नई दिल्ली: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण शनिवार को लगातार आठवीं बार आम बजट 2025 पेश करेंगी. केंद्रीय बजट 2025 में 'विकसित भारत' लक्ष्य के तहत भारत के विनिर्माण क्षेत्र को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित किए जाने की उम्मीद है. उम्मीद की जा रही है बजट में मीडिल क्लास वर्ग को राहत मिल सकती है.
केंद्रीय बजट एक फरवरी 2025 को सुबह 11 बजे संसद में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पेश किया जाएगा. नए बजट में महंगाई को कंट्रोल करने के लिए संभावित रूप से कुछ टैक्स सुधारों को शामिल किए जाने की उम्मीद है. स्टैंडर्ड डिडक्शन में वृद्धि उन अपेक्षित सुधारों में से एक है.
स्टैंडर्ड डिडक्शन क्या है?
स्टैंडर्ड डिडक्शन एक निश्चित राशि है, जो किसी व्यक्ति की वार्षिक आय से ऑटोमैटिकली कट जाती है. इससे कुल टैक्स डिडक्शन इनकम कम हो जाती है और इसलिए टैक्ल लायबलिटी कम हो जाती है. उदाहरण के लिए अगर किसी व्यक्ति की वार्षिक टैक्सेबल इनकम 10,00,000 रुपये है और वह व्यक्ति 50,000 रुपये का स्टैंडर्ड डिडक्शन के योग्य है तो टैक्सेबल इनकम घटकर 9,50,000 रुपये हो जाती है.
ओल्ड टैक्स रिजीम में स्टैंडर्ड डिडक्शन
ओल्ड टैक्स रिजीम के तहत टैक्सपेयर्स 50,000 रुपये के स्टैंडर्ड डिडक्शन का लाभ उठा सकते हैं, ओल्ड टैक्स रिजीम के लिए स्टैंडर्ड डिडक्शन 2018 से लागू है. इसे तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 40,000 रुपये पर फिर से पेश किया था. इसे 2005-06 वित्तीय वर्ष के दौरान हटा दिया गया था. इसने परिवहन और चिकित्सा भत्तों की जगह ले ली थी.
न्यू टैक्स रिजीम में स्टैंडर्ड डिडक्शन
न्यू टैक्स रिजीम में शुरू में कोई स्टैंडर्ड डिडक्शन नहीं था, लेकिन 2023 में 50,000 रुपये की स्टैंडर्ड डिडक्शन शुरू किया गया. 2024 में इसे बढ़ाकर 75,000 कर दिया गया.
स्टैंडर्ड डिडक्शन के लिए कौन पात्र है?
सभी वेतनभोगी व्यक्ति और रिटायर टैक्सपेयर्स अपने इनतम टैक्स रिटर्न (ITR) दाखिल करते समय स्टैंडर्ड डिडक्शन के लिए पात्र हैं. हालाँकि, सेल्फ़ इम्प्लॉयड और हिंदू अविभाजित परिवार (HUF) इसके पात्र नहीं हैं.
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