ETV Bharat / state

दिल्ली दंगे के दौरान कपिल मिश्रा के बयान के खिलाफ FIR दर्ज कराने के लिए MP-MLA कोर्ट जाने का आदेश - DELHI RIOTS 2020

कड़कड़डूमा कोर्ट ने एक मामले में कहा है कि याचिकाकर्ता कपिल मिश्रा के खिलाफ FIR दर्ज कराने के लिए एमपी-एमएलए कोर्ट जाएं.

बीजेपी नेता कपिल मिश्रा
बीजेपी नेता कपिल मिश्रा (ETV Bharat)
author img

By ETV Bharat Delhi Team

Published : Feb 1, 2025, 12:04 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट ने दिल्ली दंगों के दौरान घायल लोगों से पुलिस द्वारा पिटाई करने और जबरन जन गण मन गवाने से जुड़े मामले में बीजेपी नेता कपिल मिश्रा के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग करने वाले याचिकाकर्ता को एमपी-एमएलए कोर्ट जाने का निर्देश दिया. साथ ही कोर्ट ने इस मामले में पुलिस की ओर से दायर एक्शन टेकन रिपोर्ट में कपिल मिश्रा को लेकर पूरी तरह खामोश रहने पर नाराजगी जताई और ज्योति नगर थाने के एसएसओ के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया.

कोर्ट ने कहा कि या तो जांच अधिकारी ने कपिल मिश्रा के खिलाफ कोई जांच नहीं की या उसने कपिल मिश्रा के खिलाफ आरोपों को छिपाने की कोशिश की. कोर्ट ने कहा कि आरोपी कपिल मिश्रा सार्वजनिक व्यक्ति हैं और उनके बारे में ज्यादा जांच की जरूरत है. ऐसे लोग जनता के मत को सीधे-सीधे प्रभावित करते हैं. सार्वजनिक जीवन जीने वाले व्यक्ति को संविधान के दायरे में रहने की उम्मीद की जाती है.

कोर्ट ने आगे कहा कि जिस तरह के बयान दिए गए हैं, वे सांप्रदायिक सद्भाव पर बुरी तरह असर डालते हैं. ऐसे बयान अलोकतांत्रिक होने के साथ साथ देश के धर्मनिरपेक्ष सिद्धांतों पर हमला हैं. ऐसे बयान संविधान के मूल चरित्र का खुला उल्लंघन हैं. भारतीय दंड संहिता की धारा 153ए सांप्रदायिक और धार्मिक सद्भाव से जुड़ा हुई है. ये देश के हर नागरिक की जिम्मेदारी से भी जुड़ा हुआ है.

आरोपी को अपनी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का लाभ उठाने का हक है, लेकिन उस पर सांप्रदायिक सद्भाव को संरक्षित रखने की भी जिम्मेदारी है. कपिल मिश्रा उत्तर-पूर्वी दिल्ली के करावल नगर विधानसभा सीट से बीजेपी का उम्मीदवार हैं. कोर्ट में शिकायत मोहम्मद वसीम ने दायर की थी. बता दें कि 23 जुलाई, 2024 को हाईकोर्ट ने दिल्ली में हिंसा के दौरान राष्ट्रगान गाने का दबाव बनाने के लिए पुलिस द्वारा पांच मुस्लिम युवकों की पिटाई करने के मामले की सीबीआई जांच का आदेश दिया था.

यह भी पढ़ें-

नई दिल्ली: दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट ने दिल्ली दंगों के दौरान घायल लोगों से पुलिस द्वारा पिटाई करने और जबरन जन गण मन गवाने से जुड़े मामले में बीजेपी नेता कपिल मिश्रा के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग करने वाले याचिकाकर्ता को एमपी-एमएलए कोर्ट जाने का निर्देश दिया. साथ ही कोर्ट ने इस मामले में पुलिस की ओर से दायर एक्शन टेकन रिपोर्ट में कपिल मिश्रा को लेकर पूरी तरह खामोश रहने पर नाराजगी जताई और ज्योति नगर थाने के एसएसओ के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया.

कोर्ट ने कहा कि या तो जांच अधिकारी ने कपिल मिश्रा के खिलाफ कोई जांच नहीं की या उसने कपिल मिश्रा के खिलाफ आरोपों को छिपाने की कोशिश की. कोर्ट ने कहा कि आरोपी कपिल मिश्रा सार्वजनिक व्यक्ति हैं और उनके बारे में ज्यादा जांच की जरूरत है. ऐसे लोग जनता के मत को सीधे-सीधे प्रभावित करते हैं. सार्वजनिक जीवन जीने वाले व्यक्ति को संविधान के दायरे में रहने की उम्मीद की जाती है.

कोर्ट ने आगे कहा कि जिस तरह के बयान दिए गए हैं, वे सांप्रदायिक सद्भाव पर बुरी तरह असर डालते हैं. ऐसे बयान अलोकतांत्रिक होने के साथ साथ देश के धर्मनिरपेक्ष सिद्धांतों पर हमला हैं. ऐसे बयान संविधान के मूल चरित्र का खुला उल्लंघन हैं. भारतीय दंड संहिता की धारा 153ए सांप्रदायिक और धार्मिक सद्भाव से जुड़ा हुई है. ये देश के हर नागरिक की जिम्मेदारी से भी जुड़ा हुआ है.

आरोपी को अपनी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का लाभ उठाने का हक है, लेकिन उस पर सांप्रदायिक सद्भाव को संरक्षित रखने की भी जिम्मेदारी है. कपिल मिश्रा उत्तर-पूर्वी दिल्ली के करावल नगर विधानसभा सीट से बीजेपी का उम्मीदवार हैं. कोर्ट में शिकायत मोहम्मद वसीम ने दायर की थी. बता दें कि 23 जुलाई, 2024 को हाईकोर्ट ने दिल्ली में हिंसा के दौरान राष्ट्रगान गाने का दबाव बनाने के लिए पुलिस द्वारा पांच मुस्लिम युवकों की पिटाई करने के मामले की सीबीआई जांच का आदेश दिया था.

यह भी पढ़ें-

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.