किरन कांत शर्मा, देहरादून: भारतीय जनता पार्टी जिस तरह से मुख्यमंत्री का नाम या चेहरा घोषित करती है, उससे हर कोई हैरान रह जाता है. राजनीतिक पंडित भी अब इस बात का अंदाजा नहीं लग पाते हैं कि बीजेपी कब और किस अंतिम पंक्ति में बैठे नेता को एक राज्य की कमान सौंप दे, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसकी शुरुआत उत्तराखंड से ही हुई थी. जी हां, जब बीजेपी विधायकों की लंबी फेहरिस्त के बीच से अचानक से पुष्कर सिंह धामी को उठा कर मुख्यमंत्री बनाया गया था.
उत्तराखंड से हुई थी नए चेहरों को बड़ी जिम्मेदारी देने की शुरुआत: यह सिलसिला 3 जुलाई 2021 को शुरू हुआ था. जब उत्तराखंड में भारतीय जनता पार्टी ने पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने के लिए विधायक दल की बैठक बुलाई थी. इससे पहले तक जितने भी चुनाव हुए, उसमें बीजेपी ने अपने अनुभवी और पुराने नेताओं पर ही दांव खेला, लेकिन उत्तराखंड में बीजेपी ने उस वक्त सबको चौंका दिया. जिस वक्त विधायक दल की बैठक देहरादून के बीजेपी कार्यालय में हो रही थी.
विधायक दल की बैठक में बीजेपी के तमाम वरिष्ठ नेता मौजूद थे. उस वक्त सतपाल महाराज से लेकर बिशन सिंह चुफाल, अनिल बलूनी, धन सिंह रावत, ऋतु खंडूड़ी के नाम मुख्यमंत्री के लिए चल रहे थे. उत्तराखंड से बाहर भी इन चार नामों की ही चर्चा जोर पकड़ रही थी, लेकिन अचानक से राजनाथ सिंह ने जब पुष्कर सिंह धामी का नाम लिया तो न केवल वहां बैठे नेता, बल्कि देशभर के राजनीतिक जानकार भी चौंक गए थे.
महज दो बार के विधायक और एक दफा भी ना मंत्री, ना कोई बड़ा दायित्व निभाने वाले पुष्कर सिंह धामी को अचानक से राज्य की कमान सौंपी गई. जिस पर हर कोई हैरान रह गया. सियासी जानकारों का कहना था कि यह बिल्कुल अप्रत्याशित था. इसके बाद तो आलाकमान ने भरोसा भी इस कदर किया कि जब दोबारा से चुनाव हुए तो पुष्कर सिंह धामी को चुनाव हारने के बाद भी मुख्यमंत्री बना दिया.
राजस्थान में भी चला बीजेपी का धामी फॉर्मूला: इसके बाद तो बीजेपी ने मानो ठान लिया कि उत्तराखंड का फार्मूला अन्य प्रदेशों में भी चलेगा और हुआ भी यही. जिस तरह से सबसे अंतिम पंक्ति में बैठे पुष्कर सिंह धामी को उठाकर मुख्यमंत्री बनाया गया. उसी तरह से राजस्थान में भी हुआ. वहां पर भी शायद ही किसी को मालूम नहीं था कि एक बार विधायक बनने वाले नेता और सबसे अंतिम पंक्ति में बैठे हुए भजनलाल शर्मा को मुख्यमंत्री बना दिया जाएगा.
मध्य प्रदेश के बाद दिल्ली में भी अपनाया गया वही फॉर्मूला: इसके बाद साल 2023 में यही फॉर्मूला मध्य प्रदेश में भी देखने को लिए मिला, जब बीजेपी ने अचानक से मोहन यादव को मुख्यमंत्री बना दिया. इस फैसले पर भी लोगों ने पुष्कर सिंह धामी पर लिए गए फैसले को दोबारा से याद किया. नए चेहरे को जिस तरह से उत्तराखंड और राजस्थान में तवज्जो दी गई, उसी तरह बीजेपी ने मध्य प्रदेश में अपनाया. यह तीसरा राज्य था. जहां बीजेपी ने मुख्यमंत्री पद के लिए नए चेहरे पर दांव खेला.
