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केरल में घायल हाथी को ट्रैंक्विलाइजर गन से बेहोश कर पकड़ा, डॉक्टर कर रहे इलाज - KERALA WILD ELEPHANT

केरल में एक हाथी को घाव हो गया था. ट्रैंक्विलाइजर गन से बेहोश कर उसे पकड़ा गया. हाथी का इलाज किया जा रहा है.

Kerala Wild Elephant
केरल में हाथी को पकड़ने की तैयारी में जुटी टीम. (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Feb 19, 2025, 1:51 PM IST

त्रिशूर: केरल के अथिरापिल्ली में एक हाथी को सिर में घाव हो गया था. उसका इलाज करने के लिए ट्रैंक्विलाइजर गन से बेहोश कर उसे पकड़ा गया. हाथी के सिर पर गंभीर घाव हो गया था. बाद में बचाव दल ने हाथी का प्रारंभिक इलाज किया. हाथी को बेहतर इलाज के लिए एर्नाकुलम जिले के कोडानाड में कपरीक्कड़ अभयारण्य में भेज दिया गया.

अभयारण्य में हो रहा इलाजः डॉ. अरुण ज़कारिया के नेतृत्व में दल उस स्थान पर पहुंच गया जहां हाथी को रखा गया है. घायल हाथी को डार्ट लगाने के बाद उसे ले जाने की कोशिश में हाथी बेहोश हो गया था. डॉ. अरुण जकारिया के नेतृत्व में डॉक्टरों की टीम ने हाथी के घाव को साफ किया. बाद में उसे ट्रक में लादकर कोडानाड भेज दिया गया.

Kerala Wild Elephant
केरल में घायल हाथी. (ETV Bharat)

ट्रैंक्विलाइजर गन से हाथी को काबू करने वाले डॉ. अरुण जकारिया ने ईटीवी भारत को बताया, "घाव में कीड़े भरे हुए थे. घाव को साफ किया गया और कीड़े निकाले गए. दवा लगाई गई और घाव पर पट्टी बांधी गई. संक्रमण सबसे बड़ी चुनौती होती है. जंगल में इलाज जोखिम भरा है, इसीलिए इसे कोडानाड ले जाया जा रहा है. हाथी की स्वास्थ्य स्थिति पर टिप्पणी करना असंभव है. अगले दो दिन महत्वपूर्ण हैं."

हाथियों के उपचार के विशेषज्ञ डॉ. विवेक ने बताया कि मक्खियां जब घाव पर आती हैं और अंडे देती हैं तो कीड़े पैदा होते हैं. डॉ. विवेक ने कहा, "घाव में कीड़े बढ़ेंगे, साथ ही सूंड से रेत फेंकी जाएगी, जिससे घाव सड़ जाएगा. सबसे पहली चुनौती मवाद को पूरी तरह निकालना है. शुरुआती चरण में विशेष रूप से सुसज्जित पिंजरे में हल्की बेहोशी के साथ इलाज किया जाएगा. बैक्टीरिया को फैलने से रोकने के लिए एंटीबायोटिक्स इंजेक्शन और मुंह से दिए जाएंगे. उम्मीद है कि तीन हफ्ते बाद भी हाथी की सेहत में सुधार होगा."

इसे भी पढ़ेंः क्या है यांत्रिक हाथी? केरल में हाथियों के कहर से बचने के लिए PETA ने इसके प्रयोग की दी सलाह

त्रिशूर: केरल के अथिरापिल्ली में एक हाथी को सिर में घाव हो गया था. उसका इलाज करने के लिए ट्रैंक्विलाइजर गन से बेहोश कर उसे पकड़ा गया. हाथी के सिर पर गंभीर घाव हो गया था. बाद में बचाव दल ने हाथी का प्रारंभिक इलाज किया. हाथी को बेहतर इलाज के लिए एर्नाकुलम जिले के कोडानाड में कपरीक्कड़ अभयारण्य में भेज दिया गया.

अभयारण्य में हो रहा इलाजः डॉ. अरुण ज़कारिया के नेतृत्व में दल उस स्थान पर पहुंच गया जहां हाथी को रखा गया है. घायल हाथी को डार्ट लगाने के बाद उसे ले जाने की कोशिश में हाथी बेहोश हो गया था. डॉ. अरुण जकारिया के नेतृत्व में डॉक्टरों की टीम ने हाथी के घाव को साफ किया. बाद में उसे ट्रक में लादकर कोडानाड भेज दिया गया.

Kerala Wild Elephant
केरल में घायल हाथी. (ETV Bharat)

ट्रैंक्विलाइजर गन से हाथी को काबू करने वाले डॉ. अरुण जकारिया ने ईटीवी भारत को बताया, "घाव में कीड़े भरे हुए थे. घाव को साफ किया गया और कीड़े निकाले गए. दवा लगाई गई और घाव पर पट्टी बांधी गई. संक्रमण सबसे बड़ी चुनौती होती है. जंगल में इलाज जोखिम भरा है, इसीलिए इसे कोडानाड ले जाया जा रहा है. हाथी की स्वास्थ्य स्थिति पर टिप्पणी करना असंभव है. अगले दो दिन महत्वपूर्ण हैं."

हाथियों के उपचार के विशेषज्ञ डॉ. विवेक ने बताया कि मक्खियां जब घाव पर आती हैं और अंडे देती हैं तो कीड़े पैदा होते हैं. डॉ. विवेक ने कहा, "घाव में कीड़े बढ़ेंगे, साथ ही सूंड से रेत फेंकी जाएगी, जिससे घाव सड़ जाएगा. सबसे पहली चुनौती मवाद को पूरी तरह निकालना है. शुरुआती चरण में विशेष रूप से सुसज्जित पिंजरे में हल्की बेहोशी के साथ इलाज किया जाएगा. बैक्टीरिया को फैलने से रोकने के लिए एंटीबायोटिक्स इंजेक्शन और मुंह से दिए जाएंगे. उम्मीद है कि तीन हफ्ते बाद भी हाथी की सेहत में सुधार होगा."

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