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एम्स के डॉक्टरों ने नौजवान को फिर से दिखाई दुनिया, एक्सीडेंट में चली गई थी आंखें - Bhopal AIIMS Eye Operation

भोपाल एम्स के डॉक्टरों ने आंखों का सफलतापूर्वक ऑपरेशन किया है. सड़क दुर्घटना में युवक की रोशनी चली गई थी. दो महीने बाद दुनिया देखी.

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : 6 hours ago

Updated : 5 hours ago

BHOPAL AIIMS EYE OPERATION
भोपाल एम्स में आंख का सफल ऑपरेशन (ETV Bharat)

भोपाल: मध्यप्रदेश की राजधानी से एक सकारात्मक खबर सामने आई है. भोपाल एम्स के डॉक्टरों ने सराहनीय कार्य करते हुए एक 25 वर्षीय नवयुवक को फिर से रोशनी दे दी. एक सड़क दुर्घटना में युवक की आंखों की रोशनी चली गई थी. अब करीब डेढ़ महीने बाद उसने दोबारा से दुनिया देखी. एम्स के डॉक्टरों ने इस रिस्की और जटिल ऑपरेशन को सफलता पूर्वक अंजाम दिया है.

दुनिया में इस प्रकार के 10 से भी कम मामले

एम्स भोपाल के कार्यपालक निदेशक डॉ. अजय सिंह ने बताया, "एम्स में हाल ही में डॉक्टरों की एक टीम द्वारा मरीज की आंख की दुर्लभ और जटिल सर्जरी की गई है. जिससे उसकी आंखों को फिर से रोशनी वापस मिली. भोपाल के पास स्थित जैतवारा गांव का मरीज 20 अगस्त 2024 को एक बाइक दुर्घटना का शिकार हुआ था, जिससे उसकी दोनों आंखों की रोशनी चली गई थी. इस मामले की जटिलता इस बात से और बढ़ गई कि दुर्घटना में उसकी बाईं आंख, आंखों के बीच की एक छोटी हड्डी के अंदर खोखले हिस्से में पहुंच गई थी. डॉ. सिंह ने बताया कि इस प्रकार के केस दुनिया में 10 से भी कम हैं."

मरीज की आंख अन्दर ही फंस गई थी

एम्स के डाक्टरों ने बताया कि मरीज का शुरू में एक निजी अस्पताल में 10 दिनों तक इलाज किया गया. लेकिन स्थिति बिगड़ने के बाद 26 अगस्त 2024 को उसे एम्स भोपाल रेफर कर दिया गया. मरीज को गंभीर सिरदर्द, दिखायी न देना और नाक से रिसाव की समस्या हो रही थी. परिवार को इस बात का अंदाजा नहीं था कि उसकी बाई आंख ऑर्बिटल कैविटी में ही थी. और वे समझते थे कि आंख दुर्घटना में बाहर निकल गई थी. एम्स भोपाल में कराई गई एनसीसीटी स्कैन में पाया गया कि मरीज के मस्तिष्क में हवा भर गयी है और उसकी बाईं आंख एथमॉइड साइनस में फंसी हुई है.

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एम्स में इन डाक्टरों ने किया ईलाज

चोट की गंभीरता को देखते हुए इस सर्जरी के लिए न्यूरोसर्जरी, नेत्र रोग, ट्रामा और आपातकालीन चिकित्सा और एनेस्थीसिया विभागों के विशेषज्ञों को शामिल किया गया. इसमें डॉ. अमित अग्रवाल (न्यूरोसर्जरी), डॉ. भावना शर्मा (नेत्र रोग), डॉ. बी एल सोनी (मैक्सिलोफेशियल सर्जन) और डॉ. वैशाली वेंडेसकर (एनेस्थीसिया) की टीम ने मरीज की न्यूरोलाजिकल स्थिति को स्थिर करने के बाद माइक्रोस्कोपी की मदद से बाई आंख को एथमाइड साइनस से सफलतापूर्वक निकाल कर सही स्थान पर फिट किया.

मरीज की वर्तमान में स्थिति स्थिर है और वह डॉक्टरों की निगरानी में है. डॉ. भावना शर्माने बताया कि, "यह एक अत्यंत जटिल मामला था, जिसके लिए कई विभागों के विशेषज्ञों का सहयोग आवश्यक था. मरीज की स्थिति गंभीर थी, लेकिन बहु आयामी दृष्टिकोण के कारण हम इस सर्जरी को सफलतापूर्वक अंजाम दे सके."

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