पूरी तरह बंद कर दिया.

टीटीडी के भीतर संभावित सहयोगियों की पहचान करने के लिए गिरफ्तार व्यक्तियों से आगे की पूछताछ जारी है. इसके अलावा घोटाले में आदान-प्रदान की गई धनराशि की सटीक मात्रा का पता लगाने के लिए फोरेंसिक फाइनेंशियल ट्रैकिंग हो रही है. साथ ही मामले में फरार आरोपियों की तलाश जारी है और घोटाले में शामिल डेयरियों पर छापेमारी हो रही है.

यह भी पढ़ें- तिरुपति मंदिर बोर्ड ने 18 गैर हिंदू कर्मचारियों पर लगाया प्रतिबंध, ट्रांसफर या रिटायरमेंट का है ऑप्शन

अमरावती: विशेष जांच दल (SIT) ने तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (TTD) को मिलावटी घी की सप्लाई से जुड़े एक बड़े घोटाले का पर्दाफाश किया है, जिसमें एआर डेयरी, वैष्णवी डेयरी और भोलेबाबा ऑर्गेनिक डेयरी घोटाले के केंद्र में हैं. जांच में पता चला है कि मुख्य आरोपियों ने मामले सें जुड़े सबूत नष्ट किए. कंपनी ने हेराफेरी करके श्रीवारी लड्डू और अन्य प्रसाद बनाने के लिए घटिया घी की सप्लाई किया.

SIT ने रिपोर्ट में बताया गया है कि कैसे घोटाले के पीछे के मास्टरमाइंड पोमिल जैन और विपिन जैन ने घोटाले के प्रकाश में आने के तुरंत बाद वैष्णवी डेयरी के निदेशक पद से इस्तीफा दे दिया. इतना ही नहीं उन्होंने खुद को जांच से बचाने के लिए अपनी जगह सुरेंद्र सिंह और सौरभ कश्यप को नियुक्त किया - जो पहले ड्राइवर के रूप में काम करते थे. उन्हें कोई ट्रैक कर सके इसके लिए उन्होंने अपने सेलफोन नष्ट कर दिए.

धोखाधड़ी कैसे की गई?
तमिलनाडु स्थित एआर डेयरी के पास टीटीडी के घी सप्लाई टेंडर में भाग लेने के लिए योग्यता नहीं थी. हालांकि, वैष्णवी डेयरी ने FSSAI रिटर्न सहित झूठे दस्तावेज तैयार किए और एआर डेयरी की ओर से टेंडर जमा किया.

प्रसाद में इस्तेमाल होने वाले घी का निर्माण एआर डेयरी ने नहीं किया था. इसके बजाय, इसे उत्तराखंड के रुड़की में भोलेबाबा ऑर्गेनिक डेयरी से खरीदा गया और फिर तिरुपति के पास वैष्णवी डेयरी में ले जाया गया. यहां घी कोटीटीडी को सप्लाई करने से पहले नई सील और फर्जी लैब रिपोर्ट के साथ फिर से पैक किया गया.

​​जून और जुलाई 2024 में टीटीडी ने कई क्विालिटी टेस्ट में घी को घटिया पाया गया और सैंपल गुजरात में एनडीडीबी काफ लैब को भेजे गए. रिपोर्ट में पशु वसा की मौजूदगी की पुष्टि हुई, जिसके कारण टैंकरों को रिजेक्ट कर दिया गया. हालांकि, एआर डेयरी में वापस जाने के बजाय गी के टैंकर सीधे वैष्णवी डेयरी में चले गए.

अयोग्यता और घुसपैठ की रणनीति
भोलेबाबा डेयरी को पहले 2022 में खराब गुणवत्ता वाले घी की सप्लाई करने के लिए टीटीडी ने ब्लैकलिस्ट किया था. प्रतिबंध को दरकिनार करने के लिए, भोलेबाबा डेयरी ने वैष्णवी डेयरी के साथ साझेदारी की. इस डील में प्रति किलो 2.75 से 3 रुपये का कमीशन शामिल था. जांच के दौरान भोलेबाबा और एआर डेयरी के बीच वित्तीय लेन-देन का पता लगाया गया, जिससे धोखाधड़ी की पुष्टि हुई. एसआईटी अभी भी सप्लाई किए गए घी की वास्तविक उत्पत्ति की जांच कर रही है, क्योंकि इसे भोलेबाबा डेयरी द्वारा निर्मित भी नहीं किया गया था.

राजनीतिक और संस्थागत संलिप्तता?
एसआईटी को संदेह है कि टीटीडी के अधिकारियों और YSRCP सरकार में शामिल नेताओं ने एआर डेयरी को टेंडर देने में भूमिका निभाई होगी. डेयरी कंपनियों, सरकारी अधिकारियों और राजनीतिक नेताओं के बीच सांठगांठ की जांच चल रही है.

अन्य मंदिरों में भी मिलावटी घी की सप्लाई
टीटीडी के अलावा वैष्णवी डेयरी ने अप्रैल 2023 से मार्च 2024 तक श्रीकालहस्ती और कनिपकम मंदिरों को भी घी सप्लाई किया था. श्रद्धालुओं ने शिकायत की थी कि गर्मी में भी घी जम जाता है, जिससे संदेह पैदा हुआ. टीटीडी घोटाला सामने आने के बाद मंदिर प्रशासन ने वैष्णवी डेयरी के घी का इस्तेमाल पूरी तरह बंद कर दिया.

टीटीडी के भीतर संभावित सहयोगियों की पहचान करने के लिए गिरफ्तार व्यक्तियों से आगे की पूछताछ जारी है. इसके अलावा घोटाले में आदान-प्रदान की गई धनराशि की सटीक मात्रा का पता लगाने के लिए फोरेंसिक फाइनेंशियल ट्रैकिंग हो रही है. साथ ही मामले में फरार आरोपियों की तलाश जारी है और घोटाले में शामिल डेयरियों पर छापेमारी हो रही है.

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