बचपन में बच्चों की हड्डियों और मांसपेशियों के स्वास्थ्य का ध्यान रखना बेहद जरूरी है. जानकारों का कहना हैं कि यदि बचपन से ही बच्चों में आहार व जीवनशैली से जुड़ी स्वस्थ आदतों को डाला जाए तो ना केवल बचपन में उन्हे कई प्रकार के रोग व समस्याओं से बचाया जा सकता है, बल्कि भविष्य में भी ना सिर्फ हड्डियों व मांसपेशियों से जुड़ी बल्कि कई अन्य प्रकार की समस्याओं के जोखिम को भी कम किया जा सकता है.
बड़े होने पर हड्डियों और मांसपेशियों को रखना है स्वस्थ तो बचपन से ही करें तैयारी
हर माता-पिता की ख्वाहिश होती है कि उनके बच्चे ना सिर्फ बचपन में स्वस्थ रहें बल्कि हमेशा स्वस्थ जीवन जिए. लेकिन कई बार बचपन में बच्चे के स्वास्थ्य को लेकर बरती गई लापरवाही तथा उनकी आहार या आदतों से जुड़ी कुछ गलतियां उनके वयस्क होने पर उनमें स्वास्थ्य सबंधी समस्याओं के होने का कारण बन सकती हैं.
विशेषतौर पर आज के दौर में हर उम्र के लोगों में आम हो रही हड्डियों व मांसपेशियों से जुड़ी समस्याओं की बात करें, तो जानकार मानते हैं कि यदि बचपन से ही बच्चों के आहार पर ध्यान देने के साथ यदि उनमें जीवनशैली से जुड़ी अच्छी व जरूरी आदतों को डालने का प्रयास किया जाए, तो भविष्य में उनमें हड्डियों और मांसपेशियों से जुड़े रोगों व समस्याओं के जोखिम को काफी हद तक कम किया जा सकता है.
कौन सी समस्याएं कर सकती हैं परेशान
नई दिल्ली (दक्षिण) के हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ. राकेश अग्रवाल बताते हैं कि पहले के समय में हड्डियों व जोडों में दर्द व उनसे जुड़ी कई अन्य समस्याओं को बढ़ती उम्र की समस्याओं से जोड़ कर देखा जाता था. लेकिन आजकल बहुत कम उम्र से ही लोगों में इस प्रकार की समस्याएं काफी ज्यादा देखने में आने लगी हैं. हाथ-पांव, गर्दन व कमर में दर्द के साथ हड्डियों व मांसपेशियों में कमजोरी व उनसे जुड़े रोग आजकल स्कूल जाने वाले बच्चों में भी काफी ज्यादा आम हो गए हैं. जो कई बार समय पर ध्यान ना देने पर उम्र बढ़ने के साथ ज्यादा परेशानियों का कारण भी बन जाते हैं.
वह बताते हैं कि आजकल हर उम्र के लोगों में विटामिन डी की कमी काफी ज्यादा देखने में आने लगी है. ऐसा शरीर में पोषक तत्वों की कमी या उनके अवशोषण में समस्या सहित कुछ अन्य कारणों से भी हो सकता है. लेकिन यदि बच्चों में यह कमी होने लगे तो इसके कारण उनमें हड्डियों में कमजोरी हो सकती हैं. जिससे सामान्य चोट लगने पर भी हड्डी के ज्यादा क्षतिग्रस्त होने,टूटने या किसी भी प्रकार की बीमारी के चपेट में आने तथा मांसपेशियों के विकास में समस्या या उनमें कमजोरी व शिथिलता होने की आशंका बढ़ सकती है. वहीं हड्डियों व मांसपेशियों में कमजोरी उनमें दर्द का कारण भी बन सकती है.
वहीं यदि समय से इन समस्याओं को समझ कर सही इलाज या आहार व अन्य जरूरी सावधानियों को ना अपनाया जाए तो यह समस्याएं वयस्क होने पर अन्य कई गंभीर अवस्थाओं का कारण भी बन सकती हैं.
समाधान और रोकथाम
डॉ. राकेश अग्रवाल बताते हैं कि हड्डियों या मांसपेशियों से जुड़ी कमजोरी या उनमें रोग के लिए आहार से मिलने वाले पोषण की कमी या शारीरिक सक्रियता की कमी के साथ कई बार वंशानुगत रोग या अलग-अलग प्रकार के संक्रमण भी जिम्मेदार हो सकते हैं. लेकिन ज्यादातर समस्याओं में यहां तक की संक्रमण या आनुवंशिक रोग की अवस्था में भी इलाज तथा सही व जरूरी आहार के साथ जीवनशैली से जुड़ी कुछ विशेष सावधानियों को अपनाने से इन समस्याओं के प्रभावों को नियंत्रित रखने या उनके गंभीर प्रभावों से बचने में काफी मदद मिल सकती हैं. वे अच्छी आदतें जो ना सिर्फ बच्चों बल्कि बड़ों में भी हड्डियों व मांसपेशियों से जुड़े स्वास्थ्य को दुरुस्त रखने मे मदद कर सकती हैं उनमें से कुछ इस प्रकार हैं.