अब कुछ ऐसा ही दिल्ली में भी देखने को मिला. जब एक बार विधायक बनी और सरकार या संगठन में किसी बड़े दायित्व न होने के बावजूद रेखा गुप्ता को दिल्ली का मुख्यमंत्री बना दिया गया. बीजेपी ने बड़े चेहरे को दरकिनार कर रेखा गुप्ता को कमान सौंपी. रेखा गुप्ता अब तक दो विधानसभा चुनाव (2015 और 2020) लड़ चुकी थीं, लेकिन दोनों ही बार उन्हें हार मिली, लेकिन इस बार यानी 2025 में जीतकर विधानसभा पहुंची. विधानसभा पहुंचते ही उन्हें मुख्यमंत्री बना दिया गया.
नई दिल्ली में नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री श्रीमती @gupta_rekha जी से भेंट कर उन्हें नई जिम्मेदारी के लिए बधाई एवं उज्ज्वल कार्यकाल हेतु शुभकामनाएं दी।
— Pushkar Singh Dhami (@pushkardhami) February 20, 2025
मुझे पूर्ण विश्वास है कि उनके कुशल नेतृत्व में दिल्ली विकास के नए आयाम स्थापित करेगी और जनता की आकांक्षाओं को पूरा करने में सरकार… pic.twitter.com/mgbNJvzRoB
आलाकमान ने करीब से देखा पुष्कर धामी के काम और फैसले: बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट कहते हैं कि यह नई बीजेपी है और नए तरीके से सोचती है. बीजेपी ने उत्तराखंड में यह फैसला लेकर बता दिया था कि बेहतर काम पीछे की पंक्ति में बैठने वाला इंसान भी उसी तरह से कर सकता है, जिस तरह से पहली पंक्ति में बैठने वाला इंसान करता है. केंद्र सरकार ने उत्तराखंड सरकार के कामकाज और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के फैसलों को देखकर ही आगे की रणनीति बनाई. यही कारण है कि अब आलाकमान नए नेताओं को बड़ी जिम्मेदारी दे रहा है. यह राजनीति के लिए शुभ संकेत भी है.
रुका हुआ नहीं, बहता पानी होता है सही: टिहरी से बीजेपी विधायक किशोर उपाध्याय कहते हैं कि रुका हुआ पानी कई बार खराब हो जाता है. या यूं कहें कि वो पीने योग्य नहीं रहता, लेकिन उस पानी का महत्व खत्म नहीं होता. जबकि, चलता हुआ पानी बेहतर माना जाता है. इसलिए बीजेपी नए चेहरे को मौका देकर नई राजनीति की शुरुआत कर रही है. इसका श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जाता है. जिस तरह से एक के बाद एक बीजेपी ने नए चेहरे को तवज्जो दी है, उससे ये साफ है कि देश का भविष्य मजबूत हाथों में है. नए लोगों को अगर जिम्मेदारी नहीं देंगे तो वो पीछे छूट जाएंगे.
अब फैसले कुछ भी ले लेती है बीजेपी: राजनीतिक जानकार नीरज कोहली कहते हैं कि ये बात सही है कि बीजेपी अब सभी फैसलों से चौंका रही है. बीजेपी अब अपनी सेकंड लाइन तैयार कर रही है. यह काफी हद तक ठीक भी है, लेकिन अब जितने भी राजनीति के जानकार हैं, वो बीजेपी के किसी भी फैसले से इसलिए नहीं चौंकते हैं, क्योंकि अब ये मालूम हो गया है कि बीजेपी कुछ भी कर सकती है. यह उनके फैसलों से भी पता चल जाता है.
उत्तराखंड से जो शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पार्टी अध्यक्ष ने की थी. आज वो दिल्ली तक जा पहुंची है. बीजेपी ने अब ये मान लिया है कि जो नेता पुराने हो चुके हैं, उन्हें अनुभव के तौर पर पीछे रखा जाएगा. जबकि, नए चेहरों को बड़ी जिम्मेदारी दी जाएगी. रेखा गुप्ता उसका एकमात्र उदाहरण है.
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