नैनीताल: राज्य सरकार द्वारा पूर्व मुख्यमंत्रियों पर सरकारी घर का किराया व अन्य भत्तों को माफ करने के अध्यादेश का मामला नैनीताल हाईकोर्ट की शरण में पहुंच गया है. गुरुवार को राज्य सरकार की ओर से मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ को बताया गया कि उनके द्वारा प्रदेश के सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों को नोटिस भेजा जा चुका है. जिसमें महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी भी शामिल हैं. मामले में सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने राज्य सरकार से शपथ पत्र पेश करने को कहा है.
बता दें कि पूर्व में हाइकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने आदेश दिए थे कि पूर्व के मुख्यमंत्री सरकार को 6 माह के भीतर बाजार रेट के हिसाब से अब तक का किराया जमा करा दें. साथ ही सरकार द्वारा पूर्व मुख्यमंत्रियों को दी गई कई अन्य सुविधाओं के खर्च को भी जमा किया जाए. हाईकोर्ट ने सरकार को निर्देश दिए थे कि 4 सप्ताह के भीतर सरकार अन्य खर्चों की जांच कर पूर्व मुख्यमंत्रियों से वसूल करें.
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पूर्व में मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ के ने पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी बंगले का किराया व अन्य भत्ते जमा करने के आदेश दिए थे. जिसके बाद राज्य सरकार ने पूर्व मुख्यमंत्रियों के मामले में अध्यादेश जारी कर सरकारी घर समेत अन्य भत्ते जमा न करने का फैसला किया था. सरकार द्वारा लाये गये इस अध्यादेश को एक याचिकाकर्ता ने हाई कोर्ट में चुनौती दी. बता दें कि पूर्व में सरकार ने 5 पूर्व मुख्यमंत्रियों पर 2 करोड़ 85 लाख रुपए की राशि बकाया होने की रिर्पोट कोर्ट में पेश की.
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जिसमें सरकार ने बताया की पूर्व सीएम रमेश पोखरियाल 'निशंक' पर 40 लाख 95 हजार, बीसी खण्डूरी पर 46 लाख 59 हजार, विजय बहुगुणा पर 37 लाख 50 हजार, भगत सिंह कोश्यारी पर 47 लाख 57 हजार रुपए बकाया है. जबकी पूर्व मुख्यमंत्री स्व. एनडी तिवारी के नाम पर एक करोड़ 13 लाख रुपए की राशि बकाया है.
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बता दें कि नैनीताल हाईकोर्ट ने देहरादून की रूरल लिटिगेशन संस्था की जनहित याचिका पर सुनवाई की थी. जिसमें कोर्ट ने प्रदेश के सभी मुख्यमंत्रियों को बकाया जमा करने के आदेश दिए. जिसके बाद राज्य सरकार ने कैबिनेट में अध्यादेश लाकर मुख्यमंत्रियों पर बकाया को माफ करने का फैसला लिया था. जिसे याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट में चुनौती दी और कहा कि कोर्ट के फैसले के बाद सरकार मामले में अध्यादेश ला रही है जो गलत है.