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कौन हैं शेखा एजे अल-सबा, जिन्हें पद्म श्री से सम्मानित करेगा भारत? PM मोदी भी कर चुके हैं मुलाकात - SHAIKHA AJ AL SABAH

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल कुवैत की अपनी ऐतिहासिक दो दिवसीय यात्रा के दौरान शेखा एजे अल-सबा से मुलाकात की थी.

Shaikha AJ Al Sabah
शेखा एजे अल-सबाह से पीएम मोदी की मुलाकात (X@narendramodi)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jan 26, 2025, 1:46 PM IST

कुवैत सिटी: कुवैत की योग प्रैक्टिशनर शेखा एजे अल- सबा उन 30 गुमनाम नायकों में शामिल हैं, जिन्हें भारत के तीसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्म श्री से सम्मानित किया जाएगा. 48 वर्षीय शेखा, जिन्होंने कुवैत के पहले लाइसेंस प्राप्त योग स्टूडियो 'दरात्मा' की स्थापना की , उनको योग के प्रति उनके योगदान के लिए तीसरे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा.

उन्होंने अनूठी पारंपरिक तकनीकों के साथ खाड़ी क्षेत्र में योग अभ्यास को बढ़ावा दिया. उन्होंने 2021 में युद्धग्रस्त क्षेत्र में यमन के शरणार्थियों और आंतरिक रूप से विस्थापित लोगों के लिए धन जुटाने वाले योमनक लिल यमन का भी नेतृत्व किया है.

पीएम मोदी ने की थी मुलाकात
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल कुवैत की अपनी ऐतिहासिक दो दिवसीय यात्रा के दौरान शेखा एजे अल-सबा से मुलाकात की थी. इस मुलाकात में भारत और कुवैत के बीच बढ़ते सांस्कृतिक और स्वास्थ्य संबंधों पर जोर दिया गया था.

इस संबंध में एक्स पर एक पोस्ट में पीएम मोदी ने योग और फिटनेस के प्रति शेखा के समर्पण की प्रशंसा की, खाड़ी क्षेत्र में इस अभ्यास को बढ़ावा देने में उनके योगदान पर प्रकाश डाला. पीएम मोदी ने लिखा, "कुवैत में एचएच शेखा एजे अल-सबा से मुलाकात की. उन्होंने योग और फिटनेस के प्रति अपने जुनून के लिए खुद को प्रतिष्ठित किया है. हमने युवाओं के बीच योग को और अधिक लोकप्रिय बनाने के तरीकों पर बात की. " चर्चाओं में योग के प्रभाव को बढ़ाने और युवा पीढ़ी के बीच एक स्वस्थ जीवन शैली को बढ़ावा देने पर भी ध्यान केंद्रित किया गया था.

शेखा एजे अल-सबाह कौन हैं?
शेखा एजे अल-सबाह एक प्रसिद्ध वेलनेस एडवोकेट, उद्यमी और मानवतावादी हैं. उन्होंने 2001 में अपनी योगिक यात्रा शुरू की और 2014 में कुवैत के पहले लाइसेंस प्राप्त योग स्टूडियो, दरात्मा की स्थापना की.दरात्मा नाम अरबी शब्द 'दार' (घर) और संस्कृत शब्द 'आत्मा' से जोड़ कर बना है, जो आत्म-खोज और संतुलन के लिए एक अभयारण्य का प्रतीक है.

अल-सबाह का मुख्य योगदान
उन्होंने कुवैत में योग शिक्षा शुरू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिससे योग को आधिकारिक तौर पर मान्यता मिली और यह सुलभ बना. उन्होंने 0-14 साल की आयु के बच्चों के लिए पाठ्यक्रम, शेम्स यूथ योग (2015-2021) की सह-स्थापना की. अल-सबाह ने 2015 में यूएई में विपश्यना मौन रिट्रीट का आयोजन किया.

यह भी पढ़ें- तहव्वुर राणा को भारत लाने का रास्ता साफ, अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट से मिली प्रत्यपर्ण को मंजूरी

कुवैत सिटी: कुवैत की योग प्रैक्टिशनर शेखा एजे अल- सबा उन 30 गुमनाम नायकों में शामिल हैं, जिन्हें भारत के तीसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्म श्री से सम्मानित किया जाएगा. 48 वर्षीय शेखा, जिन्होंने कुवैत के पहले लाइसेंस प्राप्त योग स्टूडियो 'दरात्मा' की स्थापना की , उनको योग के प्रति उनके योगदान के लिए तीसरे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा.

उन्होंने अनूठी पारंपरिक तकनीकों के साथ खाड़ी क्षेत्र में योग अभ्यास को बढ़ावा दिया. उन्होंने 2021 में युद्धग्रस्त क्षेत्र में यमन के शरणार्थियों और आंतरिक रूप से विस्थापित लोगों के लिए धन जुटाने वाले योमनक लिल यमन का भी नेतृत्व किया है.

पीएम मोदी ने की थी मुलाकात
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल कुवैत की अपनी ऐतिहासिक दो दिवसीय यात्रा के दौरान शेखा एजे अल-सबा से मुलाकात की थी. इस मुलाकात में भारत और कुवैत के बीच बढ़ते सांस्कृतिक और स्वास्थ्य संबंधों पर जोर दिया गया था.

इस संबंध में एक्स पर एक पोस्ट में पीएम मोदी ने योग और फिटनेस के प्रति शेखा के समर्पण की प्रशंसा की, खाड़ी क्षेत्र में इस अभ्यास को बढ़ावा देने में उनके योगदान पर प्रकाश डाला. पीएम मोदी ने लिखा, "कुवैत में एचएच शेखा एजे अल-सबा से मुलाकात की. उन्होंने योग और फिटनेस के प्रति अपने जुनून के लिए खुद को प्रतिष्ठित किया है. हमने युवाओं के बीच योग को और अधिक लोकप्रिय बनाने के तरीकों पर बात की. " चर्चाओं में योग के प्रभाव को बढ़ाने और युवा पीढ़ी के बीच एक स्वस्थ जीवन शैली को बढ़ावा देने पर भी ध्यान केंद्रित किया गया था.

शेखा एजे अल-सबाह कौन हैं?
शेखा एजे अल-सबाह एक प्रसिद्ध वेलनेस एडवोकेट, उद्यमी और मानवतावादी हैं. उन्होंने 2001 में अपनी योगिक यात्रा शुरू की और 2014 में कुवैत के पहले लाइसेंस प्राप्त योग स्टूडियो, दरात्मा की स्थापना की.दरात्मा नाम अरबी शब्द 'दार' (घर) और संस्कृत शब्द 'आत्मा' से जोड़ कर बना है, जो आत्म-खोज और संतुलन के लिए एक अभयारण्य का प्रतीक है.

अल-सबाह का मुख्य योगदान
उन्होंने कुवैत में योग शिक्षा शुरू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिससे योग को आधिकारिक तौर पर मान्यता मिली और यह सुलभ बना. उन्होंने 0-14 साल की आयु के बच्चों के लिए पाठ्यक्रम, शेम्स यूथ योग (2015-2021) की सह-स्थापना की. अल-सबाह ने 2015 में यूएई में विपश्यना मौन रिट्रीट का आयोजन किया.

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