नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश प्रीतू शर्मा के हल्द्वानी गौलापार निवासी डिगर सिंह को फांसी की सजा दिए जाने के मामले पर सुनवाई की. इस मामले की सुनवाई के बाद कार्यवाहक मुख्य न्यायधीश संजय कुमार मिश्रा व न्यायमूर्ति एनएस धनिक की खंडपीठ ने अपना निर्णय सुरक्षित रख लिया है.
बता दें कि इस पूर्व निचली अदालत ने अपनी मां के हत्यारोपी डिगर सिंह को आईपीसी की धारा 302 के तहत फांसी की सजा, दस हजार जुर्माना और आईपीसी की धारा 307 के तहत आजीवन कारावास के साथ पांच हजार रुपये के अर्थदंड से दंडित किया था. साथ में अर्थदंड अदा नहीं करने पर आरोपी को छह माह की अतिरिक्त सजा भी सुनाई थी. जिसके बाद निचली अदालत ने अपने आदेश की पुष्टि के लिए यह आदेश माननीय उच्च न्यायलय भेजा था.
क्या है मामला: फांसी की सजा पाए दोषी के पिता शोभन सिंह ने 7 अक्टूबर, 2019 को चोरगलिया थाने में शिकायत दर्ज कराई थी. शिकायत में कहा गया था कि उनके बेटे डीगर सिंह का उनकी पत्नी जोमती देवी के साथ मामूली विवाद हो गया था. इसी विवाद के चलते डिगर सिंह ने आक्रोश में आकर धारदार हथियार से वार कर अपनी मां का गला धड़ से अलग कर नृशंस हत्या कर दी (Digar Singh Mercilessly Killed His Mother). झगड़े में बीच-बचाव कर रहे पड़ोसी इंद्रजीत सिंह व अन्य पर भी कुल्हाड़ी से हमला कर उन्हें भी बुरी तरह से घायल कर दिया था.
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गवाहों ने कोर्ट को बताई सच्चाई: निचली अदालत में जिरह के दौरान सरकारी गवाह ने कोर्ट को बताया था कि सुबह साढ़े 8 से 9 बजे के बीच आरोपी ने मां के एक हाथ से बाल पकड़कर दूसरे हाथ से उसकी गर्दन काट दी. आरोपी ने हत्या और हमले में कुल्हाड़ी और दराती का इस्तेमाल किया. शोर मचाने के बाद बहू और पड़ोसी वहां पहुंच गए. इसके बाद आरोपी के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया.इस मामले में सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष के तरफ से मृतका के पति, बहू समेत 12 लोगों को बतौर गवाह के रूप में कोर्ट में पेश किया, जिनकी गवाही के आधार पर प्रथम अपर सत्र न्यायधीश प्रीतू शर्मा की कोर्ट ने बीती 22 नवंबर को आरोपी को दोषी करार देते हुए न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया था. उसके बाद 24 नवंबर को सजा का ऐलान किया गया था.