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जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने अपने ऑफिस में लगी 1971 युद्ध की पेंटिंग क्यों बदली? सेना प्रमुख ने किया खुलासा - ARMY CHIEF UPENDRA DWIVEDI

सेना प्रमुख के लाउंज से 1971 के युद्ध पर बनी पेंटिंग को हटा दिया गया था, जिसको लेकर उनकी आलोचना हुई थी.

Army chief Upendra Dwivedi
भारतीय सेना के प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी (ANI)

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jan 15, 2025, 1:00 PM IST

नई दिल्ली: भारतीय सेना के प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने रायसीना हिल्स स्थित अपने कार्यालय में लगी 1971 के युद्ध में पाकिस्तान के आत्मसमर्पण की एक प्रतिष्ठित पेंटिंग को बदलने पर बात की. इस दौरान उन्होंने उस पेंटिग के पीछे के संदर्भ को भी बताया. जनरल द्विवेदी ने 28 मद्रास रेजिमेंट के लेफ्टिनेंट कर्नल थॉमस जैकब को भारतीय महाकाव्य महाभारत के लिए एक श्रद्धांजलि 'करम क्षेत्र' नामक पेंटिंग के निर्माण का क्रेडिट भी दिया.

न्यूज एजेंसी पीटीआई ने द्विवेदी के हवाले से कहा, "अगर आप भारत के स्वर्णिम इतिहास को देखें - तो इसमें तीन अध्याय हैं. इसमें ब्रिटिश काल, मुगल काल और उससे पहले का काल है. अगर हम इसे सेना के दृष्टिकोण से जोड़ना चाहते हैं, तो इसका सिंबलाइजेशन महत्वपूर्ण हो जाता है." द्विवेदी ने कहा कि पेंटिंग लेफ्टिनेंट कर्नल जैकब द्वारा बनाई गई थी, जो सेना में युवा पीढ़ी से संबंधित हैं.

उन्होंने कहा कि अगर भारतीय चाणक्य को नहीं जानते हैं, तो उन्हें अपने सभ्यतागत दृष्टिकोण को फिर से देखना चाहिए. उन्होंने कहा, "अगर मुझे अतीत, वर्तमान और भविष्य को जोड़ना है, तो यह उसका प्रतीक है."

चित्र बदलने पर विवाद
बता दें कि दिसंबर में सेना प्रमुख के लाउंज से 1971 के युद्ध पर बनी पेंटिंग को हटा दिया गया था और बाद में इसे मानेकशॉ कन्वेंशन सेंटर में स्थापित किया गया था. ऐतिहासिक पेंटिंग को शिफ्ट किए जाने से सेना के कई दिग्गज दुखी हैं और उन्होंने इस निर्णय की आलोचना की.जनरल द्विवेदी ने स्पष्ट किया कि सेना प्रमुख के पास दो लाउंज हैं और आत्मसमर्पण की पेंटिंग मानेकशॉ सेंटर के लाउंज में है.

सेना के अनुसार, इसके स्थान पर रखी गई नई पेंटिंग सेना को 'धर्म' के संरक्षक के रूप में दर्शाती है जो राष्ट्र के मूल्यों की रक्षा करती है और तकनीकी रूप से एडवांस यूनिफाइड फोर्स के रूप में इसके विकास को दर्शाती है.

इसमें पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग त्सो झील के आसपास बर्फ से ढके पहाड़, कृष्ण का रथ और चाणक्य हैं जो रणनीतिक ज्ञान का प्रतिनिधित्व करते हैं. सेना प्रमुख ने सुझाव दिया कि नई पेंटिंग वर्तमान वास्तविकताओं को ध्यान में रखते हुए बनाई गई थी, क्योंकि उन्होंने उत्तरी मोर्चे से आने वाली चुनौतियों के मद्देनजर सैनिकों के पुनर्संतुलन के बारे में उल्लेख किया था.

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