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लंदन के बाद साउथ अफ्रीका में बुरहानपुर की टोपियों की डिमांड, महिलाएं मालामाल - CAP MANUFACTURING BANANA WASTE

मध्य प्रदेश के बुरहानपुर में महिलाएं केले के वेस्ट से कई प्रोडक्ट बना रही हैं. इससे बनीं स्टाइलिश लुक की टोपियों के विदेशी हुए दीवाने.

CAP MANUFACTURING BANANA WASTE
लंदन के बाद साउथ अफ्रीका में केले के रेशों से बनी टोपियों की डिमांड (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : 15 hours ago

बुरहानपुर: यहां करीब 25 हजार हेक्टेयर रकबे में केला फसल उगाई जाती है, इससे न केवल केले का उत्पन्न होता है बल्कि इसके पौधे के रेशों से घरेलू उपयोग की वस्तुओं का भी निर्माण हो रहा है. इससे महिलाओं को काम तो मिला ही है साथ ही उनकी अच्छी आमदनी भी हो रही है. ये महिलाएं अब लखपति दीदियां कहला रही हैं. इसके साथ ही केले के रेशों से बनीं टोपियों की डिमांड अब विदेशों में बढ़ रही है. लंदन के बाद अब साउथ अफ्रीका से टोपियों का ऑर्डर मिला है.

लंदन के बाद साउथ अफ्रीका में टोपियों की डिमांड

जिला मुख्यालय से 25 किमी दूर एकझिरा गांव में रहने वाली अनुसुईया चौहान ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने हुनर की छाप छोड़ी है. दरअसल अनुसुईया ने केले के रेशों से टोपियों का निर्माण शुरू किया है. इन टोपियों को बनाने में कड़ी मेहनत लगती है. हाल ही में 10 टोपियां लंदन भेजी जा चुकी हैं. अब लंदन के बाद साउथ अफ्रीका में भी बुरहानपुर में बनी टोपी की डिमांड बढ़ गई हैं.

केले के वेस्ट मटेरियल के उपयोग से महिलाओं की आर्थिक स्थिति में सुधार (ETV Bharat)

इंदौर में एक कार्यक्रम में शामिल होने आए साउथ अफ्रीका के युवक ने 2 टोपियां खरीदी हैं. इन टोपियों को देखकर वह काफी प्रभावित हुए और उन्होंने तुरंत 10 टोपियों का ऑर्डर दे दिया. इस उपलब्धि से अनुसुईया के चेहरे पर खुशी छलक रही है. वे टोपियां बनाने में जुट गई हैं.

CAP demand London South Africa
बुरहानपुर की टोपियों की साउथ अफ्रीका में डिमांड (ETV Bharat)

महिलाओं की आर्थिक स्थिति में सुधार

मध्य प्रदेश डे राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन से जुड़कर महिलाओं ने बंपर कमाई की राह को चुना है. अनुसुईया चौहान के साथ कई महिलाएं इस काम में जुड़कर गई हैं. इससे महिलाओं की आर्थिक स्थिति में तेजी से सुधार आ रहा है. आमदनी बढ़ने से उनके बच्चे निजी स्कूलों में पढ़ने लगे हैं. ये महिलाएं आत्मनिर्भर बन चुकी हैं. स्व सहायता समूह की महिलाएं घर की चार दीवारी से बाहर निकल कर अपने हुनर को निखार रही हैं.

UNIQUE CAP PRODUCTION BURHANPUR
केले के रेशों से टोपियों सहित महिलाएं बना रहीं कई सामान (ETV Bharat)

इस तरह जुटाते हैं मटेरियल

सबसे पहले खेतों में से केले के तने लाए जाते हैं, फिर मशीन की सहायता से केले के तनों से रेशें निकालते हैं. इसके बाद उन रेशों को सुखाकर टोपियों के आकार में बुनकर तैयार किया जाता हैं. इन टोपियों की मदद से न केवल धूप से बचा जा सकता है, बल्कि इसे पहनने से व्यक्ति का स्टाइलिश लुक नजर आता है. यही वजह है कि इन टोपियों की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर धीरे-धीरे डिमांड बढ़ रही है.

'केले के रेशों से बन रहे कई प्रोडक्ट'

मध्य प्रदेश आजीविका मिशन की अधिकारी संतमति खलको ने बताया कि "जिले में स्व सहायता समूह की 885 महिलाएं केले के रेशों से कई प्रकार के बेहतरीन प्रोडक्ट बना रही हैं. इन प्रोडक्ट में लोगों की सबसे पसंदीदा स्टाइलिश टोपियां हैं, जो स्थानीय लोगों सहित विदेशी लोगों को भा गई हैं. यही वजह है कि महिलाओं के हाथों से बनाए गए प्रॉडक्ट को देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी सराहा गया है. पहले लंदन में 10 टोपी भेजी जा चुकी हैं और अब साऊथ अफ्रीका के युवक ने भी 10 टोपियों की मांग की है."

