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उत्तराखंड हाईकोर्ट ने बीएड अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र जारी करने पर लगाई रोक, जानें कारण - उत्तराखंड हाईकोर्ट ने बीएड अभ्यर्थियों को झटका

Shock to B Ed candidates उत्तराखंड हाईकोर्ट ने बीएड अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र जारी करने पर रोक लगा दी है. कोर्ट ने मामले पर सुनवाई करते हुए नियम विरुद्ध तरीके से प्राप्त करने वाले सीटीईटी और यूटीईटी प्रमाण पत्र प्राप्त अभ्यर्थियों के लिफाफे खोलने पर रोक लगा दी है.

UTTARAKHAND HIGHCOURT
उत्तराखंड हाईकोर्ट
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Dec 4, 2023, 8:08 PM IST

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने नियम विरुद्ध तरीके से प्राप्त करने वाले केंद्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा (सीटीईटी) और उत्तराखंड शिक्षक पात्रता परीक्षा (यूटीईटी) प्रमाण पत्र प्राप्त बीएड अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र जारी करने पर रोक लगा दी है. ऐसे अभ्यर्थियों का रिजल्ट शील्ड बंद लिफाफे में पूर्व से ही बंद है. जिसके खिलाफ उमेश कुमार व अन्य ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित की एकलपीठ ने नियम विरुद्ध तरीके से प्राप्त करने वाले सीटीईटी और यूटीईटी प्रमाण पत्र प्राप्त अभ्यर्थियों के लिफाफे खोलने पर रोक लगा दी है.

याचिकाकर्ताओं की ओर से पैरवी करते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता केपी उपाध्याय और उनके असिस्टेंट जूनियर अधिवक्ता हेमंत पंत ने कोर्ट को बताया कि राज्य में 2600 से अधिक पदों पर प्राथमिक शिक्षक भर्ती पिछले 3 वर्ष से सुप्रीम कोर्ट में राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान (एनआईओएस) डी.एल.एड अभ्यर्थियों के मामले में सरकार और बीएड अभ्यर्थियों की एसएलपी के कारण लंबित चल रही थी. उत्तराखंड हाईकोर्ट ने एनआईओएस डी.एल.एड अभ्यर्थियों को प्राथमिक शिक्षक भर्ती में शामिल करने का आदेश दिया था. जिसके खिलाफ राज्य सरकार व बीएड अभ्यर्थियों ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की थी. विगत 28 नवंबर 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने सरकार और बीएड अभ्यर्थियों की एसएलपी स्वीकार करते हुए हाईकोर्ट का आदेश निरस्त कर दिया था. इसके बाद एनआईओएस अभ्यर्थी इस भर्ती प्रक्रिया से बाहर हो गए.
ये भी पढ़ेंः हल्द्वानी में सरकारी जमीन को बेचने का मामला, हाईकोर्ट ने सरकार समेत विभागों से 10 दिन में मांगी जांच रिपोर्ट

सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद विभाग द्वारा प्राथमिक शिक्षक भर्ती प्रक्रिया प्रारंभ करने की कार्रवाई की जा रही है. इस भर्ती में ऐसे बीएड अभ्यर्थियों द्वारा भी आवेदन किए गए हैं, जिनके द्वारा (राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद्) एनसीटीई के नियमों के विरुद्ध वर्ष 2012 से 2018 तक सीटीईटी प्रथम परीक्षा और 2015 व 2017 में यूटीईटी प्रमाण पत्र हासिल कर लिया था. ऐसे में बीएड अभ्यर्थियों के पूर्व में हुई काउंसलिंग में चयन सूची में आने के बाद विभाग द्वारा लफाफे बंद किए गए थे. ये लिफाफे खोलकर नियुक्ति आदेश जारी करने की मांग ये अभ्यर्थी विभाग से कर रहे हैं. अब तक सीटीईटी प्रमाण पत्र वाले 17 अभ्यर्थी अपने बंद लिफाफों को खोलने व नियुक्ति आदेश जारी करने हेतू प्रत्यावेदन दे चुके हैं.

