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ईवीएम में कैद हुआ प्रत्याशियों का भाग्य, जानिए स्ट्रांग रूम में क्या है सुरक्षा व्यवस्था ? - स्ट्रांग रूम सुरक्षा व्यवस्था

स्ट्रांग रूम थ्री लेयर सिक्योरिटी में रखा गया है. सबसे भीतरी सुरक्षा घेरा ITBP का घेरा है. जिला निर्वाचन अधिकारी ने बताया कि ITBP की एक कम्पनी 44 दिनों तक 24 घंटे स्ट्रांग रूम की सबसे अंदरूनी लेयर की सुरक्षा करेगी.

जानिए स्ट्रांग रूम में क्या है सुरक्षा व्यवस्था ?
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Published : Apr 12, 2019, 8:26 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड में 11 अप्रैल को पहले चरण में लोकसभा चुनाव के लिए मतदान संपन्न हो चुका है. अब आगामी 23 मई तक के लिए प्रत्याशियों की किस्मत EVM में कैद हो गई है. अगले 44 दिनों के लिए EVM और VVPAT को स्ट्रांग रूम में रखा गया है. आइए आपको बताते हैं कि क्या है स्टांग रूम और कैसे त्रिस्तरीय घेरे के बीच सुरक्षित रहती हैं ये मशीनें.

जिला निर्वाचन अधिकारी एस ए मुरुगेशन से खास बातचीत.
क्या होता है स्टांग रूमवोटिंग के बाद ईवीएम को मतगणना तक स्ट्रांग रूम में रखा जाता है. इन स्ट्रांग रूम की सुरक्षा व्यवस्था काफी पुख्ता होती है. स्ट्रांग रूम के बाहर 24 घंटे और सातों दिन पैरा मिलिट्री फोर्स तैनात रहती है तो वहीं, मतदान प्रक्रिया पूर्ण होने के बाद ईवीएम और वीवीपैट मशीनों को इसी स्ट्रांग रूम में कड़ी निगरानी के बीच रखा जाता है. स्ट्रांग रूम का एक ही दरवाजा होता है जो डबल लॉक सिस्टम के साथ होता है.

स्ट्रांग रूम में खिड़की या झरोखे नहीं होते हैं. इसकी दो चाबियां होती हैं जिसमें से एक चाबी स्ट्रांग रूम इंचार्ज के पास होती है. तो वहीं दूसरी चाबी जिला निर्वाचन अधिकारी/जिलाधिकारी के पास होती है. स्ट्रांग रूम में ईवीएम को राजनैतिक दलों की मौजूदगी में लॉक किया जाता है. वहीं, मतगणना के दिन उम्मीदवारों और जनप्रतिनिधियों के सामने स्ट्रांग रूम की सील खोली जाती है. स्ट्रांग रूम को खोलने से 24 घंटे पहले राजनैतिक दलों को सूचना देनी होती है.

पढे़ं- चम्पावत के तीन गांवों ने किया चुनाव बहिष्कार, एक बूथ पर पड़े सिर्फ दो वोट

त्रिस्तरीय सुरक्षा लेयर में रहेगा स्ट्रांग रूम
स्ट्रांग रूम थ्री लेयर सिक्योरिटी में रखा गया है. सबसे भीतरी सुरक्षा घेरा ITBP का घेरा है. जिला निर्वाचन अधिकारी ने बताया कि ITBP की एक कम्पनी 44 दिनों तक 24 घंटे स्ट्रांग रूम की सबसे अंदरूनी लेयर की सुरक्षा करेगी.

दूसरे सुरक्षा दायरे पर PAC सुरक्षा पुलिस तैनात की गई है. जो स्ट्रांग रूम में आने-जाने वाले हर व्यक्ति की जांच करेगी.

तीसरी सबसे बाहरी सुरक्षा सिविल पुलिस का घेरा है. जो स्ट्रांग रूम के आस-पास भटकने वाले हर व्यक्ति पर नजर रखेगा.

48 सीसीटीवी कैमरों से रिकॉर्डिंग
स्ट्रांग रूम की सुरक्षा के लिए अंदर और बाहर 48 सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं. इन कैमरों की रिकार्डिंग पूरी तरह से सुरक्षित रखी जाएगी. इन कैमरों में होने वाली रिकार्डिंग को जूम करके भी देखा जा सकेगा. इसके लिए कंट्रोल रूम भी स्थापित किया गया.

