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एमपी पुलिस आरक्षक भर्ती में अनियमितता, मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने 14,000 वैकेंसी को लेकर मांगा जवाब - MP POLICE CONSTABLE RECRUITMENT

मध्य प्रदेश पुलिस आरक्षक भर्ती 2016 में हुई अनियमितता मामले में जबलपुर हाईकोर्ट ने गृह सचिव और डीजीपी से 13 फरवरी तक जवाब मांगा है. गृह विभाग ने जिला स्तरीय आरक्षण लिस्ट बनाकर हाईकोर्ट में पेश की जबकि यह भर्ती राज्य स्तरीय थी. आरक्षण में रोस्टर का पालन नहीं किया गया.

MP POLICE CONSTABLE RECRUITMENT
एमपी पुलिस आरक्षक भर्ती में अनियमितता का मामला (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jan 29, 2025, 10:11 PM IST

Updated : Jan 29, 2025, 10:47 PM IST

जबलपुर: मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने मध्य प्रदेश सरकार के गृह सचिव और डीजीपी को फटकार लगाई है. दरअसल मामला 2016 का है, इसमें कुछ उम्मीदवारों ने मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में याचिका दायर कर प्रदेश सरकार की आरक्षक भर्ती प्रक्रिया पर सवाल खड़े किए हैं. इन लोगों का कहना है कि उन्हें मेरिट के आधार पर पोस्टिंग नहीं दी गई है बल्कि पुलिस विभाग ने मनमाने तरीके से उन्हें कमतर विभागों में पोस्टिंग दी है. बता दें कि साल 2016 में पुलिस आरक्षक के लिए 14000 से ज्यादा पदों पर वैकेंसी निकली थी.

प्रवीण कुमार ने दी थी हाईकोर्ट में चुनौती

प्रवीण कुमार कुर्मी ने 2017 में आरक्षक भर्ती परीक्षा दी थी. प्रवीण का सिलेक्शन आरक्षण की बजाय सामान्य वर्ग में हुआ था, क्योंकि ऐसा नियम है कि यदि आरक्षित वर्ग का कोई कैंडिडेट अनारक्षित वर्ग के कैंडिडेट से ज्यादा नंबर लेकर आता है तो उसे सामान्य श्रेणी में भर्ती का लाभ मिलता है. प्रवीण को सामान्य श्रेणी के माध्यम से भर्ती का लाभ तो मिल गया लेकिन उन्हें उनकी पसंद का कैडर नहीं मिला.

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने गृह सचिव और डीजीपी से मांगा जवाब (ETV Bharat)

याचिका खारिज होने के बाद सुप्रीम कोर्ट में दी चुनौती

इसके बाद प्रवीण ने इसी मुद्दे को लेकर मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की. हाईकोर्ट ने प्रवीण के दावे को सही नहीं माना और याचिका खारिज कर दी. मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के आदेश को प्रवीण ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी और सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यदि प्रवीण कुर्मी का चयन उसकी काबिलियत के आधार पर सामान्य वर्ग में हुआ है तो उसे उसकी चॉइस से कैडर दिया जाए. इसके बाद प्रवीण को जिला पुलिस बल में भर्ती मिली.

प्रवीण की जीत के बाद दूसरे लोगों ने भी दायर की याचिका

प्रवीण जब केस जीत गए तो उसी को आधार बनाकर 889 दूसरे लोगों ने मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में याचिका दायर की और अपनी पद स्थापना के लिए मनचाहा कैडर मांगा. इस मामले में याचिकाकर्ताओं के एडवोकेट रामेश्वर सिंह ठाकुर का कहना है कि "आरक्षित वर्ग के ओबीसी उम्मीदवारों को चॉइस का लाभ नहीं दिया जाता और पुलिस विभाग जहां चाहता है उनकी पोस्टिंग कर देता है. इस मामले में मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने पुलिस हेडक्वार्टर से जवाब मांगा तो पुलिस विभाग ने आरोप सही नहीं माना और पुलिस हेडक्वाटर ने बताया कि इन सभी लोगों को उनका मनपसंद का कैडर ही दिया गया है."

पुलिस हेडक्वाटर के जवाब में उम्मीदवारों ने बताया कि वे सामान्य पुलिस बल में भर्ती होना चाहते थे. उनके मेरिट में सामान्य वर्ग के बराबर नंबर थे लेकिन उसके बावजूद उन्हें उनकी वरीयता के अनुसार पोस्टिंग नहीं दी गई और उन्हें सामान्य पुलिस बल की जगह स्पेशल टास्क फोर्स में पोस्टिंग दी गई.

