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देश का सबसे छोटा गांव गुज्जीडोंगरी, आबादी गिनने ऊंगलियों की भी जरुरत नहीं, देखें फोटो - SMALLEST VILLAGE OF INDIA

छिदवाड़ा के गुज्जीडोंगरी गांव को देश का सबसे छोटा गांव कह सकते हैं. इस गांव में केवल एक घर है, जिसमें 7 लोग रहते हैं. पढ़िए छिंदवाड़ा से महेंद्र राय की रिपोर्ट.

SMALLEST VILLAGE OF INDIA
छिंदवाड़ा का गुज्जीडोंगरी गांव देश का सबसे छोटा गांव (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : 16 hours ago

Updated : 2 hours ago

छिंदवाड़ा: देश का सबसे छोटे गांव घूमना चाहते हैं तो मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा चले आइये. क्योंकि यहां पर है देश का सबसे छोटा गांव, जिसकी आबादी आप उंगलियों पर गिन सकते हैं. घरों की संख्या सुनकर तो आप चौंक जाएंगे. इस गांव में भारिया जनजाति के लोग रहते हैं. जानिए आखिर क्यों इसे देश का सबसे छोटा गांव कहा जा सकता है.

एक घर का गांव, 7 लोगों की आबादी
पातालकोट के 12 ग्रामों में शामिल गुज्जीडोंगरी पहाड़ पर बसा इकलौता गांव है, जहां एक ही परिवार रहता है. परिवार में 7 लोग हैं. खुन्नालाल भारती पातालकोट के ग्राम गुज्जीडोंगरी में रहते हैं. इस गांव में उनका इकलौता मकान है. कारेआम गांव से खेत खलियान होते हुए गैलडुब्बा के पास गायनी नदी के नजदीक गुज्जीडोंगरी जाने का रास्ता है.

गायनी नदी के सामने पहाड़ी मैदान पर बसा गांव गुज्जीडोंगरी के लिए एकमात्र पैदल रास्ता है. लगभग 4 किमी चलने के बाद गांव नजर आता है. गुज्जीडोंगरी के खुन्नूलाल भारती और उनकी पत्नी शांति भारती हर दिन इस पहाड़ी से कारेआम गांव आते हैं. खुन्नालाल भारती ने बताया कि, ''उनके दादा परदादा यही रहते थे, उनका पुस्तैनी मकान है. बच्चे पढ़ने के लिए घटलिंगा के स्कूल जाते हैं.''

INDIA SMALL VILLAGE GUJJIAKHEDI
गुज्जीडोंगरी गांव में केवल एक घर मौजूद है (ETV Bharat)

टूरिस्ट को खिलाते हैं देसी खाना, जड़ी बूटियां से इलाज
खुन्नालाल की पत्नी शांति कारेआम गांव में भोजन की दुकान चलाती हैं. वह चूल्हे पर मक्के की रोटी और टमाटर की चटनी पर्यटकों को खिलाती हैं. उसके पास ही खुन्नालाल पातालकोट की जड़ी बूटी की दुकान लगाते हैं. गुज्जीडोंगरी गांव राजस्व ग्राम में तीन ग्राम के साथ शामिल है. जिसमें दौरियापाठा, घोघरी तथा गुज्जीडोंगरी शामिल हैं. गुज्जीडोंगरी गांव के सामने उत्तर पश्चिम में सुखाभंड की पहाड़ी है. जहां झरने से पाइप के माध्यम से पानी लाकर खुन्नालाल अपने खेतों में सिंचाई करते हैं.

खुन्नालाल बताते है कि, ''पीएम जनमन में उन्हें आवास स्वीकृत हुआ है. उनके घर के पास तक गवाड़ी गांव से सड़क बनेगी.'' खुन्नालाल अपनी पत्नी और बेटी दामाद के साथ रहते हैं. खन्नूलाल सुखाभंड की पहाड़ी से होते हुए शुक्रवार को तामिया के हाट बाजार जाते हैं. इस दुर्गम ग्राम में जाने के लिए ट्रेकिंग करना एकमात्र विकल्प है.''

