हैदराबाद: इस साल मौनी अमावस्या 29 जनवरी, बुधवार को मनाई जाएगी. इस दिन स्नान और दान करने का बड़ा महत्व है, लेकिन कुछ नियम भी हैं जिनका पालन करना आवश्यक है. यदि आप इन नियमों का पालन नहीं करते हैं, तो आप पुण्य लाभ से वंचित रह सकते हैं. इसके अलावा, मौनी अमावस्या के दिन कुछ गलतियों से बचना चाहिए, अन्यथा आपके पितर आपसे नाराज़ हो सकते हैं. दिल्ली के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य एवं वास्तुविद आचार्य आदित्य झा से जानते हैं कि मौनी अमावस्या पर कौन सी गलतियां नहीं करनी चाहिए, जिससे आपके पितर नाराज हो सकते हैं.
मौनी अमावस्या पर भूलकर भी न करें ये गलतियां
पितरों को तर्पण न देना: मौनी अमावस्या के दिन स्नान के बाद पितरों को जल से तर्पण देना न भूलें. यदि आप ऐसा नहीं करते हैं, तो आपको पितृ दोष लग सकता है और आपके पितर आपसे नाराज हो सकते हैं.
दान न करना: अमावस्या के अवसर पर पितर धरती पर आते हैं. उनके लिए आपको दान करना चाहिए. यदि आप अन्न, वस्त्र आदि का दान नहीं करते हैं, तो भी आपके पितर आपसे नाराज हो सकते हैं. अतृप्त रहने पर वे आपको श्राप दे सकते हैं.
पंचबलि कर्म न करना: मौनी अमावस्या को अपने पितरों के लिए पंचबलि कर्म यानि भोजन देना न भूलें. इसमें आप जो भोजन बनाएं, उसमें से कुछ हिस्सा गाय, कौआ, कुत्ता आदि को खिला दें. इनके माध्यम से वह भोजन पितरों को प्राप्त होता है और वे प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते हैं. यदि आप ऐसा नहीं करते हैं, तो आपके पितर आपसे खुश नहीं रहेंगे, जिससे आपकी उन्नति रूक सकती है.
दीपक न जलाना: अमावस्या की शाम पितर अपने लोक वापस लौटते हैं. यदि आप उनके लिए दीपक नहीं जलाते हैं, तो वे अंधकार में ही अपने लोक वापस लौटेंगे. यह अच्छा नहीं माना जाता है. इससे वे दुखी हो सकते हैं और अतृप्त होकर आपसे नाराज हो सकते हैं, जिसका दुष्प्रभाव आपके जीवन में देखने को मिल सकता है.
सफेद कपड़े खरीदना: मौनी अमावस्या के दिन सफेद कपड़े खरीदने से बचना चाहिए. सफेद वस्त्र पितरों के लिए माना जाता है. उनकी कृपा प्राप्ति के लिए सफेद वस्त्र का दान करना उत्तम होता है.
मौनी अमावस्या पर पितरों को कैसे करें खुश
मौनी अमावस्या के अवसर पर हर व्यक्ति को स्नान करना चाहिए. यदि संभव हो तो आप मौनी अमावस्या पर प्रयागराज के संगम में स्नान करें. ऐसा करने से सहज ही भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है और पाप से मुक्ति मिलती है. उसके बाद जल और काले तिल से अपने पितरों को तर्पण दें. तर्पण देने के लिए कुशा का उपयोग करें.
तर्पण करने मात्र से ही आपके पितर खुश हो सकते हैं. यदि आपके पितर नाराज हैं या पितृ दोष से परेशान हैं, तो उसकी शांति के लिए त्रिपिंडी श्राद्ध कराएं. इससे आपको लाभ होगा। यदि आप जल से तर्पण या दान नहीं कर सकते हैं, तो आप अपने वचन से पितरों को तृप्त करें. पितृ दोष से मुक्ति के लिए पिंडदान, श्राद्ध भी करते हैं.
Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है. ETV BHARAT इसकी पुष्टि नहीं करता है.
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