बुरहानपुर: यहां करीब 25 हजार हेक्टेयर रकबे में केला फसल उगाई जाती है, इससे न केवल केले का उत्पन्न होता है बल्कि इसके पौधे के रेशों से घरेलू उपयोग की वस्तुओं का भी निर्माण हो रहा है. इससे महिलाओं को काम तो मिला ही है साथ ही उनकी अच्छी आमदनी भी हो रही है. ये महिलाएं अब लखपति दीदियां कहला रही हैं. इसके साथ ही केले के रेशों से बनीं टोपियों की डिमांड अब विदेशों में बढ़ रही है. लंदन के बाद अब साउथ अफ्रीका से टोपियों का ऑर्डर मिला है.

लंदन के बाद साउथ अफ्रीका में टोपियों की डिमांड

जिला मुख्यालय से 25 किमी दूर एकझिरा गांव में रहने वाली अनुसुईया चौहान ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने हुनर की छाप छोड़ी है. दरअसल अनुसुईया ने केले के रेशों से टोपियों का निर्माण शुरू किया है. इन टोपियों को बनाने में कड़ी मेहनत लगती है. हाल ही में 10 टोपियां लंदन भेजी जा चुकी हैं. अब लंदन के बाद साउथ अफ्रीका में भी बुरहानपुर में बनी टोपी की डिमांड बढ़ गई हैं.

केले के वेस्ट मटेरियल के उपयोग से महिलाओं की आर्थिक स्थिति में सुधार (ETV Bharat)

इंदौर में एक कार्यक्रम में शामिल होने आए साउथ अफ्रीका के युवक ने 2 टोपियां खरीदी हैं. इन टोपियों को देखकर वह काफी प्रभावित हुए और उन्होंने तुरंत 10 टोपियों का ऑर्डर दे दिया. इस उपलब्धि से अनुसुईया के चेहरे पर खुशी छलक रही है. वे टोपियां बनाने में जुट गई हैं.

CAP demand London South Africa
बुरहानपुर की टोपियों की साउथ अफ्रीका में डिमांड (ETV Bharat)

महिलाओं की आर्थिक स्थिति में सुधार

मध्य प्रदेश डे राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन से जुड़कर महिलाओं ने बंपर कमाई की राह को चुना है. अनुसुईया चौहान के साथ कई महिलाएं इस काम में जुड़कर गई हैं. इससे महिलाओं की आर्थिक स्थिति में तेजी से सुधार आ रहा है. आमदनी बढ़ने से उनके बच्चे निजी स्कूलों में पढ़ने लगे हैं. ये महिलाएं आत्मनिर्भर बन चुकी हैं. स्व सहायता समूह की महिलाएं घर की चार दीवारी से बाहर निकल कर अपने हुनर को निखार रही हैं.

UNIQUE CAP PRODUCTION BURHANPUR
केले के रेशों से टोपियों सहित महिलाएं बना रहीं कई सामान (ETV Bharat)

इस तरह जुटाते हैं मटेरियल

सबसे पहले खेतों में से केले के तने लाए जाते हैं, फिर मशीन की सहायता से केले के तनों से रेशें निकालते हैं. इसके बाद उन रेशों को सुखाकर टोपियों के आकार में बुनकर तैयार किया जाता हैं. इन टोपियों की मदद से न केवल धूप से बचा जा सकता है, बल्कि इसे पहनने से व्यक्ति का स्टाइलिश लुक नजर आता है. यही वजह है कि इन टोपियों की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर धीरे-धीरे डिमांड बढ़ रही है.

'केले के रेशों से बन रहे कई प्रोडक्ट'

मध्य प्रदेश आजीविका मिशन की अधिकारी संतमति खलको ने बताया कि "जिले में स्व सहायता समूह की 885 महिलाएं केले के रेशों से कई प्रकार के बेहतरीन प्रोडक्ट बना रही हैं. इन प्रोडक्ट में लोगों की सबसे पसंदीदा स्टाइलिश टोपियां हैं, जो स्थानीय लोगों सहित विदेशी लोगों को भा गई हैं. यही वजह है कि महिलाओं के हाथों से बनाए गए प्रॉडक्ट को देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी सराहा गया है. पहले लंदन में 10 टोपी भेजी जा चुकी हैं और अब साऊथ अफ्रीका के युवक ने भी 10 टोपियों की मांग की है."

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