शिक्षा विभाग की पहल (video credits ETV BHARAT) संभल:संभल जिले में शिक्षा विभाग ने नई पहल शुरू की है. इसके तहत परिषदीय विद्यालयों में अब पुरातन संस्कृति को अपनाया जाएगा. अब विद्यालय में महिला शिक्षकों को "मैडम" की जगह "दीदी या बहन जी" कहकर बुलाया जाएगा. वहीं पुरुष शिक्षकों के लिए "गुरुजी" शब्द का इस्तेमाल होगा. इसके अलावा परिषदीय विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चे शिक्षकों को "नमस्ते" या "जय हिंद" कहेंगे. डीएम के निर्देश पर शिक्षा विभाग ने नई पहल को शुरू करते हुए परिषदीय विद्यालयों को आदेश जारी कर दिया है.
संभल जिले की बीएसए अलका शर्मा ने बताया कि, भारतीय संस्कृति की झलक परिषदीय विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों तक पहुंचे इसके लिए डीएम के निर्देश पर जिले भर के सभी परिषदीय विद्यालयों को एक आदेश जारी किया गया है. इस आदेश के तहत परिषदीय विद्यालय की महिला शिक्षिकाओं को अब दीदी अथवा बहन जी कहकर संबोधित किया जाएगा. जबकि पुरुष शिक्षकों के लिए गुरुजी शब्द का इस्तेमाल होगा.
पुरातन संस्कृति को जमीन पर उतारने के लिए यह कवायद शुरू की जा रही है, इस कदम से बच्चों के भीतर शिक्षकों के प्रति सम्मान बढ़ेगा उन्होंने बताया कि स्कूली बच्चों के अलावा स्कूल का निरीक्षण करने आने वाले अधिकारी भी शिक्षकों को दीदी, बहन जी और गुरु जी कहकर संबोधित करेंगे. इसके अलावा विद्यालय समय में कोई भी शिक्षक पान ,सिगरेट, तंबाकू आदि का इस्तेमाल नहीं करेगा. यदि कोई भी शिक्षक इनका इस्तेमाल करते पाया गया तो संबंधित शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.
यही नहीं विद्यालय में प्लास्टिक की बोतलों का इस्तेमाल पूरी तरह से वर्जित रहेगा अगर कोई भी इनका इस्तेमाल करता है तो उस पर अर्थदंड की कार्रवाई की जाएगी. जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी अलका शर्मा ने बताया कि, विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चे अपने शिक्षकों को नमस्ते या फिर जय हिंद कहेंगे. उन्होंने बताया कि जय हिंद कहने से बच्चों के मन में राष्ट्र प्रेम की भावना जागृत होगी. इससे बच्चे देश के लिए कुछ सोच पाएंगे इसके अलावा विद्यालय में आने वाले पुरुष और महिला शिक्षक जींस शर्ट आदि पहन कर नहीं आएंगे बल्कि भारतीय परिधान पहनकर ही स्कूल में आएंगे.
अलका शर्मा ने बताया कि, विद्यालय एक मंदिर की तरह होता है इसलिए जैसा आचरण हम मंदिर में करते हैं ऐसा ही आचरण विद्यालय में भी अपनाएं. बीएसए ने बताया कि, विद्यालय के कक्ष में शिक्षक और बच्चे जूते पहन कर नहीं जाएं. बल्कि जूते या चप्पल कक्ष से बाहर निकाल कर ही भीतर जाएं. बीएसए ने बताया कि कोई भी अधिकारी किसी भी विद्यालय का निरीक्षण करने जाता है तो वह प्रधानाचार्य की कुर्सी पर नहीं बैठेगा बल्कि शिक्षकों से शिष्टाचार के साथ चर्चा करेगा.