सिवनी: जिले के छपारा में रहने वाला भूरा हर मंगलवार और शनिवार को हनुमान मंदिर में जाता और मंदिर में होने वाले भंडारे का वह प्रसाद भी लेता था. लेकिन उसके मन में इच्छा रहती थी कि कभी वह हनुमान जी के मंदिर में भंडारा करवाकर एक साथ हजारों लोगों को भगवान का प्रसाद खिलाए. लेकिन वो अपना सपना पूरा कर सके इतना उसके पास पैसा नहीं होता था. फिर उसने कुछ ऐसा किया कि अब हर मंगलवार और शनिवार हनुमान मंदिर में भंडारा करवाता है.
बस स्टैंड पर गुमठी, हनुमानजी के नाम पर बेचता है चाय
छपारा बस स्टैंड पर छोटी सी गुमठी, दहकती सिगड़ी में उबलती हुई चाय और सुबह 5 बजे गुमठी के आसपास लोगों की भीड़. यह नजारा होता है भूरा की चाय की गुमठी पर. चाय का स्वाद भी ऐसा की अगर किसी ने एक चुस्की ली तो दूसरी बार यहां की चाय पीने के लिए मजबूर हो जाता है. इसलिए बस स्टैंड से जो भी गुजरता है भूरा चाय सेंटर पर जरूर रुकता है. भूरा चाय सेंटर की शुरुआत के पीछे दिलचस्प कहानी है. आखिर भूरा की चाय क्यों फेमस है, जानिए.
कमाई से करता है भंडारा
लाल कलर में पुती हुई गुमठी और उस पर लिखा हुआ भूरा चाय सेंटर. मंगलवार और शनिवार उधारी बंद है. इसके पीछे की बड़ी दिलचस्प कहानी है. चाय बेचने वाले भूरा ने बताया कि, ''वह हनुमान जी की पूजा करता है और हर मंगलवार व शनिवार को हनुमान जी के मंदिर जाता है. जहां पर भंडारा होता था और भंडारे में हजारों लोगों के साथ वह भी खाना खाता था. उसकी भी इच्छा होती थी कि भगवान के मंदिर में खुद की कमाई से भंडारा कराए. लेकिन उसके पास उतना पैसा नहीं होता था. एक दिन उसके मन में आया कि वह कुछ ऐसा करें जिससे भगवान के मंदिर में भंडारा भी हो सके और खुद की जिंदगी भी आसानी से बीत सके.''
मंगलवार-शनिवार भूरा चाय सेंटर में बंद रहती है उधारी
फिर उसके मन में चाय की दुकान खोलने का विचार आया. यूं तो हफ्ते में 5 दिन उधारी और नगद दोनों तरह से व्यापार करता है. लेकिन मंगलवार और शनिवार को उधारी बिल्कुल नहीं करता. क्योंकि मंगलवार और शनिवार को जितनी भी कमाई होती है उससे हनुमान जी के मंदिर में भंडारा करता है. यह करीब 3 सालों से लगातार कर रहा है.
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बिना चंदे का होता है भंडारा
चाय बेचने वाले भूरा ने बताया कि, ''आमतौर पर अधिकतर लोग भंडारे के नाम पर चंदा लेते हैं और फिर भंडारा करते हैं. कुछ सक्षम लोग होते हैं जो अकेले भंडारा कर लेते हैं. मेरी भी हमेशा इच्छा रहती थी कि मैं अपने खर्चे से भंडारा कराऊं, लेकिन इतना पैसा नहीं होता था. अब मंगलवार और शनिवार को मेरी दुकान पर दोगुनी कमाई होती है.''
''लोग भले ही हनुमान जी के भंडारे के नाम पर मेरी दुकान पर चाय पीते हैं, लेकिन वो मेरी कमाई होती है. कुछ लोग भंडारे में आर्थिक रूप से सहायता करना चाहते हैं, इसलिए मेरी दुकान पर आकर चाय पीते हैं और नगद पैसा देकर जाते हैं. दोनों दिनों में दोगुनी कमाई होती है. उसी से भगवान की कृपा के चलते हर मंगलवार और शनिवार भंडारा होता है.''