सीलन, दीमक और चूहों के लिहाज से भी सुरक्षित स्ट्रांग रूम
स्ट्रांग रूम में बाहरी सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं. लेकिन स्ट्रांग रूम के अंदर कमरों में रखे EVM की सुरक्षा को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है. बता दें कि उत्तराखंड के पूरे तराई वाले इलाकों में बन्द कमरों में दीमक, सीलन और चूहों से होने वाली समस्या से भी स्ट्रांग रूम को सुरक्षा की जरूरत है.

पढे़ं- देवभूमि के इस मंदिर में भगवान राम और लक्ष्मण ने की थी तपस्या, ये है पौराणिक महत्व

देहरादून जिला निर्वाचन अधिकारी एस ए मुरुगेशन ने इस समस्या को गंभीर समस्या बताते हुए कहा कि स्ट्रांग रूम में इन सारी बातों का ध्यान रखा गया है. किसी तरह का शार्ट सर्किट ना हो इसके लिए सभी कमरों की लाइट काट दी गयी है और अंधेरे में EVM को रखा गया है.

देहरादून: उत्तराखंड में 11 अप्रैल को पहले चरण में लोकसभा चुनाव के लिए मतदान संपन्न हो चुका है. अब आगामी 23 मई तक के लिए प्रत्याशियों की किस्मत EVM में कैद हो गई है. अगले 44 दिनों के लिए EVM और VVPAT को स्ट्रांग रूम में रखा गया है. आइए आपको बताते हैं कि क्या है स्टांग रूम और कैसे त्रिस्तरीय घेरे के बीच सुरक्षित रहती हैं ये मशीनें.

जिला निर्वाचन अधिकारी एस ए मुरुगेशन से खास बातचीत.
क्या होता है स्टांग रूमवोटिंग के बाद ईवीएम को मतगणना तक स्ट्रांग रूम में रखा जाता है. इन स्ट्रांग रूम की सुरक्षा व्यवस्था काफी पुख्ता होती है. स्ट्रांग रूम के बाहर 24 घंटे और सातों दिन पैरा मिलिट्री फोर्स तैनात रहती है तो वहीं, मतदान प्रक्रिया पूर्ण होने के बाद ईवीएम और वीवीपैट मशीनों को इसी स्ट्रांग रूम में कड़ी निगरानी के बीच रखा जाता है. स्ट्रांग रूम का एक ही दरवाजा होता है जो डबल लॉक सिस्टम के साथ होता है.

स्ट्रांग रूम में खिड़की या झरोखे नहीं होते हैं. इसकी दो चाबियां होती हैं जिसमें से एक चाबी स्ट्रांग रूम इंचार्ज के पास होती है. तो वहीं दूसरी चाबी जिला निर्वाचन अधिकारी/जिलाधिकारी के पास होती है. स्ट्रांग रूम में ईवीएम को राजनैतिक दलों की मौजूदगी में लॉक किया जाता है. वहीं, मतगणना के दिन उम्मीदवारों और जनप्रतिनिधियों के सामने स्ट्रांग रूम की सील खोली जाती है. स्ट्रांग रूम को खोलने से 24 घंटे पहले राजनैतिक दलों को सूचना देनी होती है.

पढे़ं- चम्पावत के तीन गांवों ने किया चुनाव बहिष्कार, एक बूथ पर पड़े सिर्फ दो वोट

त्रिस्तरीय सुरक्षा लेयर में रहेगा स्ट्रांग रूम
स्ट्रांग रूम थ्री लेयर सिक्योरिटी में रखा गया है. सबसे भीतरी सुरक्षा घेरा ITBP का घेरा है. जिला निर्वाचन अधिकारी ने बताया कि ITBP की एक कम्पनी 44 दिनों तक 24 घंटे स्ट्रांग रूम की सबसे अंदरूनी लेयर की सुरक्षा करेगी.

दूसरे सुरक्षा दायरे पर PAC सुरक्षा पुलिस तैनात की गई है. जो स्ट्रांग रूम में आने-जाने वाले हर व्यक्ति की जांच करेगी.

तीसरी सबसे बाहरी सुरक्षा सिविल पुलिस का घेरा है. जो स्ट्रांग रूम के आस-पास भटकने वाले हर व्यक्ति पर नजर रखेगा.

48 सीसीटीवी कैमरों से रिकॉर्डिंग
स्ट्रांग रूम की सुरक्षा के लिए अंदर और बाहर 48 सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं. इन कैमरों की रिकार्डिंग पूरी तरह से सुरक्षित रखी जाएगी. इन कैमरों में होने वाली रिकार्डिंग को जूम करके भी देखा जा सकेगा. इसके लिए कंट्रोल रूम भी स्थापित किया गया.