पातालकोट की पहाड़ियों के बीच रहते हैं भारिया जनजाति में लोग
मध्यप्रदेश की तीन विशेष पिछड़ी जनजातियों में से एक छिंदवाडा जिले में है. तामिया विकासखंड में पातालकोट क्षेत्र के अंर्तगत 12 गांवों में भारिया जनजाति के लोग निवास करते हैं. इसके लिए पातालकोट भारिया विकास अभिकरण की स्थापना 26 जून 1978 में की गई थी. पातालकोट की जनसंख्या अनुमानित 3200 है. आदिवासियों में भारिया तथा गोंड जनजाति शामिल हैं, जो पातलकोट के 12 ग्रामों में निवास करते हैं.

मध्यप्रदेश शासन के आदेश में छिंदवाड़ा जिले के तामिया ब्लाक के पातालकोट के 12 ग्रामों में निवासरत भारिया जनजाति को ही विशेष पिछड़ी जनजाति का दर्जा दिया गया है. वहीं छिंदवाड़ा जिले के तामिया में भारिया की जनसंख्या कुल 8 हजार 184 है. जिसमें सिर्फ पातालकोट के 607 परिवार चिन्हांकित हैं.

ट्रायबल सब प्लान के तहत बनी थी योजना
पातालकोट के 12 गावों की मैदानी हकीकत सरकारी आंकड़ों से इतर है. आदिवासियों के जीवन स्तर को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने उनके उत्थान के लिए 46 साल पहले पातालकोट अभिकरण की स्थापना हुई थी. 1978 में गठित पातालकोट विकास अभिकरण ने वर्तमान वित्तीय वर्ष तक 2433.26 लाख की राशि विकास कार्यों के लिये खर्च की है. उसके बाद भी आदिवासी परिवारों के जीवन स्तर में कोई खास बदलाव नहीं आया है.

खेतों और पहाड़ों में रहते हैं भारिया जनजाति के लोग
भारिया विकास प्राधिकरण केंद्र के अध्यक्ष दिनेश अंगरिया का कहना है कि, ''पातालकोट में भारिया जनजाति निवास करती है, जो अपने खेतों और पहाड़ों में मकान बनाकर रहते हैं. ऐसे कई इलाके हैं जहां सीमित संख्या में मकान हैं. गुज्जीडोंगरी भी एक ऐसा ही छोटा गांव है. जहां पर एक ही परिवार निवास करता है. जो ग्राम पंचायत दोरियापाठा के अंतर्गत आता है.''

छिंदवाड़ा: देश का सबसे छोटे गांव घूमना चाहते हैं तो मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा चले आइये. क्योंकि यहां पर है देश का सबसे छोटा गांव, जिसकी आबादी आप उंगलियों पर गिन सकते हैं. घरों की संख्या सुनकर तो आप चौंक जाएंगे. इस गांव में भारिया जनजाति के लोग रहते हैं. जानिए आखिर क्यों इसे देश का सबसे छोटा गांव कहा जा सकता है.

एक घर का गांव, 7 लोगों की आबादी
पातालकोट के 12 ग्रामों में शामिल गुज्जीडोंगरी पहाड़ पर बसा इकलौता गांव है, जहां एक ही परिवार रहता है. परिवार में 7 लोग हैं. खुन्नालाल भारती पातालकोट के ग्राम गुज्जीडोंगरी में रहते हैं. इस गांव में उनका इकलौता मकान है. कारेआम गांव से खेत खलियान होते हुए गैलडुब्बा के पास गायनी नदी के नजदीक गुज्जीडोंगरी जाने का रास्ता है.

गायनी नदी के सामने पहाड़ी मैदान पर बसा गांव गुज्जीडोंगरी के लिए एकमात्र पैदल रास्ता है. लगभग 4 किमी चलने के बाद गांव नजर आता है. गुज्जीडोंगरी के खुन्नूलाल भारती और उनकी पत्नी शांति भारती हर दिन इस पहाड़ी से कारेआम गांव आते हैं. खुन्नालाल भारती ने बताया कि, ''उनके दादा परदादा यही रहते थे, उनका पुस्तैनी मकान है. बच्चे पढ़ने के लिए घटलिंगा के स्कूल जाते हैं.''

