नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को मद्रास हाई कोर्ट के पारित निर्देशों को खारिज कर दिया, जिसमें एक प्राइवेट कंपनी को 2023 में चेन्नई में फॉर्मूला 4 रेसिंग इवेंट के संबंध में तमिलनाडु सरकार को 42 करोड़ रुपये का भुगतान करने को कहा गया था.
जस्टिस पीएस नरसिम्हा और मनोज मिश्रा की बेंच ने कहा कि एक बार जब हाई कोर्ट को यह संतुष्टि हो गई कि खेल आयोजन आयोजित करने का निर्णय नीतिगत मामला है, तो वह प्राधिकरण और रेसिंग प्रमोशन प्राइवेट लिमिटेड (आरपीपीएल) के बीच हुए समझौता ज्ञापन की विशिष्ट शर्तों में हस्तक्षेप नहीं कर सकता.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मद्रास हाई कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार के खेल निकाय और कार्यक्रम आयोजक रेसिंग प्रमोशन प्राइवेट लिमिटेड (RPPL) के बीच अनुबंध की शर्तों में हस्तक्षेप करके अपने अधिकार क्षेत्र का 'अतिक्रमण' किया है. जस्टिस नरसिम्हा ने निर्णय लिखते हुए कहा कि, उनका मानना है कि हाई कोर्ट ने निर्देश (iv), (v), (vi) और (vii) जारी करने में गलती की है, जिसे कानून में कायम नहीं रखा जा सकता."
बेंच ने कहा कि सार्वजनिक वित्त में जिस सूक्ष्म-अर्थशास्त्र को माना जाता है, उसमें निजी भागीदारी शामिल है और इसे अब तीन रणनीतिक निवेशों में देखा जा सकता है. एक जनहित याचिका पर कार्रवाई करते हुए हाई कोर्ट ने कई निर्देश पारित किए थे, जिनमें से एक के अनुसार आरपीपीएल को तमिलनाडु सरकार को 42 करोड़ रुपये भुगतान करना था.
राज्य ने कार्यक्रम आयोजित होने से पहले सरकारी खजाने से राशि खर्च कर दी थी. राज्य सरकार ने 8 से 10 दिसंबर के बीच कार्यक्रम आयोजित करने के लिए 2 नवंबर, 2023 को एक बयान जारी किया. हाई कोर्ट में जनहित याचिकाएं दायर की गईं, जिनमें सार्वजनिक असुविधा, सुरक्षा उपायों की कमी, ध्वनि प्रदूषण, पर्यावरण और पारिस्थितिकी को नुकसान, और कार्यक्रम के लिए सार्वजनिक धन के उपयोग में पारदर्शिता की कमी जैसे कई आपत्तियां उठाई गईं, जिससे एक निजी पार्टी को लाभ हो.
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