पुलिस हेडक्वार्टर की ओर से तीन अलग-अलग जवाब

इस मामले में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में 2016 में ही याचिका दायर कर दी गई थी. इस मामले में पुलिस हेडक्वार्टर की ओर से 3 जवाब दाखिल हुए लेकिन यह तीनों जवाब परस्पर विरोधी हैं. इनमें से एक जवाब में बताया गया है कि ओबीसी के एक कैंडिडेट को 62 प्रतिशत हासिल करने पर सामान्य श्रेणी का लाभ दिया गया जबकि 72 प्रतिशत वाले कैंडिडेट को अन्य पिछड़ा वर्ग में नियुक्ति दी गई.
वहीं एक जवाब में पुलिस हेड क्वार्टर ने बताया कि इस भर्ती मैं कैडर जिलेवार तय किए गए थे ना कि प्रदेश के हिसाब से.

याचिकाकर्ताओं का कहना था कि जब भर्ती प्रदेश स्तर पर हो रही है तो जिलेवार कैडर क्यों तय किए गए. अब इस मामले में गृह सचिव और डीजीपी 13 फरवरी को जवाब देंगे.

मुख्य न्यायाधीश ने मांगा जवाब

इस मामले में वरिष्ठ अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर ने बताया कि "इस मामले की सुनवाई मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश सुरेश कुमार कैथ और न्यायमूर्ति विवेक जैन ने की. उन्होंने मध्य प्रदेश सरकार के पुलिस महानिरीक्षक और गृह सचिव से जवाब मांगा है कि वे आरक्षण की स्थिति स्पष्ट करें और आरक्षण के बाद जिन उम्मीदवारों को सामान्य श्रेणी में भर्ती किया है, उन्हें चॉइस फिलिंग का मौका क्यों नहीं दिया गया."

इस मामले में सागर के संदीप कुमार साहू के साथ दूसरे उम्मीदवारों ने याचिका दायर की है. वरिष्ठ अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर, विनायक शाह और राम भजन लोधी ने याचिकाकर्ताओं का पक्ष रखा. अब इस मामले में अगली सुनवाई 13 फरवरी को होगी.

कैसे होती है पुलिस भर्ती

पुलिस आरक्षक की भर्ती परीक्षा पास करने के बाद मेरिट के आधार पर पुलिस वालों को अलग-अलग कैडर मिलता है. इसमें सामान्य पुलिस बल, स्पेशल ब्रांच, क्राइम ब्रांच, स्पेशल टास्क फोर्स, रेडियो जैसे कई कैडर होते हैं. मेरिट सूची के आधार पर पास होने वाले उम्मीदवारों को अलग-अलग कैडर दिया जाता है. सबसे अच्छे नंबर पाने वालों को सामान्य पुलिस बल में भर्ती मिलती है. इसके बाद मेरिट के आधार पर अन्य विभागों में पोस्टिंग होती है. ज्यादातर लोग सामान्य पुलिस बल में जाना चाहते हैं.

जबलपुर: मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने मध्य प्रदेश सरकार के गृह सचिव और डीजीपी को फटकार लगाई है. दरअसल मामला 2016 का है, इसमें कुछ उम्मीदवारों ने मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में याचिका दायर कर प्रदेश सरकार की आरक्षक भर्ती प्रक्रिया पर सवाल खड़े किए हैं. इन लोगों का कहना है कि उन्हें मेरिट के आधार पर पोस्टिंग नहीं दी गई है बल्कि पुलिस विभाग ने मनमाने तरीके से उन्हें कमतर विभागों में पोस्टिंग दी है. बता दें कि साल 2016 में पुलिस आरक्षक के लिए 14000 से ज्यादा पदों पर वैकेंसी निकली थी.

प्रवीण कुमार ने दी थी हाईकोर्ट में चुनौती

प्रवीण कुमार कुर्मी ने 2017 में आरक्षक भर्ती परीक्षा दी थी. प्रवीण का सिलेक्शन आरक्षण की बजाय सामान्य वर्ग में हुआ था, क्योंकि ऐसा नियम है कि यदि आरक्षित वर्ग का कोई कैंडिडेट अनारक्षित वर्ग के कैंडिडेट से ज्यादा नंबर लेकर आता है तो उसे सामान्य श्रेणी में भर्ती का लाभ मिलता है. प्रवीण को सामान्य श्रेणी के माध्यम से भर्ती का लाभ तो मिल गया लेकिन उन्हें उनकी पसंद का कैडर नहीं मिला.

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने गृह सचिव और डीजीपी से मांगा जवाब (ETV Bharat)

याचिका खारिज होने के बाद सुप्रीम कोर्ट में दी चुनौती

इसके बाद प्रवीण ने इसी मुद्दे को लेकर मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की. हाईकोर्ट ने प्रवीण के दावे को सही नहीं माना और याचिका खारिज कर दी. मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के आदेश को प्रवीण ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी और सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यदि प्रवीण कुर्मी का चयन उसकी काबिलियत के आधार पर सामान्य वर्ग में हुआ है तो उसे उसकी चॉइस से कैडर दिया जाए. इसके बाद प्रवीण को जिला पुलिस बल में भर्ती मिली.

