अजमेर. दरगाह दीवान जैनुल आबेदीन ने मंदिर और मस्जिद विवाद पर एक बड़ा बयान दिया है. आबेदीन ने कहा है कि "किसी भी विवाद का आपसी सहमति से हल निकलता है तो उसकी बात ही कुछ और होती है. इससे विवाद का हल निकलने के साथ-साथ दिल भी मिलते हैं और एक दूसरे के प्रति सम्मान और विश्वास भी लौटता है." दरगाह दीवान ने कहा कि "मेरा मानना है कि दोनों पक्ष, दोनों धर्म के लोग मथुरा, काशी जैसे विवादों का हल अदालतों के बाहर तलाशने की कोशिश करें." उन्होंने ये बात ऑल इंडिया सूफी सज्जादा नशीन काउंसिल राजस्थान की ओर से आयोजित पैगाम ए मोहब्बत हम सब का भारत सम्मेलन को संबोधित करते हुए कही.
दरगाह दीवान जेनुल आबेदीन ने कहा कि भारत देश वसुधैव कुटुंबकम की परंपरा को निभाते हुए विश्व में शांति बहाली की ओर सकारात्मक भूमिका निभा रहा है. हम अपने देश के भीतरी मसलों का अदालतों के बाहर शांति से समाधान निकालने में सक्षम क्यों नहीं है ?. दरगाह दीवान ने कहा कि "हम सक्षम हैं, बस एक मजबूत पहल की जरूरत है." उन्होंने यह भी कहा कि भारत ने आजादी के बाद भी कई चुनौतियों का सामना किया उनमें जीत हासिल की है.
आबेदीन ने कहा कि "हमारी कई पीढ़ियों ने धार्मिक विवादों का सामना किया है, जिसमें सबसे पुराना विवाद अयोध्या का रहा है. यह बड़ी बात है कि सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद इस विवाद पर पूर्ण रूप से विराम लग गया. इससे भी बड़ी बात यह है कि देश के हर नागरिक ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान किया, लेकिन हमें यह बात समझनी होगी कि अदालतों के निर्णय में एक पक्ष जीतता है और दूसरा पक्ष हारता है. इसमें एक पक्ष निर्णय से असहमत रहता है और अपने दिल में खटास और द्वेषता को समाप्त नहीं कर पाता." दरगाह दीवान ने कहा कि "मेरा मानना है कि दोनों पक्ष, दोनों धर्म के लोग मथुरा, काशी जैसे विवादों का हल अदालतों के बाहर तलाशने की कोशिश करें."
शांतिपूर्वक निकले हल :दरगाह दीवान ने कहा कि "हर मुसलमान सुलह में यकीन रखता है, लेकिन शायद हर संस्था इस दुविधा में है कि कौन इसकी शुरुआत करे. कोई भी अपने समाज के सामने बुरा नहीं बनना चाहता. ऐसे में किसी को तो पहल करनी होगी." उन्होंने कहा कि "मैं काउंसिल की तरफ से मथुरा और काशी जैसे मसलों का शांतिपूर्वक और सम्मानजनक हल निकालने की अपील करता हूं और साथ ही यह भी ऐलान करता हूं कि मेरे पुत्र सैयद नसीरुद्दीन चिश्ती जो काउंसिल के अध्यक्ष हैं, वह हर प्रदेश में जाएं और वहां काउंसिल से जुड़ी दरगाहों को लेकर दोनों पक्षों के प्रमुख लोगों और संस्थाओं से मिलकर सकारात्मक और अच्छा माहौल बनाएं. साथ ही दोनों पक्षों में शांति वार्ता के लिए प्लेटफॉर्म उपलब्ध करवाएं."