सीलन, दीमक और चूहों के लिहाज से भी सुरक्षित स्ट्रांग रूम
स्ट्रांग रूम में बाहरी सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं. लेकिन स्ट्रांग रूम के अंदर कमरों में रखे EVM की सुरक्षा को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है. बता दें कि उत्तराखंड के पूरे तराई वाले इलाकों में बन्द कमरों में दीमक, सीलन और चूहों से होने वाली समस्या से भी स्ट्रांग रूम को सुरक्षा की जरूरत है.

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देहरादून जिला निर्वाचन अधिकारी एस ए मुरुगेशन ने इस समस्या को गंभीर समस्या बताते हुए कहा कि स्ट्रांग रूम में इन सारी बातों का ध्यान रखा गया है. किसी तरह का शार्ट सर्किट ना हो इसके लिए सभी कमरों की लाइट काट दी गयी है और अंधेरे में EVM को रखा गया है.

Intro:अलग अलग सुरक्षा बलों की तीन लेयर की सुरक्षा में स्ट्रांग रूम
EVM को दीमक और चूहों से भी सुरक्षा की जरूरत।

एंकर- उत्तराखंड में 11 अप्रेल को हुए मतदान के बाद अब आगामी 23 मई तक के लिए प्रत्याशियों की किस्मत EVM में कैद हो गयी है लेकिन अगले 44 दिनों के लिए EVM सुरक्षा कैसे होगी हम आपको बताते हैं।



Body:वीओ- देहरादून जिला निर्वाचन अधिकारी ने ETv भारत से बातचीत में बताया कि जिले के दूरस्थ पोलिंग स्टेशनों से स्ट्रॉग रूम तक पोलिंग पार्टीयों के पहुंचने का दौर लगातार जारी है। जरूरी औपचारिकताएं पूरी की जा रही है जिसके बाद सभी प्रत्याशियों के अधिकृत सदस्य के सामने स्ट्रांग रूम में EVM मशीनों को सील कर दिया जाएगा। स्ट्रांग रूम की सभी प्रक्रियाओं के अलावा आगामी 44 दिनों तक का पल पल और चप्पा चप्पा CCTV कैमरे की निगरानी में रखा जाएगा।

त्रिस्तरीय सुरक्षा लेयर में रहेगा स्ट्रांग रूम-
-स्ट्रांग रूम थ्री लेयर सिक्योरिटी में रखा गया है। सबसे भीतरी सुरक्षा घेरा ITBP का घेरा है। जिला निर्वाचन अधिकारी ने बताया कि ITBP की एक कम्पनी स्ट्रांग रूम की सबसे अंदरूनी लेयर की सुरक्षा करेगी जो आगामी 44 दिन चौबीसों घंटे स्ट्रांग रूम पर परिंदे को भी पर नही मारने देगी।
- दूसरे सुरक्षा दायरे पर PAC सुरक्षा पुलिस तैनात की गई है और ये पुलिस स्ट्रांग रूम में आने जाने वाले हर व्यक्ति की जांच भी करेगी।
- सबसे बाहरी सुरक्षा दायरा सिविल पुलिस का सुरक्षा घेरा है जो स्ट्रांग रूम के आस पास भटकने वाले हर किसी व्यक्ति पर नजर रखेगा।

सीलन, दीमक और चूहों के लिहाज से भी सुरक्षित स्ट्रांग रूम-
स्ट्रांग रूम में बाहरी सुरक्षा के तो कड़े इंतजाम किए गए हैं लेकिन स्ट्रांग रूम के अंदर कमरों में रखे EVM की सुरक्षा को भी नजरअंदाज नही किया जा सकता है। आपको बता दें कि उत्तराखंड के पूरे तराई वाले इलाकों में बन्द कमरों में लगने वाले दीमक, सीलन और चूहों से होने वाली समस्या से भी स्ट्रांग रूम को सुरक्षा की जरूरत है। देहरादून जिला निर्वाचन अधिकारी से जब हमने इस बारे में बात की तो उन्होंने इस समस्या को गंभीर समस्या बताते हुए कहा कि स्ट्रांग रूम में इन सारी बातों का ध्यान रखा गया है। किसी तरह का शार्ट सर्किट ना हो इसके लिए सभी कमरों की लाइट काट दी गयी है और अंधेरे में EVM रखी जायेगी।
वन टू वन एस मुरुगेशन, जिला निर्वाचन अधिकारी देहरादून


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