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प्रदेश में बाल मजदूरी कर रहे 15 बच्चों को कराया गया मुक्त, 8 पर FIR दर्ज - उत्तराखंड श्रम विभाग की कार्रवाई के बाद बाल मजदूरी में कमी

उत्तराखंड में श्रम विभाग बाल मजदूरी के खिलाफ लगातार कार्रवाई करते आया है. साथ ही लोगों को बाल मजदूरी को लेकर लगातार जागरूक कर रहा है. इसका नतीजा यह है कि उत्तराखंड में बाल मजदूरी में कमी देखी जा रही है. इस साल अप्रैल से अक्टूबर 2021 तक मात्र 15 बाल मजदूरी के मामले सामने आए हैं. इसमें बाल मजदूरी कराने पर 8 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है.

श्रम विभाग
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Published : Oct 28, 2021, 8:42 AM IST

Updated : Oct 28, 2021, 8:52 AM IST

हल्द्वानी: श्रम विभाग की कार्रवाई और लोगों में जागरूकता के चलते अब उत्तराखंड में धीरे-धीरे बाल मजदूरी में कमी देखी जा रही है. प्रदेश में पिछले साल श्रम विभाग ने अलग-अलग जगह कार्रवाई में 32 बाल मजदूरों को मुक्त कराया था. वहीं इस साल इस आंकड़े में गिरावट आई है.

इस साल अप्रैल से अक्टूबर 2021 तक मात्र 15 बाल मजदूरी के मामले सामने आए हैं. जिसमें बाल मजदूरी कराने पर 8 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है. जबकि एक मामले में 20 हजार रुपये का जुर्माना भी वसूला गया है. वहीं बाल मजदूरी के मामले में देहरादून अभी भी आगे है.

प्रदेश में बाल मजदूरी कर रहे 15 बच्चों को कराया गया मुक्त.

बाल मजदूरी के 15 मामले सामने आए: उत्तराखंड श्रम विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक इस वर्ष पूरे प्रदेश में 15 बाल मजदूरी के मामले सामने आए हैं. जिसमें 8 मामलों में एफआईआर दर्ज करने की कार्रवाई की गई है. बाल मजदूरी के मामले में देहरादून अभी भी आगे है. यहां 8 मामले सामने आए हैं जिसमें 6 मामलों में एफआईआर दर्ज हुई है. हरिद्वार में एक मामला सामने आया है. एक एफआईआर दर्ज की गई है. इसके अलावा नैनीताल जनपद में 4 मामले सामने आए हैं जिसमें एफआईआर दर्ज नहीं की गई है. उधम सिंह नगर में 2 मामले सामने आए हैं जिसमें 1 में एफआईआर दर्ज हुई है.

पढ़ें: कांग्रेस के अल्टीमेटम पर खरी नहीं उतरी सरकार, आज सचिवालय गेट पर सांकेतिक उपवास

श्रम विभाग चलाता है चेकिंग अभियान: श्रम आयुक्त उत्तराखंड संजय खेतवाल के मुताबिक बाल श्रम रोकने के लिए श्रम विभाग द्वारा समय-समय चेकिंग अभियान और शिकायतों के बाद कार्रवाई की जाती है. इसके अलावा स्पेशल टास्क फोर्स का भी गठन किया है जो समय-समय पर कार्रवाई करती रहती है. जिन बच्चों को बाल मजदूरी से मुक्त कराया गया है उनको समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए विभाग द्वारा शिक्षा दिलाने की कार्रवाई की जाती है. जिससे कि बाल मजदूर शिक्षा ग्रहण कर सकें.

बाल श्रम कराना कानूनी अपराध: बाल श्रम कराना कानूनी अपराध है. 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों से मजदूरी कराना और 14 साल से 18 साल के बच्चों से खतरनाक उद्योग और कारखानों में काम कराना अपराध की श्रेणी में आता है. अगर किसी के द्वारा बाल श्रम कराने की सूचना मिलती है तो विभाग द्वारा छापेमारी कर उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाती है.

हल्द्वानी: श्रम विभाग की कार्रवाई और लोगों में जागरूकता के चलते अब उत्तराखंड में धीरे-धीरे बाल मजदूरी में कमी देखी जा रही है. प्रदेश में पिछले साल श्रम विभाग ने अलग-अलग जगह कार्रवाई में 32 बाल मजदूरों को मुक्त कराया था. वहीं इस साल इस आंकड़े में गिरावट आई है.

इस साल अप्रैल से अक्टूबर 2021 तक मात्र 15 बाल मजदूरी के मामले सामने आए हैं. जिसमें बाल मजदूरी कराने पर 8 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है. जबकि एक मामले में 20 हजार रुपये का जुर्माना भी वसूला गया है. वहीं बाल मजदूरी के मामले में देहरादून अभी भी आगे है.

प्रदेश में बाल मजदूरी कर रहे 15 बच्चों को कराया गया मुक्त.

बाल मजदूरी के 15 मामले सामने आए: उत्तराखंड श्रम विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक इस वर्ष पूरे प्रदेश में 15 बाल मजदूरी के मामले सामने आए हैं. जिसमें 8 मामलों में एफआईआर दर्ज करने की कार्रवाई की गई है. बाल मजदूरी के मामले में देहरादून अभी भी आगे है. यहां 8 मामले सामने आए हैं जिसमें 6 मामलों में एफआईआर दर्ज हुई है. हरिद्वार में एक मामला सामने आया है. एक एफआईआर दर्ज की गई है. इसके अलावा नैनीताल जनपद में 4 मामले सामने आए हैं जिसमें एफआईआर दर्ज नहीं की गई है. उधम सिंह नगर में 2 मामले सामने आए हैं जिसमें 1 में एफआईआर दर्ज हुई है.

पढ़ें: कांग्रेस के अल्टीमेटम पर खरी नहीं उतरी सरकार, आज सचिवालय गेट पर सांकेतिक उपवास

श्रम विभाग चलाता है चेकिंग अभियान: श्रम आयुक्त उत्तराखंड संजय खेतवाल के मुताबिक बाल श्रम रोकने के लिए श्रम विभाग द्वारा समय-समय चेकिंग अभियान और शिकायतों के बाद कार्रवाई की जाती है. इसके अलावा स्पेशल टास्क फोर्स का भी गठन किया है जो समय-समय पर कार्रवाई करती रहती है. जिन बच्चों को बाल मजदूरी से मुक्त कराया गया है उनको समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए विभाग द्वारा शिक्षा दिलाने की कार्रवाई की जाती है. जिससे कि बाल मजदूर शिक्षा ग्रहण कर सकें.

बाल श्रम कराना कानूनी अपराध: बाल श्रम कराना कानूनी अपराध है. 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों से मजदूरी कराना और 14 साल से 18 साल के बच्चों से खतरनाक उद्योग और कारखानों में काम कराना अपराध की श्रेणी में आता है. अगर किसी के द्वारा बाल श्रम कराने की सूचना मिलती है तो विभाग द्वारा छापेमारी कर उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाती है.

Last Updated : Oct 28, 2021, 8:52 AM IST
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