छिंदवाड़ा:यहां एक ऐसा गांव है जहां हर आदमी पर एक कुंआ और बावड़ी है. गांव छोटा सा है लेकिन धरोहर अनमोल है. पानी की कमी ना हो इसलिए 16वीं शताब्दी में यहां के राजाओं ने कुएं और बावड़ियों का निर्माण कराया था. समय के साथ-साथ ये विरासत विलुप्त हो रही थी लेकिन अब जिला प्रशासन ने इन्हें खोज निकाला है. इस गांव में करीब 800 कुएं और 900 बावड़ियां प्रशासन ने चिन्हित किए हैं जिन्हें सहेजने का काम किया जा रहा है.
आबादी से ज्यादा हैं इस गांव में पानी के साधन
छिंदवाड़ा जिले का एक गांव ऐसा है, जहां की आबादी से भी ज्यादा उस गांव में पानी के लिए बनाए गए कुएं और बावड़ियां हैं. ये कुएं और बावड़ियां आज धरोहर के रूप में सहेजी जा रही हैं. देवगढ़ कभी गोंड राजाओं की राजधानी हुआ करती थी, दरअसल एक छोटा सा गांव देवगढ़ एक दो नहीं बल्कि हजारों की संख्या में कुओं और बावड़ियों को अपने आंचल में समेटे हुए है. कहा जाता है कि इलाके में पानी की कमी ना हो, इसलिए राजाओं ने यहां हजारों की संख्या में बावड़ी और कुओं का निर्माण 16 वीं शताब्दी में कराया था.
16वीं सदी में गोंड राजाओं की राजधानी थी देवगढ़
16 वीं सदी में गोंड राजाओं की राजधानी देवगढ़ हुआ करती थी. देवगढ़ का किला व उसके आसपास 900 बावड़ी और 800 कुएं हैं. जिन्हें तत्कालीन शासकों ने बनवाये थे. मध्य प्रदेश सरकार अब इन्हें सहेजने का काम कर रही है. जिला प्रशासन में मनरेगा के तहत इन्हें सुधारने का काम शुरू गया किया है. जिसमें लाखों रुपये खर्च किए जा रहे हैं.
गोंड राजाओं की विरासत देवगढ़ किला
देवगढ़ का किला देवगढ़ गांव में 650 मीटर ऊंची एक पहाड़ी पर स्थित है. किला 16वीं सदी में गोंड राजाओं द्वारा निर्मित माना जाता है. देवगढ़ का कोई प्रत्यक्ष लिखित इतिहास नहीं है परंतु बादशाहनामा व अन्य मुगल साहित्य में देवगढ़ की चर्चा की गई है. अकबर के समय देवगढ़ पर जाटवा शाह राज्य करता था. किले में बावड़ियां एवं बारहमासी पहाड़ी झरनों से गिरनेवाली बूंदों से भरनेवाले मोती टांका को देखा जा सकता है.