संतुलित आहार
आजकल के दौर में बचपन से ही बहुत से बच्चों में आहार से जुड़ी अनियमितताएं देखने में आती हैं, जैसे सही या पोषक आहार का सेवन ना करना, समय पर भोजन ना करना आदि. जिससे अन्य पोषक तत्वों के साथ उनमें हड्डियों व मांसपेशियों को स्वस्थ रखने व उनके विकास के लिए जरूरी कैल्शियम, विटामिन डी और प्रोटीन जैसे बेहद जरूरी पोषक तत्वों की कमी होने लगती हैं. वहीं उनके शरीर की पोषण के अवशोषण की क्षमता भी प्रभावित होती है. जिससे उनकी हड्डियां और मांसपेशियां कमजोर होने लगती हैं. हड्डियों व मांसपेशियों के स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए बहुत जरूरी हैं की आहार में दूध, दही, पनीर, पालक और बादाम जैसे कैल्शियम-युक्त आहार तथा प्रोटीन से भरपूर भोजन जैसे दालें, अंडा, चिकन और मूंगफली आदि को शामिल करें. वहीं विटामिन डी के लिए धूप में समय बिताएं.
शारीरिक गतिविधियां
आज के दौर में बहुत से बच्चे ज्यादा देर तक भागने दौड़ने वाले खेल खेलने की बजाय मोबाइल या कंप्यूटर पर खेलने को ज्यादा प्राथमिकता देते हैं. वहीं ज्यादातर बच्चों को कम उम्र में ही स्कूटर या बाइक मिल जाते हैं जिससे उनकी साइकिल चलाने या पैदल चलने जैसी गतिविधियां काफी कम हो जाती है. वहीं ज्यादातर वयस्कों में भी शारीरिक सक्रियता में कमी देखी जाती है. आफिस, खेल, पढ़ाई, टीवी देखने या किसी भी कारण से ज्यादा देर तक बैठे रहने, लेटे रहने या हाथों, कंधों व गर्दन के एक ही अवस्था में रहने वो भी गलत पॉशचर में, आदि भी हड्डियों व मांसपेशियों में कमजोरी व शिथिलता का कारण बन सकते हैं. इस प्रकार की अवस्था के बचने के लिए जरूरी हैं की बचपन से ही बच्चों को आउटडोर गेम्स खेलने के लिए प्रेरित करें. वहीं वयस्क भी आफिस हो या घर , शारीरिक रूप से सक्रिय रहने की कोशिश करें. इसके लिए नियमित व्यायाम, योग और स्ट्रेचिंग को भी दिनचर्या में शामिल किया जा सकता है. इसके अलावा स्विमिंग, साइकलिंग या रनिंग जैसे व्यायाम करने से मांसपेशियों का स्वास्थ्य बेहतर होता है और उनमें लचीलापन बढ़ता है
सही आदतें
बच्चों हो या बड़े, उठने, बैठने और लेटने से जुड़ी सही आदते अपनाने का प्रयास करें. जैसे सही पॉशचर में बैठने,पढ़ने व लेटने की आदत डालें. ज्यादा देर तक गर्दन-कंधे झुकाकर या आधे लेटे पॉश्चर में टीवी, मोबाइल या कंप्यूटर देखने से बचें. स्क्रीन टाइम को सीमित करें और समय से सोए व जागे. अच्छी नींद हमारे शरीर के सभी तंत्रों को दुरुस्त रखने तथा किसी प्रकार की समस्या की अवस्था में उन्हे हील होने में मदद करती है. इसके अलावा यदि शरीर के किसी भी हिस्से में लगातार दर्द या असहजता हो तो उसे अनदेखा ना करें और तत्काल चिकित्सक से संपर्क करें.
(डिस्क्लेमर: इस वेबसाइट पर आपको प्रदान की गई सभी स्वास्थ्य जानकारी, चिकित्सा सुझाव केवल आपकी जानकारी के लिए हैं. हम यह जानकारी वैज्ञानिक अनुसंधान, अध्ययन, चिकित्सा और स्वास्थ्य पेशेवर सलाह के आधार पर प्रदान कर रहे हैं, लेकिन बेहतर होगा कि इन पर अमल करने से पहले आप अपने निजी डॉक्टर की सलाह ले लें.)