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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने संभल हिंसा की SIT से जांच कराने की मांग वाली याचिका खारिज की

राज्य सरकार और प्रशासन की भूमिका की जांच की भी मांग की गई थी.

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इलाहाबाद हाईकोर्ट का आदेश (Photo Credit- ETV Bharat)

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : 15 hours ago

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने संभल में हिंसा, आगजनी और फायरिंग की जांच हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज की देखरेख में एसआईटी से कराने की मांग में दाखिल जनहित याचिका खारिज कर दी है. यह आदेश न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र एवं न्यायमूर्ति गौतम चौधरी की खंडपीठ ने याचिका वापस लेने के आधार पर दिया.

बुधवार को सुनवाई के दौरान अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल ने कोर्ट को जानकारी दी कि सरकार ने प्रकरण की जांच के लिए हाईकोर्ट जज का न्यायिक आयोग गठित करने का आदेश दे दिया है. इसके बाद याची की ओर से पुलिस के लिए गाइडलाइन बनाने की मांग पर बल दिया गया. इस पर कोर्ट ने कहा कि आयोग की जांच हो रही है. याची चाहे तो उचित फोरम पर बात रख सकता है. इस पर याची के अधिवक्ता ने याचिका वापस लेने की प्रार्थना की जिसे कोर्ट ने स्वीकार करते हुए याचिका खारिज कर दी. सुनवाई के दौरान सीबीआई के वरिष्ठ अधिवक्ता ज्ञान प्रकाश व एडवोकेट संजय यादव भी उपस्थित रहे.

वाराणसी के सामाजिक कार्यकर्ता व पत्रकार डॉ आनंद प्रकाश तिवारी जनहित याचिका में हाईकोर्ट के रिटायर जज के नेतृत्व में एसआईटी गठित कर आयुक्त मुरादाबाद, डीएम, एसपी संभल, एसडीएम चंदौसी, सीओ संभल व एडवोकेट कमिश्नर टीम के सदस्यों की भूमिका की जांच कर रिपोर्ट पेश करने का समादेश जारी करने की मांग की गई थी.

साथ ही स्वतंत्र जांच एजेंसी से संभल घटना में राज्य सरकार व प्रशासन की भूमिका की भी जांच कराने की मांग की गई थी. याचिका में कहा गया है कि गत 19 नवंबर को सिविल जज सीनियर डिवीजन संभल की अदालत में आठ लोगों ने दीवानी वाद दाखिल कर कहा कि जामा मस्जिद को मंदिर तोड़कर बनाया गया है. इसका सर्वे कराया जाए. अदालत ने एडवोकेट कमिश्नर नियुक्त कर सर्वे का आदेश कर दियाऔर 29 नवंबर को सर्वे रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया. प्रशासन ने इसकी जानकारी मस्जिद कमेटी को दी.

मस्जिद कमेटी के अध्यक्ष, डीएम व पुलिस प्रशासन की मौजूदगी में 19 नवंबर को रात नौ बजे तक सर्वे पूरा कर लिया गया. पूरी कार्यवाही शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हुई. 23 नवंबर को देर शाम एसएचओ ने मस्जिद कमेटी के चेयरमैन को 24 नवंबर को दोबारा सर्वे के दौरान मौजूद रहने की सूचना दी. इस पर कमेटी के अधिवक्ता ने आपत्ति की कि दूसरा सर्वे कराने का अदालत का आदेश नहीं है इसलिए सर्वे न किया जाए. इसके बाद 24 नवंबर की सुबह एसडीएम चंदौसी व सीओ संभल ने मस्जिद कमेटी अध्यक्ष को घर आकर को सर्वे की मौखिक सूचना दी.

डीएम, एसपी एसडीएम चंदौसी व पुलिस बल के साथ एडवोकेट कमिश्नर टीम 50 लोगों के साथ आई. वे लोग धार्मिक नारे लगा रहे थे और दूसरे संप्रदाय के लोगों को उकसा रहे थे. इसी बीच दूसरे संप्रदाय की भीड़ इकट्ठा हो गई. पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया.दूसरी तरफ से पथराव शुरू हो गया. पुलिस पर फायरिंग करने का भी आरोप लगाया गया है. कहा गया है कि घटना में पांच लोगों की मौत हो गई है. याचिका में घटना के लिए प्रशासनिक षड्यंत्र की आशंका व्यक्त की गई है.

दो अन्य पीआईएल पर सुनवाई 5 दिसंबर को: इलाहाबाद हाईकोर्ट में गुरुवार को संभल हिंसा से जुड़ी दो अन्य जनहित याचिकाओं पर सुनवाई होने की संभावना है. एक में घटना में मारे गए और गिरफ्तार लोगों की सूची जारी करने आदि की मांग है. दूसरी में हिंसा की घटना के लिए संभल के डीएम और एसपी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर उनकी गिरफ्तारी करने की मांग की गई है.

एसोसिएशन ऑफ प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स की पीआईएल में भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 की धारा 37 के अनुसार गिरफ्तार व्यक्तियों के नामों को जिला पुलिस नियंत्रण कक्ष/पुलिस स्टेशन के बाहर सूचीबद्ध करने का निर्देश दिए जाने की मांग की गई है. साथ ही हिरासत में लिए गए व्यक्तियों के नाम और जिस अपराध के लिए उन्हें हिरासत में लिया गया है, उसकी सूची बनाने का निर्देश दिए जाने की मांग भी की गई है. यदि हिरासत 24 घंटे से अधिक अवधि के लिए है, तो पुलिस नियंत्रण कक्ष/पुलिस स्टेशन के बाहर क्या कदम उठाए गए हैं.

इसके अलावा 24 नवंबर को हुई हिंसा के बाद हुई मौतों की संख्या और पोस्टमार्टम रिपोर्ट के साथ जानकारी और स्थिति की रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश देने की मांग भी की गई है. साथ ही यह मांग भी की गई है कि पुलिस ने जो एफआईआर दर्ज की हैं, उन्हें वेबसाइट पर अपलोड करें और उसे आरोपियों व पीड़ितों तुरंत उपलब्ध कराएं.

अधिवक्ता सहेर नक़वी और मोहम्मद आरिफ के अनुसार हज़रत ख्वाजा गरीब नवाज वेलफेयर एसोसिएशन की ओर से दाखिल याचिका में डीएम और एसपी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर उनकी तत्काल गिरफ्तारी की भी मांग की गई है. आरोप लगाया गया है कि ये हिंसा में हुई मौतों के लिए सीधे तौर पर जिम्मेदार हैं.याचिका में विशेष रूप से पुलिस फायरिंग की घटना का उल्लेख किया गया है, जिसमें चार लोगों की मौत हो गई थी. याची का कहना है कि इस घटना के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है. याची ने हाईकोर्ट से दखल देकर न्याय सुनिश्चित करने की मांग की है.

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