रामनगर: देवभूमि उत्तराखंड चारों ओर से हरा भरा है. प्रकृति ने इस प्रदेश को खूबसूरत वादियों से नवाजा और यहां के वाशिंदों ने इसे बचाए रखने के लिए कभी पेड़ लगाए तो कभी पेड़ बचाओ के लिए आंदोलन किए. इन दिनों रामनगर में पर्यावरण बचाने के अनोखे संदेश देते सुनाई पड़ते हैं लच्छी राम और उनका पूरा ग्रुप. जिन्होंने लोकगीतों और लोकनृत्य के जरिए पर्यावरण को बचाने का बीड़ा उठाया हुआ है.
हम आपको मिलवाने जा रहे हैं उत्तराखंड के उस शख्स से, जो अपने जीवन के 45 साल पर्यावरण संरक्षण को समर्पित कर चुके हैं. 72 वर्षीय लच्छीराम और उनकी टीम लोगों को पर्यावरण संरक्षण का सुंदर संदेश देने के साथ ही लोगों को जागरूक भी कर रहे हैं.
जिम कॉर्बेट पार्क में गाए लोकगीत, पर्यटकों को भाया कुमाऊंनी गाना:लच्छीराम और उनकी टीम ने नैनीताल जिले के रामनगर स्थित कॉर्बेट पार्क में अनोखे अंदाज में पर्यावरण बचाने का संदेश दिया. कॉर्बेट पार्क के बिजरानी पर्यटन जोन में सफारी के लिए जा रहे पर्यटकों, स्थानीय ग्रामीणों, नेचर गाइडों और जिप्सी चालकों को उन्होंने कुमाऊंनी सांस्कृतिक नाटक के ज़रिए 'पेड़ लगाओ, वन बचाओ' का संदेश दिया.
1980 से लोगों को कर रहे जागरूक:वहीं लच्छी राम ने बातचीत में बताय कि "हम 1980 से लोगों को जागरूक कर रहे हैं. जंगल और पर्यावरण हमारी धरोहर हैं, इनकी रक्षा करना हम सबकी जिम्मेदारी है. कोई भी जंगल में आग न जलाए, कूड़ा न फेंके और ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाए".