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मसूरी नोटिफाफाइड फॉरेस्ट एरिया में अवैध निर्माण पर HC सख्त, MDDA-वन विभाग से जवाब तलब - illegal construction in mussoorie notified forest area

मसूरी में नोटिफाफाइड फॉरेस्ट एरिया में अवैध निर्माण पर हाईकोर्ट सख्त हो गया है.

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मसूरी नोटिफाफाइड फॉरेस्ट एरिया मामले पर हाईकोर्ट सख्त
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Published : Aug 25, 2021, 3:28 PM IST

नैनीताल: हाइकोर्ट ने मसूरी के नोटिफाइड फॉरेस्ट एरिया में वन विभाग एवं एमडीडीए की मिलीभगत से किए जा रहे अवैध निर्माणों के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. जिसमें कोर्ट ने एमडीडीए एवं वन विभाग से 22 सितंबर तक जवाब पेश करने को कहा है. मामले की सुनवाई मुख्य न्यायधीश आरएस चौहान एवं न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में हुई.

बता दें देहरादून निवासी हरजिंदर सिंह ने जनहित याचिका दायर कहा था कि मसूरी में केंद्र सरकार एवं सुप्रीम कोर्ट ने नोटिफाइड फॉरेस्ट एरिया में किसी भी तरह का निर्माण कार्य करने पर रोक लगाई थी. उसके बावजूद वन विभाग व एमडीडीए ने इन निर्देशों को दरकिनार करके अवैध निर्माण कार्य करने की अनुमति दी. जिसके कारण मसूरी कंक्रीट में तब्दील हो रहा है. इसका अस्तित्व खतरे में पड़ने लग गया है.

पढ़ें- इंस्पायर अवॉर्ड मानक कार्यक्रम: राज्य के लिए 40 हजार गुणवत्तायुक्त नामांकन का लक्ष्य निर्धारित

जब इसकी शिकायत वन विभाग के उच्च अधिकारियों, शासन स्तर व केंद्र सरकार से की गई तो एमडीडीए व वन विभाग ने अवैध निर्माण करने सम्बन्धित आदेश निरस्त कर दिया, मगर अभी दोनों ही विभागों ने वहां बने अवैध निर्माणों को ध्वस्त नहीं किया है और न ही नोटिफाइड एरिया से काटे गए पेड़ों की जगह नए पेड़ लगाए हैं.

पढ़ें- हरदा के दरबार से सिद्धू समर्थकों को झटका, बोले- अमरिंदर ही रहेंगे चुनाव में 'कैप्टन'

याचिकाकर्ता का कहना है कि अवैध निर्माणों को ध्वस्त किया जाए और नोटिफाइड फॉरेस्ट एरिया से काटे गए पेड़ों की जगह नए पेड़ लगाए जाए. जिससे मसूरी अपने पुराने अस्तित्व में आ सके.

नैनीताल: हाइकोर्ट ने मसूरी के नोटिफाइड फॉरेस्ट एरिया में वन विभाग एवं एमडीडीए की मिलीभगत से किए जा रहे अवैध निर्माणों के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. जिसमें कोर्ट ने एमडीडीए एवं वन विभाग से 22 सितंबर तक जवाब पेश करने को कहा है. मामले की सुनवाई मुख्य न्यायधीश आरएस चौहान एवं न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में हुई.

बता दें देहरादून निवासी हरजिंदर सिंह ने जनहित याचिका दायर कहा था कि मसूरी में केंद्र सरकार एवं सुप्रीम कोर्ट ने नोटिफाइड फॉरेस्ट एरिया में किसी भी तरह का निर्माण कार्य करने पर रोक लगाई थी. उसके बावजूद वन विभाग व एमडीडीए ने इन निर्देशों को दरकिनार करके अवैध निर्माण कार्य करने की अनुमति दी. जिसके कारण मसूरी कंक्रीट में तब्दील हो रहा है. इसका अस्तित्व खतरे में पड़ने लग गया है.

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जब इसकी शिकायत वन विभाग के उच्च अधिकारियों, शासन स्तर व केंद्र सरकार से की गई तो एमडीडीए व वन विभाग ने अवैध निर्माण करने सम्बन्धित आदेश निरस्त कर दिया, मगर अभी दोनों ही विभागों ने वहां बने अवैध निर्माणों को ध्वस्त नहीं किया है और न ही नोटिफाइड एरिया से काटे गए पेड़ों की जगह नए पेड़ लगाए हैं.

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याचिकाकर्ता का कहना है कि अवैध निर्माणों को ध्वस्त किया जाए और नोटिफाइड फॉरेस्ट एरिया से काटे गए पेड़ों की जगह नए पेड़ लगाए जाए. जिससे मसूरी अपने पुराने अस्तित्व में आ सके.

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