रांची: लोकसभा चुनाव के परिणाम आने के बाद पूरे देश में राजनीतिक खींचतान के मामलों की चर्चा जोरों पर है. सभी राजनीतिक दल अपने अपने हिसाब से राजनीतिक हक पाने की उम्मीद जताए हुए हैं. राजनीतिक नेताओं और दलों को यह उम्मीद सबसे ज्यादा विधानसभा चुनाव को लेकर है. लोकसभा में जिस तरह से परिणाम आए हैं ऐसे में जनता दल यूनाइटेड का राजनीतिक कद बहुत ज्यादा बढ़ गया है. क्योंकि केंद्र में एनडीए की सरकार बनाने में जनता दल यूनाइटेड को सबसे अहम माना जा रहा है.
ऐसे में राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा का विषय बना हुआ है कि साल के अंत में झारखंड में होने वाले विधानसभा चुनाव में जेडीयू की क्या मांग होगी. क्योंकि पिछले 10 वर्षों में झारखंड में जनता दल यूनाइटेड अकेले दम पर चुनाव लड़ रहा है और उसे कोई सफलता भी नहीं मिल रही है. यदि इस बार जेडीयू एनडीए के साथ मिलकर चुनाव लड़ता है तो शायद जदयू के पुराने दिन लौट सकते हैं.
जनता दल यूनाइटेड के प्रदेश महासचिव श्रवण कुमार बताते हैं कि झारखंड के लोकसभा चुनाव में एनडीए के जो परिणाम आए हैं, उसमें कहीं ना कहीं जदयू की भी अहम भूमिका है. झारखंड में जनता दल यूनाइटेड के कार्यकर्ता सभी लोकसभा सीटों पर एनडीए प्रत्याशी के लिए पसीना बहाते दिखे. उन्होंने बताया कि लोकसभा चुनाव के दौरान करीब 50 विधानसभा क्षेत्र में जनता दल यूनाइटेड का दबदबा देखा गया.
श्रवण कुमार बताते हैं कि यदि भारतीय जनता पार्टी और आजसू के साथ मिलकर जनता दल यूनाइटेड झारखंड में चुनाव लड़ेगा तो कई सीटों पर जीत हो सकती है. उन्होंने बताया कि वर्ष 2005 तक झारखंड में जदयू के पांच विधायक हुआ करते थे. जबकि वर्ष 2009 में भी एनडीए के साथ मिलकर जब उन्होंने चुनाव लड़ा था तो दो सीटों पर उनके विधायक ने जीत प्राप्त की थी.
वर्ष 2014 के बाद जब से जनता दल यूनाइटेड एनडीए से अलग होकर चुनाव लड़ने लगा तब से विधानसभा में उनकी उपस्थिति शून्य हो गई. जिस तरह से लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री मोदी के साथ कदम से कदम मिलाकर जनता दल यूनाइटेड ने सरकार बनाने में अहम भूमिका निभाई है, उसी तरह से जदयू के कार्यकर्ता यह उम्मीद जता रहे हैं कि भारतीय जनता पार्टी के साथ झारखंड विधानसभा चुनाव में एक बार फिर कदम से कदम मिलाकर राज्य में एनडीए की सरकार बनाने का काम करेंगे.