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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा- हर अपराध में जरूरी नहीं है गिरफ्तारी, इसको लेकर मनमानी मौलिक अधिकारों का हनन - Allahabad High Court Order

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बुधवार को अपने एक आदेश में कहा कि हर अपराध में गिरफ्तारी जरूरी नहीं है और मनमानी गिरफ्तारी मौलिक अधिकारों का हनन है.

Allahabad High Court arrest is not necessary in every crime Arbitrary arrest is violation of fundamental rights
इलाहाबाद हाईकोर्ट का आदेश (फोटो क्रेडिट- ईटीवी भारत)

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jun 19, 2024, 9:45 PM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने एक आदेश में बुधवार को कहा कि मुकदमा दर्ज होते ही मनमाने तरीके से की जाने वाली गिरफ्तारियां संविधान के अनुच्छेद 21 में प्राप्त मौलिक अधिकार का हनन हैं. गोहत्या के मामले में अग्रिम जमानत पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति सिद्धार्थ ने कहा कि अदालतों ने बार-बार कहा है कि गिरफ्तारी पुलिस के लिए अंतिम विकल्प होना चाहिए.

गिरफ्तारी केवल उन असाधारण मामलों तक सीमित रखा जाना चाहिए, जहां आरोपी को गिरफ्तार करना अनिवार्य हो या हिरासत में लेकर उससे पूछताछ की आवश्यकता हो. मनमानी और अंधाधुंध गिरफ्तारियां मानवाधिकारों का घोर उल्लंघन हैं. मोहम्मद तबिश राजा की अग्रिम जमानत याचिका स्वीकार करते हुए कोर्ट ने यह टिप्पणी की.

बनारस के लंका थाना में मोहम्मद तबिश राजा पर गोवध अधिनियम, पशु क्रूरता निवारण अधिनियम और पशु वध मामले में मुकदमा दर्ज किया गया है. आरोपी ने अग्रिम जमानत के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की है. याची के अधिवक्ता कहा कि आवेदक को गोवध अधिनियम और पशु क्रूरता अधिनियम के मामले में फंसाया गया है. अपर शासकीय अधिवक्ता ने अग्रिम जमानत की प्रार्थना का विरोध किया. कहा कि आरोपी के खिलाफ लगाए गए आरोप गंभीर हैं. केवल काल्पनिक भय के आधार पर अग्रिम जमानत नहीं दी जा सकती.

कोर्ट ने 1994 के जोगिंदर कुमार बनाम उत्तर प्रदेश राज्य के मामले में सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय का हवाला दिया. इसमें सर्वोच्च न्यायालय ने राष्ट्रीय पुलिस आयोग की तीसरी रिपोर्ट का उल्लेख किया था कि भारत में पुलिस द्वारा की गई गिरफ्तारियां पुलिस में भ्रष्टाचार का मुख्य स्रोत हैं. रिपोर्ट में आगे बताया गया कि लगभग 60 प्रतिशत गिरफ्तारियां अनावश्यक या अनुचित थीं. कोर्ट ने कहा कि व्यक्तिगत स्वतंत्रता एक बहुत ही कीमती मौलिक अधिकार है. ऐसे में विशिष्ट परिस्थितियों में ही आरोपी की गिरफ्तारी की जानी चाहिए.

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