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छात्रवृत्ति घोटाला: अनुराग शंखधर को हाई कोर्ट से मिली जमानत, ये है पूरा मामला

छात्रृत्ति घोटाला मामले के आरोपी अनुराग शंखधर को नैनीताल हाई कोर्ट से जमानत मिल गई है. कोर्ट ने कहा है कि अनुराग के खिलाफ प्रथम दृष्टिया कोई साक्ष्य रिकॉर्ड में नहीं आया है.

नैनीताल हाई कोर्ट, nainital hc
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Published : Sep 3, 2019, 8:20 AM IST

नैनीताल: प्रदेश के सबसे बड़े छात्रवृत्ति घोटाले के आरोपी समाज कल्याण अधिकारी अनुराग शंखधर को नैनीताल हाई कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. न्यायाधीश राजीव खुल्बे की एकलपीठ ने शंखधर को जमानत दे दी है. शंखधर पर एससी/एसटी छात्रों की लिस्ट बनाने के लिए घोटाले में संलिप्त होने का आरोप था. हाईकोर्ट पहुंचे शंखधर ने कहा कि एससी/एसटी छात्रों के लिए लिस्ट बनाई ही नहीं है और उन्होंने 15 जुलाई 2006 के शासनादेश के अनुसार छात्रवृत्ति संबंधित विभागों को भेज दी थी.

हाई कोर्ट की एकलपीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि अनुराग के खिलाफ प्रथम दृष्टिया कोई साक्ष्य रिकॉर्ड में नहीं आया है. अनुराग के खिलाफ छात्रवृत्ति गबन अथवा उसे अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करने का कोई साक्ष्य सरकार द्वरा कोर्ट में पेश नहीं किया गया है. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि अनुराग सरकारी नौकरी में है और उसके भागने या फरार होने की कोई संभावना नहीं है. वो तो 18 मई 2019 से जेल में बंद है. लिहाजा उनको जमानत दी जानी चाहिए.

पढ़ें- मसूरी गोलीकांड: भारतीय जन नाट्य संघ ने किया सांस्कृतिक कार्यक्रम का विरोध, भाजपा पर साधा निशाना

बता दें, राज्य आंदोलनकारी रविन्द्र जुगरान ने हाई कोर्ट जनहित याचिका दायर कर कहा है कि समाज कल्याण विभाग द्वारा 2003 से अब तक अनुसूचित जाति व जनजाति के छात्रों का छात्रवृत्ति का पैसा नहीं दिया गया. जिससे स्पष्ट होता है कि 2003 से अब तक विभाग द्वारा करोड़ों रूपये का घोटाला किया गया है. जबकि 2017 में इसकी जांच के लिए पूर्व मुख्यमंत्री द्वारा एसआईटी गठित की गयी थी और 3 महीने के भीतर जांच पूरी करने के लिए कहा था. लेकिन इस पर आगे की कोई कार्रवाई नहीं हो सकी. इसके साथ ही जुगरान ने इस मामले में सीबीआई जांच की मांग की है.

अनुराग शंखधर की तरफ से हाई कोर्ट में जमानत याचिका दायर की गई थी, जिसकी सुनवाई करते हुए. एकलपीठ ने शंखधर को जमानत दे दी. जबकि घोटाले के मामले की जनहित याचिका मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ में विचाराधीन है.

नैनीताल: प्रदेश के सबसे बड़े छात्रवृत्ति घोटाले के आरोपी समाज कल्याण अधिकारी अनुराग शंखधर को नैनीताल हाई कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. न्यायाधीश राजीव खुल्बे की एकलपीठ ने शंखधर को जमानत दे दी है. शंखधर पर एससी/एसटी छात्रों की लिस्ट बनाने के लिए घोटाले में संलिप्त होने का आरोप था. हाईकोर्ट पहुंचे शंखधर ने कहा कि एससी/एसटी छात्रों के लिए लिस्ट बनाई ही नहीं है और उन्होंने 15 जुलाई 2006 के शासनादेश के अनुसार छात्रवृत्ति संबंधित विभागों को भेज दी थी.

