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लॉकडाउन में अब मुरझाने लगे फूल, संकट में किसान - Flower farming in haridwar

कोरोना महामारी का असर अब धीरे धीरे लोगों पर प्रत्यक्ष रूप से पड़ने लगा है. लॉकडाउन की वजह से व्यापारी, किसान, मजदूर और आम लोग परेशानियों का सामना कर रहे हैं. वहीं हरिद्वार में फूलों की खेती करने वाले किसानों के सामने रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया है.

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फूलों की खेती को नुकसान
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Published : Apr 1, 2020, 7:58 PM IST

Updated : Apr 5, 2020, 5:38 PM IST

हरिद्वार: कोरोना संक्रमण का मामला विदेशों के साथ साथ भारत में भी लगातार बढ़ता ही जा रहा है. कोरोना वायरस के चलते पूरे देश में लॉकडाउन है. वहीं, अब इसका असर हरिद्वार में फूलों की खेती करने वाले किसान पर भी पड़ रहा है. इस समय शादियों का सीजन चलता था और नवरात्रि के चलते फूलों की भारी मात्रा में बिक्री होती थी, लेकिन फूलों की मंडी ना खुलने की वजह से किसानों को अपने फूलों को कूड़े में डालना पड़ रहा है. जिससे किसानों को लाखों का नुकसान हो रहा है.

वहीं किसानों ने मांग की है कि जिस तरह से गन्ना, गेहूं और अन्य फसलों के नुकसान पर सरकार मुआवजा देती है. इसी तरह फूलों की खेती करने वाले किसानों को भी इस वक्त मुआवजे की दरकार है. क्योंकि कोरोना वायरस की वजह से किसानों के सामने रोजी रोटी का संकट मंडराने लगा है.

कोरोना वायरस की सबसे ज्यादा मार हरिद्वार में फूलों की खेती करने वाले किसानों पर पड़ी है. एक किसान डेढ़ बीघा से लेकर तीन बीघा जमीन पर फूलों की खेती का प्लांट लगाता है और उसमें फूलों की खेती करता है. कई किसान फूलों की खेती से 2 से 3 साल में 5 से 6 लाख रुपए का मुनाफा कमाते हैं. मगर कोरोना वायरस की वजह से इनको 2 महीने में काफी नुकसान हुआ है. अगर नुकसान का अनुमान लगाया जाए तो लगभग 2 से 3 लाख रुपए का नुकसान हुआ है. क्योंकि अभी शादी का सीजन और नवरात्रों की वजह से फूलों की डिमांड बढ़ जाती थी. इसके साथ ही आने वाले समय में इन किसानों को तकरीबन चार लाख रुपए के नुकसान का अनुमान है. इस सीजन में दिसंबर, जनवरी, फरवरी तक किसानों की फूलों की खेती हुई. मगर उसके बाद से किसानों के फूल मार्केट में नहीं जा पा रहे हैं. जिससे फूलों की खेती करने वाले किसान अब रोजी-रोटी को भी मोहताज होने लगे हैं.

संकट में किसान

ये भी पढ़े: किसानों के सामने आई नई मुसीबत, लॉकडाउन के चलते खेतों में ही सड़ रही फसलें

किसानों का कहना है कि पूरा भारत लॉकडाउन की वजह से बंद है. इससे हमें काफी नुकसान हुआ है. हमें उम्मीद थी इस समय होने वाली शादियों में फूलों की डिमांड बढ़ेगी. मगर लॉकडाउन होने की वजह से सभी फूलों की मंडी बंद है. इसी कारण फूलों को तोड़कर कूड़े में डालने को मजबूर हैं. अगर हम फूलों को तोड़ेंगे नहीं तो हमारा फूलों का प्लांट भी खत्म हो जाएगा. गौरतलब है कि फूलों की खेती करने वाले किसानों को 2 से 3 महीने में ढाई से तीन लाख का नुकसान हो रहा है.

वहीं, हरिद्वार जिलाधिकारी सी रविशंकर का कहना है कि सरकार द्वारा निर्देश जारी किया गया है. जो किसान खेती कर रहा है, उसको बढ़ावा देना है. उनको किसी प्रकार से रोका नहीं जा रहा है. अगर फूलों की खेती करने वाले किसानों के फूलों के खराब होने की स्थिति है तो फूलों के किसानों को फूल बेचने की परमिशन दी जायेगी.