INDIA SMALL VILLAGE GUJJIAKHEDI
गुज्जीडोंगरी गांव में केवल एक घर मौजूद है (ETV Bharat)

टूरिस्ट को खिलाते हैं देसी खाना, जड़ी बूटियां से इलाज
खुन्नालाल की पत्नी शांति कारेआम गांव में भोजन की दुकान चलाती हैं. वह चूल्हे पर मक्के की रोटी और टमाटर की चटनी पर्यटकों को खिलाती हैं. उसके पास ही खुन्नालाल पातालकोट की जड़ी बूटी की दुकान लगाते हैं. गुज्जीडोंगरी गांव राजस्व ग्राम में तीन ग्राम के साथ शामिल है. जिसमें दौरियापाठा, घोघरी तथा गुज्जीडोंगरी शामिल हैं. गुज्जीडोंगरी गांव के सामने उत्तर पश्चिम में सुखाभंड की पहाड़ी है. जहां झरने से पाइप के माध्यम से पानी लाकर खुन्नालाल अपने खेतों में सिंचाई करते हैं.

खुन्नालाल बताते है कि, ''पीएम जनमन में उन्हें आवास स्वीकृत हुआ है. उनके घर के पास तक गवाड़ी गांव से सड़क बनेगी.'' खुन्नालाल अपनी पत्नी और बेटी दामाद के साथ रहते हैं. खन्नूलाल सुखाभंड की पहाड़ी से होते हुए शुक्रवार को तामिया के हाट बाजार जाते हैं. इस दुर्गम ग्राम में जाने के लिए ट्रेकिंग करना एकमात्र विकल्प है.''

पातालकोट की पहाड़ियों के बीच रहते हैं भारिया जनजाति में लोग
मध्यप्रदेश की तीन विशेष पिछड़ी जनजातियों में से एक छिंदवाडा जिले में है. तामिया विकासखंड में पातालकोट क्षेत्र के अंर्तगत 12 गांवों में भारिया जनजाति के लोग निवास करते हैं. इसके लिए पातालकोट भारिया विकास अभिकरण की स्थापना 26 जून 1978 में की गई थी. पातालकोट की जनसंख्या अनुमानित 3200 है. आदिवासियों में भारिया तथा गोंड जनजाति शामिल हैं, जो पातलकोट के 12 ग्रामों में निवास करते हैं.

मध्यप्रदेश शासन के आदेश में छिंदवाड़ा जिले के तामिया ब्लाक के पातालकोट के 12 ग्रामों में निवासरत भारिया जनजाति को ही विशेष पिछड़ी जनजाति का दर्जा दिया गया है. वहीं छिंदवाड़ा जिले के तामिया में भारिया की जनसंख्या कुल 8 हजार 184 है. जिसमें सिर्फ पातालकोट के 607 परिवार चिन्हांकित हैं.

ट्रायबल सब प्लान के तहत बनी थी योजना
पातालकोट के 12 गावों की मैदानी हकीकत सरकारी आंकड़ों से इतर है. आदिवासियों के जीवन स्तर को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने उनके उत्थान के लिए 46 साल पहले पातालकोट अभिकरण की स्थापना हुई थी. 1978 में गठित पातालकोट विकास अभिकरण ने वर्तमान वित्तीय वर्ष तक 2433.26 लाख की राशि विकास कार्यों के लिये खर्च की है. उसके बाद भी आदिवासी परिवारों के जीवन स्तर में कोई खास बदलाव नहीं आया है.

खेतों और पहाड़ों में रहते हैं भारिया जनजाति के लोग
भारिया विकास प्राधिकरण केंद्र के अध्यक्ष दिनेश अंगरिया का कहना है कि, ''पातालकोट में भारिया जनजाति निवास करती है, जो अपने खेतों और पहाड़ों में मकान बनाकर रहते हैं. ऐसे कई इलाके हैं जहां सीमित संख्या में मकान हैं. गुज्जीडोंगरी भी एक ऐसा ही छोटा गांव है. जहां पर एक ही परिवार निवास करता है. जो ग्राम पंचायत दोरियापाठा के अंतर्गत आता है.''

Last Updated : 2 hours ago
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