इस भर्ती प्रक्रिया में पूर्व में डीएलएड अभ्यर्थियों की भर्ती होने के बाद अब शेष बचे पदों पर योग्य बीएड टीईटी (शिक्षक पात्रता परीक्षा) अभ्यर्थियों की नियुक्ति की जानी है. याचिका में कहा गया है कि नियम विरुद्ध सीटीईटी और यूटीईटी प्रमाण पत्र प्राप्त अभ्यर्थियों के आवेदन पत्र निरस्त किए जाएं. क्योंकि उनके लिफाफे बंद होने से नियुक्ति प्रक्रिया बाधित होगी और सैकड़ों की संख्या में योग्य बीएड अभ्यर्थी नियुक्ति से वंचित रह जाएंगे.

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने नियम विरुद्ध तरीके से प्राप्त करने वाले केंद्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा (सीटीईटी) और उत्तराखंड शिक्षक पात्रता परीक्षा (यूटीईटी) प्रमाण पत्र प्राप्त बीएड अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र जारी करने पर रोक लगा दी है. ऐसे अभ्यर्थियों का रिजल्ट शील्ड बंद लिफाफे में पूर्व से ही बंद है. जिसके खिलाफ उमेश कुमार व अन्य ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित की एकलपीठ ने नियम विरुद्ध तरीके से प्राप्त करने वाले सीटीईटी और यूटीईटी प्रमाण पत्र प्राप्त अभ्यर्थियों के लिफाफे खोलने पर रोक लगा दी है.

याचिकाकर्ताओं की ओर से पैरवी करते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता केपी उपाध्याय और उनके असिस्टेंट जूनियर अधिवक्ता हेमंत पंत ने कोर्ट को बताया कि राज्य में 2600 से अधिक पदों पर प्राथमिक शिक्षक भर्ती पिछले 3 वर्ष से सुप्रीम कोर्ट में राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान (एनआईओएस) डी.एल.एड अभ्यर्थियों के मामले में सरकार और बीएड अभ्यर्थियों की एसएलपी के कारण लंबित चल रही थी. उत्तराखंड हाईकोर्ट ने एनआईओएस डी.एल.एड अभ्यर्थियों को प्राथमिक शिक्षक भर्ती में शामिल करने का आदेश दिया था. जिसके खिलाफ राज्य सरकार व बीएड अभ्यर्थियों ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की थी. विगत 28 नवंबर 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने सरकार और बीएड अभ्यर्थियों की एसएलपी स्वीकार करते हुए हाईकोर्ट का आदेश निरस्त कर दिया था. इसके बाद एनआईओएस अभ्यर्थी इस भर्ती प्रक्रिया से बाहर हो गए.
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सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद विभाग द्वारा प्राथमिक शिक्षक भर्ती प्रक्रिया प्रारंभ करने की कार्रवाई की जा रही है. इस भर्ती में ऐसे बीएड अभ्यर्थियों द्वारा भी आवेदन किए गए हैं, जिनके द्वारा (राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद्) एनसीटीई के नियमों के विरुद्ध वर्ष 2012 से 2018 तक सीटीईटी प्रथम परीक्षा और 2015 व 2017 में यूटीईटी प्रमाण पत्र हासिल कर लिया था. ऐसे में बीएड अभ्यर्थियों के पूर्व में हुई काउंसलिंग में चयन सूची में आने के बाद विभाग द्वारा लफाफे बंद किए गए थे. ये लिफाफे खोलकर नियुक्ति आदेश जारी करने की मांग ये अभ्यर्थी विभाग से कर रहे हैं. अब तक सीटीईटी प्रमाण पत्र वाले 17 अभ्यर्थी अपने बंद लिफाफों को खोलने व नियुक्ति आदेश जारी करने हेतू प्रत्यावेदन दे चुके हैं.

इस भर्ती प्रक्रिया में पूर्व में डीएलएड अभ्यर्थियों की भर्ती होने के बाद अब शेष बचे पदों पर योग्य बीएड टीईटी (शिक्षक पात्रता परीक्षा) अभ्यर्थियों की नियुक्ति की जानी है. याचिका में कहा गया है कि नियम विरुद्ध सीटीईटी और यूटीईटी प्रमाण पत्र प्राप्त अभ्यर्थियों के आवेदन पत्र निरस्त किए जाएं. क्योंकि उनके लिफाफे बंद होने से नियुक्ति प्रक्रिया बाधित होगी और सैकड़ों की संख्या में योग्य बीएड अभ्यर्थी नियुक्ति से वंचित रह जाएंगे.

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