हाई कोर्ट की एकलपीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि अनुराग के खिलाफ प्रथम दृष्टिया कोई साक्ष्य रिकॉर्ड में नहीं आया है. अनुराग के खिलाफ छात्रवृत्ति गबन अथवा उसे अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करने का कोई साक्ष्य सरकार द्वरा कोर्ट में पेश नहीं किया गया है. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि अनुराग सरकारी नौकरी में है और उसके भागने या फरार होने की कोई संभावना नहीं है. वो तो 18 मई 2019 से जेल में बंद है. लिहाजा उनको जमानत दी जानी चाहिए.

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बता दें, राज्य आंदोलनकारी रविन्द्र जुगरान ने हाई कोर्ट जनहित याचिका दायर कर कहा है कि समाज कल्याण विभाग द्वारा 2003 से अब तक अनुसूचित जाति व जनजाति के छात्रों का छात्रवृत्ति का पैसा नहीं दिया गया. जिससे स्पष्ट होता है कि 2003 से अब तक विभाग द्वारा करोड़ों रूपये का घोटाला किया गया है. जबकि 2017 में इसकी जांच के लिए पूर्व मुख्यमंत्री द्वारा एसआईटी गठित की गयी थी और 3 महीने के भीतर जांच पूरी करने के लिए कहा था. लेकिन इस पर आगे की कोई कार्रवाई नहीं हो सकी. इसके साथ ही जुगरान ने इस मामले में सीबीआई जांच की मांग की है.

अनुराग शंखधर की तरफ से हाई कोर्ट में जमानत याचिका दायर की गई थी, जिसकी सुनवाई करते हुए. एकलपीठ ने शंखधर को जमानत दे दी. जबकि घोटाले के मामले की जनहित याचिका मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ में विचाराधीन है.

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छात्र वृत्ति घोटाला मामले में आरोपी अनुराग संखधर को नैनीताल हाई कोर्ट से मिली बड़ी राहत।

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प्रदेश के बाद सबसे बड़े छात्र वृत्ति घोटाले के आरोपी समाज कल्याण अधिकारी अनुराग संखधार को नैनीताल हाई कोर्ट से बड़ी राहत मिली है, नैनीताल हाई कोर्ट के न्यायाधीश राजीव खुलेबे की एकलपीठ ने संखधार को जमानत दे दी है,संखधार पर एस सी/एस टी छात्रों की लिस्ट बनाने घोटाले में संलिप्त होने का आरोप था।
हाई कोर्ट पहुचे संखधार ने कहा कि एस.सी., एस.टी. छात्रों के लिए लिस्ट बनाई ही नहीं है और उन्होंने हरिद्वार के समाज कल्याण विभाग का मुखिया होने के नाते 15 जुलाई 2006 के शासनादेशानुसार छात्रवृत्ति संबंधित विभागों को भेज दी थी ।Body:हाई कोर्ट की एकलपीठ ने आज मामले में सुनवाई करते हुवे कहा कि अनुराग के खिलाफ प्रथम दृष्टिया कोई साक्ष्य रिकॉर्ड में नहीं आया है, और अनुराग के खिलाफ छात्रवृत्ति गबन अथवा उसे अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करने का कोई साक्ष्य सरकार द्वरा कोर्ट में पेश नहीं किया गया है, कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि अनुराग सरकारी नौकरी में है और उसके भागने या फरार होने की कोई संभावना नहीं है, वो तो 18 मई 2019 से जेल में बन्द है,लिहाज उनको जमानत दी जानी चाहिए।

Conclusion:आपको बतादे की राज्य आंदोलनकारी रविन्द्र जुगरान ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि समाज कल्याण विभाग द्वारा 2003 से अब तक अनुसूचित जाति व जनजाति के छात्रों का छात्रवृत्ति का पैसा नहीं दिया गया जिससे स्पष्ट होता है कि 2003 से अब तक विभाग द्वारा करोड़ों रूपये का घोटाला किया गया है,,, जबकी 2017 में इसकी जांच के लिए पुर्व मुख्यमन्त्री द्वारा एसआईटी गठित की गयी थी और 3 माह के भीतर जांच पूरी करने को भी कहा था परन्तु इस पर आगे की कोई कार्यवाही नही हो सकी,,,, साथ ही याचिकाकर्ता का यह भी कहना है कि इस मामले में सीबीआई जांच की जानी चाहिए,,,

आज संखधार की तरफ से हाई कोर्ट में जमानत याचिका दायर की थी जिसकी सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संखधार को जमानत दे दी।जबकि घोटाले के मामले की जनहित याचिका मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ में विचाराधीन है।
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