नई दिल्ली:दिल्ली विकास प्राधिकरण की ओर से उत्तर पश्चिम और उत्तरी दिल्ली के क्षेत्रों में विकास की रफ्तार को बढ़ाने की दिशा में कई बड़े कदम उठाए गए हैं. इस कड़ी में प्रस्तावित रिठाला-नरेला-कुंडली मेट्रो कॉरिडोर काफी अहम माना जा रहा है. इस कॉरिडोर के निर्माण पूरा होने के बाद गाजियाबाद-दिल्ली-हरियाणा तीन राज्यों की सीधे तौर पर दिल्ली मेट्रो की इंटर कनेक्टिविटी हो जाएगी. रिठाला कॉरिडोर से विस्तार से मेट्रो सीधे नरेला के जरिए कुंडली (सोनीपत) तक पहुंच जाएगी. इस कॉरिडोर के प्रस्ताव को केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने मंजूरी दे दी है जिस पर कुल अनुमानित लागत 6231 करोड़ रुपये आएगी.
इसका निर्माण पूरा होने के बाद 2028 तक मेट्रो के दैनिक यात्रियों की संख्या 1.26 लाख और 2055 तक 3.8 लाख होने का अनुमान जताया गया है. केंद्रीय आवासन शहरी मामले के अंतर्गत आने वाले डीडीए के रिठाला-नरेला-कुंडली मेट्रो कॉरिडोर के प्रस्ताव को केंद्रीय वित्त मंत्रालय के पब्लिक इन्वेस्टमेंट बोर्ड (पीआईबी) ने मंजूरी दे दी है. इस कॉरिडोर के निर्माण की लागत को लेकर केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार के अलावा हरियाणा सरकार की भी अलग-अलग हिस्सेदारी तय की गई है.
कुल अनुमानित लागत 6231 करोड़ रुपये
दिल्ली मेट्रो के इस एक्टेंशन प्रोजेक्ट के रिठाला-नरेला-कुंडली मेट्रो कॉरिडोर के निर्माण पर 6,231 करोड़ रुपये की लागत आएगी जिसमें दिल्ली की भागीदारी लागत अनुमानित 5685.22 करोड़ और हरियाणा की हिस्सेदारी 545.77 करोड़ रुपए है. दिल्ली के हिस्से की लागत का करीब 40% केंद्र सरकार की ओर से वहन किया जाएगा, जिसमें से अकेले डीडीए 1000 करोड़ रुपये का अनुदान देगा बाकी शेष लागत में से 37.5% द्विपक्षीय ऋण से और लगभग 20% दिल्ली सरकार की तरफ से दिया जाएगा. हरियाणा हिस्से के लिए हरियाणा सरकार 80% अनुदान प्रदान करेगी जबकि बाकी 20% हिस्सा भारत सरकार की ओर से ग्रांट के जरिए दिया जाएगा.
अगले 4 सालों के भीतर पूरा होगाा निर्माण
रिठाला-नरेला-कुंडली मेट्रो कॉरिडोर कुल 26.5 किलोमीटर लंबा होगा जिस पर 21 स्टेशनों का निर्माण किया जाएगा. इस पूरे कॉरिडोर के निर्माण को अगले 4 सालों के भीतर पूरा किया जाएगा. इस कॉरिडोर के निर्माण से बाकी शहर के साथ नरेला-बवाना-अलीपुर क्षेत्रों की कनेक्टिविटी में बड़े पैमाने पर बदलाव आएगा और क्षेत्र में बुनियादी ढांचे में बड़ा उछाल आने की उम्मीद है. यह नरेला-बवाना सब सिटी की वृद्धि और विकास को रफ्तार प्रदान करेगा और रोहिणी सब-सिटी की लंबे समय से लंबित जरूरतों को पूरा करने में मददगार साबित होगा.
मेट्रो कॉरिडोर बनने से छात्रों में होगा फायदा