नई दिल्ली: जेएनयू छात्रसंघ (जेएनयूएसयू) चुनाव को लेकर अधिसूचना हाईकोर्ट के निर्देशों पर आधारित हो गई है. पिछले साल हुए चुनावों में हाईकोर्ट की ओर से सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायमूर्ति को पर्यवेक्षक नियुक्त किया गया था. इन्होंने चुनाव के बाद शिकायत निवारण समिति (जीआरसी) और लिंगदोह समिति की सिफारिशों को लेकर आपत्ति जताई थी. अब जेएनयू की ओर से हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई है. हाईकोर्ट के निर्देश का इंतजार किया जा रहा है. जेएनयू में प्रवेश प्रक्रिया पूरी हो चुकी है और अब तक चुनाव के लिए अधिसूचना जारी नहीं की गई है. प्रवेश प्रक्रिया पूरी होने के छह से आठ हफ्ते में छात्रसंघ चुनाव संपन्न कराए जाते हैं.
चार फरवरी को प्रवेश प्रक्रिया पूरी हो गई है. लेकिन, हाईकोर्ट में मामला जाने से अधिसूचना जारी नहीं हो पा रही है. अधिसूचना जारी करने को लेकर छात्रसंघ के पदाधिकारियों के नेतृत्व में अधिष्ठाता छात्र कल्याण (डीओएस) प्रो. मनुराधा चौधरी के कार्यालय पर प्रदर्शन किया. उन्होंने जल्द से जल्द अधिसूचना जारी करने की मांग की. जेएनयूएसयू के संयुक्त सचिव मोहम्मद साजिद ने कहा कि डीओएस ने हाईकोर्ट के निर्देश की बात कही है और हमें दो हफ्ते रुकने को कहा है. जेएनयू प्रशासन चुनाव कराना नहीं चाहता.
उन्होंने कहा कि अगर जल्द अधिसचूना जारी नहीं होती तो आंदोलन किया जाएगा, क्योंकि अधिसूचना जारी होने के बाद यूनिवर्सिटी जनरल बॉडी मीटिंग (यूजीबीएम) आयोजित करनी होगी. इसके बाद चुनाव समिति बनेगी और फिर चुनाव हो सकेंगे. डीओएस प्रो. मनुराधा चौधरी ने कहा कि पिछले साल कोर्ट द्वारा नियुक्त पर्यवेक्षक ने आपत्तियां जताई थीं. इसके बाद हमने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की है और उनके निर्देश का इंतजार कर रहे हैं. आपत्तियों के निस्तारण के बाद ही चुनाव की अधिसूचना जारी की जा सकती है.
छात्र संगठनों में बढ़ने लगा टकराव: विश्वविद्यालय में चुनाव से पहले ही छात्र समूहों में टकराव दिखने लगा है. चुनाव की अधिसूचना जारी न होने पर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद और अन्य छात्रों की ओर से 24 फरवरी को यूजीबीएम का आह्वान कर दिया गया है. उधर, जेएनयूएसयू ने इसे अवैधानिक बताया है. एबीवीपी की जेएनयू इकाई सचिव शिखा स्वराज ने कहा कि चुनाव के लिए जेएनयूएसयू कोई पहल नहीं कर रहा था, इसलिए छात्रों के हित में हमने यूजीबीएम कराने का निर्णय लिया. उधर, जेएनयूएसयू के संयुक्त सचिव साजिद ने कहा कि यूजीबीएम का आह्वान छात्र कर सकते हैं, लेकिन उसके लिए 10 प्रतिशत छात्रों के हस्ताक्षर की जरूरत पड़ती है. इसे छात्रसंघ के सचिव को देना होता और वह अध्यक्ष से अनुमति लेकर ही यूजीबीएम की सहमति दे सकते हैं. ऐसे में यूजीबीएम का आह्वान अवैधानिक है.
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