इंदौर: इंदौर विकास प्राधिकरण (IDA) को सुप्रीम कोर्ट ने भी प्लॉटधारकों से मनमाना नामांतरण शुल्क वसूलने की हरी झडी नहीं दी. मध्यप्रदेश हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ से झटका मिलने के बाद इंदौर विकास प्राधिकऱण ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया. इससे इंदौर विकास प्राधिकरण से प्लॉट लेकर मकान बनाने वालों को बड़ी राहत मिली है.
हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गया आईडीए
बता दें कि इंदौर विकास प्राधिकरण द्वारा नामांतरण के नाम पर प्लॉटधारकों से मनमानी फीस ली जा रही थी. इसके विरोध में हाई कोर्ट में याचिका लगाई गई. हाई कोर्ट की डिविजन बेंच ने सुनवाई करते हुए आदेश दिए थे कि इंदौर विकास प्राधिकरण मनमाना शुल्क वसूल ना करे. इसके बाद इस आदेश को चुनौती देते हुए इंदौर विकास प्राधिकरण ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी लगाई, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने भी सुनवाई के बाद खारिज कर दिया है.
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अब केवल 5 हजार फीस ही देनी होगी प्लॉटधारक को
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता पंकज खंडेलवाल के मुताबिक "इंदौर विकास प्राधिकरण जब प्लॉट बेचता है तो यह शुल्क पहले ही वसूल लिया जाता है. जब प्लॉटधारक नामांतरण करवाने के लिए फिर से इंदौर विकास प्राधिकरण जाता है तो 6 फीसदी फीस वसूली जाती है. यदि किसी प्लॉट की कीमत 20 लाख है तो 6 फीसदी के हिसाब से 1,20000 रुपए इंदौर विकास प्राधिकरण को नामांतरण शुल्क देना पड़ता है. अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सिर्फ 5000 ही चुकाना होंगे. अब नामांतरण की अधिकतम राशि अब ₹5000 होगी, प्लॉट साइज कितना भी हो.