डीएम ने लोगों से अपील करते हुए कहा कि अगर उनको कोई कठिनाई आ रही है तो उन्हेॆं बताएं, उनको पास जारी किया जाएगा. सभी चेक पोस्टों पर निर्देश दिए गए हैं कि किसानों को रोका ना जाए. इसके अलावा अन्य राज्य से भी वार्ता कर रहे हैं. साथ ही मुख्यमंत्री राहत कोष से तीन करोड़ रुपए दिए गए हैं. अगर यह किसान उस श्रेणी में आएंगे तो इनकी भी मदद की जाएगी.

हरिद्वार: कोरोना संक्रमण का मामला विदेशों के साथ साथ भारत में भी लगातार बढ़ता ही जा रहा है. कोरोना वायरस के चलते पूरे देश में लॉकडाउन है. वहीं, अब इसका असर हरिद्वार में फूलों की खेती करने वाले किसान पर भी पड़ रहा है. इस समय शादियों का सीजन चलता था और नवरात्रि के चलते फूलों की भारी मात्रा में बिक्री होती थी, लेकिन फूलों की मंडी ना खुलने की वजह से किसानों को अपने फूलों को कूड़े में डालना पड़ रहा है. जिससे किसानों को लाखों का नुकसान हो रहा है.

वहीं किसानों ने मांग की है कि जिस तरह से गन्ना, गेहूं और अन्य फसलों के नुकसान पर सरकार मुआवजा देती है. इसी तरह फूलों की खेती करने वाले किसानों को भी इस वक्त मुआवजे की दरकार है. क्योंकि कोरोना वायरस की वजह से किसानों के सामने रोजी रोटी का संकट मंडराने लगा है.

कोरोना वायरस की सबसे ज्यादा मार हरिद्वार में फूलों की खेती करने वाले किसानों पर पड़ी है. एक किसान डेढ़ बीघा से लेकर तीन बीघा जमीन पर फूलों की खेती का प्लांट लगाता है और उसमें फूलों की खेती करता है. कई किसान फूलों की खेती से 2 से 3 साल में 5 से 6 लाख रुपए का मुनाफा कमाते हैं. मगर कोरोना वायरस की वजह से इनको 2 महीने में काफी नुकसान हुआ है. अगर नुकसान का अनुमान लगाया जाए तो लगभग 2 से 3 लाख रुपए का नुकसान हुआ है. क्योंकि अभी शादी का सीजन और नवरात्रों की वजह से फूलों की डिमांड बढ़ जाती थी. इसके साथ ही आने वाले समय में इन किसानों को तकरीबन चार लाख रुपए के नुकसान का अनुमान है. इस सीजन में दिसंबर, जनवरी, फरवरी तक किसानों की फूलों की खेती हुई. मगर उसके बाद से किसानों के फूल मार्केट में नहीं जा पा रहे हैं. जिससे फूलों की खेती करने वाले किसान अब रोजी-रोटी को भी मोहताज होने लगे हैं.

संकट में किसान

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किसानों का कहना है कि पूरा भारत लॉकडाउन की वजह से बंद है. इससे हमें काफी नुकसान हुआ है. हमें उम्मीद थी इस समय होने वाली शादियों में फूलों की डिमांड बढ़ेगी. मगर लॉकडाउन होने की वजह से सभी फूलों की मंडी बंद है. इसी कारण फूलों को तोड़कर कूड़े में डालने को मजबूर हैं. अगर हम फूलों को तोड़ेंगे नहीं तो हमारा फूलों का प्लांट भी खत्म हो जाएगा. गौरतलब है कि फूलों की खेती करने वाले किसानों को 2 से 3 महीने में ढाई से तीन लाख का नुकसान हो रहा है.

वहीं, हरिद्वार जिलाधिकारी सी रविशंकर का कहना है कि सरकार द्वारा निर्देश जारी किया गया है. जो किसान खेती कर रहा है, उसको बढ़ावा देना है. उनको किसी प्रकार से रोका नहीं जा रहा है. अगर फूलों की खेती करने वाले किसानों के फूलों के खराब होने की स्थिति है तो फूलों के किसानों को फूल बेचने की परमिशन दी जायेगी.

डीएम ने लोगों से अपील करते हुए कहा कि अगर उनको कोई कठिनाई आ रही है तो उन्हेॆं बताएं, उनको पास जारी किया जाएगा. सभी चेक पोस्टों पर निर्देश दिए गए हैं कि किसानों को रोका ना जाए. इसके अलावा अन्य राज्य से भी वार्ता कर रहे हैं. साथ ही मुख्यमंत्री राहत कोष से तीन करोड़ रुपए दिए गए हैं. अगर यह किसान उस श्रेणी में आएंगे तो इनकी भी मदद की जाएगी.

Last Updated : Apr 5, 2020, 5:38 PM IST
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