उज्जैन: आपने हमेशा शादी की रस्में देखी होगी, जिसमें दूल्हा और दुल्हन सात फेरों के बंधन में बंधते हैं, लेकिन क्या आपने कभी किसी गाय और बैल की शादी देखी है. उम्मीद है कि आपने ऐसी शादी नहीं देखी होगी, लेकिन आज हम ऐसी ही शादी के बारे में बताने जा रहे हैं. दरअसल, उज्जैन के देवास रोड स्थित पुलिस लाइन के पास मकर संक्रांति के खास पर्व पर एक गाय और बैल की शादी हुई है. जिसने पूरे क्षेत्र का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया.
दूल्हा बन शादी करने पहुंचा बैल
उज्जैन की इस अनोखी शादी में बैल को दूल्हा बनाया गया है और गाय को दुल्हन बनाया गया है. इस शादी में सभी रस्मों को विधि-विधान से निभाया गया है. इसमें डीजे बजाते हुए बारात निकाली गई और हल्दी-मेंदही से लेकर बैल और गाय के सात फेरे तक करवाए गएं हैं. ‘लक्ष्मी’ गाय और ‘नारायण’ बैल का विवाह सनातन धर्म की परंपराओं और रीति-रिवाजों के साथ संपन्न हुआ. इस अनोखी शादी ने धार्मिक आस्था और परंपरा का अद्भुत संगम प्रस्तुत किया है.
हल्दी-मेहंदी की निभाई गई रस्में
तीन दिन तक चलने वाले इस भव्य विवाह समारोह की शुरुआत 12 जनवरी से हुई थी. पहले दिन हवन का आयोजन हुआ, फिर 13 जनवरी को हल्दी, मेहंदी, मंडप सजावट, माता पूजन और गणेश पूजन धूमधाम से संपन्न हुआ. इसके बाद मकर संक्रांति के दिन यानि 14 जनवरी की सुबह पूरे तामझाम और शोर-शराबे के साथ बारात निकली. ‘नारायण’ बेल को सजाकर इंदौर गेट के प्रकाश यादव के परिवार ने ढोल-नगाड़ों और बैंड-बाजों के साथ बारात को सामुदायिक भवन तक पहुंचाया. यहां दूल्हे की बारात का फूलों की माला और पारंपरिक स्वागत किया गया.
नाजों में पली लक्ष्मी की आई बारात
शादी में परिवार के सदस्यों और मेहमानों का हुजूम देखने लायक था. अभिषेक बैरागी, जो तीन साल की ‘लक्ष्मी’ गाय को बचपन से पाल रहे हैं. उन्होंने बताया कि "लक्ष्मी उनके परिवार की लाड़ली है. उसकी परवरिश ऐसे की गई है, जैसे कोई परिवार का सदस्य है. यहां तक कि लक्ष्मी के लिए घर में एक अलग कमरा भी बनाया गया है."
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रस्मों रिवाज के साथ लिए फेरे
पंडित ने मंत्रोच्चार और विधि-विधान से बैल और गाय के फेरों की रस्म पूरी कराई. जिससे लक्ष्मी और नारायण विवाह बंधन में बंध गए. शादी के बाद एक शानदार रिसेप्शन का आयोजन किया गया. जिसमें मेहमानों के लिए विभिन्न प्रकार के स्वादिष्ट व्यंजनों की व्यवस्था की गई. धार्मिक परंपराओं का यह उत्सव उज्जैन वासियों के लिए आस्था और उत्सव का खास मौका बन गया. यह अनोखा विवाह न केवल एक सामाजिक संदेश देता है, बल्कि पशु प्रेम और संस्कृति की अनूठी मिसाल भी पेश करता है.