प्रवीण की जीत के बाद दूसरे लोगों ने भी दायर की याचिका

प्रवीण जब केस जीत गए तो उसी को आधार बनाकर 889 दूसरे लोगों ने मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में याचिका दायर की और अपनी पद स्थापना के लिए मनचाहा कैडर मांगा. इस मामले में याचिकाकर्ताओं के एडवोकेट रामेश्वर सिंह ठाकुर का कहना है कि "आरक्षित वर्ग के ओबीसी उम्मीदवारों को चॉइस का लाभ नहीं दिया जाता और पुलिस विभाग जहां चाहता है उनकी पोस्टिंग कर देता है. इस मामले में मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने पुलिस हेडक्वार्टर से जवाब मांगा तो पुलिस विभाग ने आरोप सही नहीं माना और पुलिस हेडक्वाटर ने बताया कि इन सभी लोगों को उनका मनपसंद का कैडर ही दिया गया है."

पुलिस हेडक्वाटर के जवाब में उम्मीदवारों ने बताया कि वे सामान्य पुलिस बल में भर्ती होना चाहते थे. उनके मेरिट में सामान्य वर्ग के बराबर नंबर थे लेकिन उसके बावजूद उन्हें उनकी वरीयता के अनुसार पोस्टिंग नहीं दी गई और उन्हें सामान्य पुलिस बल की जगह स्पेशल टास्क फोर्स में पोस्टिंग दी गई.

पुलिस हेडक्वार्टर की ओर से तीन अलग-अलग जवाब

इस मामले में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में 2016 में ही याचिका दायर कर दी गई थी. इस मामले में पुलिस हेडक्वार्टर की ओर से 3 जवाब दाखिल हुए लेकिन यह तीनों जवाब परस्पर विरोधी हैं. इनमें से एक जवाब में बताया गया है कि ओबीसी के एक कैंडिडेट को 62 प्रतिशत हासिल करने पर सामान्य श्रेणी का लाभ दिया गया जबकि 72 प्रतिशत वाले कैंडिडेट को अन्य पिछड़ा वर्ग में नियुक्ति दी गई.
वहीं एक जवाब में पुलिस हेड क्वार्टर ने बताया कि इस भर्ती मैं कैडर जिलेवार तय किए गए थे ना कि प्रदेश के हिसाब से.

याचिकाकर्ताओं का कहना था कि जब भर्ती प्रदेश स्तर पर हो रही है तो जिलेवार कैडर क्यों तय किए गए. अब इस मामले में गृह सचिव और डीजीपी 13 फरवरी को जवाब देंगे.

मुख्य न्यायाधीश ने मांगा जवाब

इस मामले में वरिष्ठ अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर ने बताया कि "इस मामले की सुनवाई मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश सुरेश कुमार कैथ और न्यायमूर्ति विवेक जैन ने की. उन्होंने मध्य प्रदेश सरकार के पुलिस महानिरीक्षक और गृह सचिव से जवाब मांगा है कि वे आरक्षण की स्थिति स्पष्ट करें और आरक्षण के बाद जिन उम्मीदवारों को सामान्य श्रेणी में भर्ती किया है, उन्हें चॉइस फिलिंग का मौका क्यों नहीं दिया गया."

इस मामले में सागर के संदीप कुमार साहू के साथ दूसरे उम्मीदवारों ने याचिका दायर की है. वरिष्ठ अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर, विनायक शाह और राम भजन लोधी ने याचिकाकर्ताओं का पक्ष रखा. अब इस मामले में अगली सुनवाई 13 फरवरी को होगी.

कैसे होती है पुलिस भर्ती

पुलिस आरक्षक की भर्ती परीक्षा पास करने के बाद मेरिट के आधार पर पुलिस वालों को अलग-अलग कैडर मिलता है. इसमें सामान्य पुलिस बल, स्पेशल ब्रांच, क्राइम ब्रांच, स्पेशल टास्क फोर्स, रेडियो जैसे कई कैडर होते हैं. मेरिट सूची के आधार पर पास होने वाले उम्मीदवारों को अलग-अलग कैडर दिया जाता है. सबसे अच्छे नंबर पाने वालों को सामान्य पुलिस बल में भर्ती मिलती है. इसके बाद मेरिट के आधार पर अन्य विभागों में पोस्टिंग होती है. ज्यादातर लोग सामान्य पुलिस बल में जाना चाहते हैं.

Last Updated : Jan 29, 2025, 10:47 PM IST
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