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देवभूमि के इन व्यंजनों के देश-विदेश के लोग हैं मुरीद, इन से है उत्तराखंड की खास पहचान

चेन्सू भी एक प्रोटीन युक्त लाजवाब व्यंजन है, जो कि काली दाल (उडद की दाल) से बनाया जाता है, और यह हर पहाड़ी  के लिए एक लोकप्रिय भोजन विकल्प है. वहीं थिन्चौड़ी भी स्थानीय लोगों के खान-पान में शामिल है. जिसे काफी पसंद किया जाता है.

सैलानी कर रहे पहाड़ी व्यंजनों की डिमांड.
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Published : May 31, 2019, 8:44 AM IST

अल्मोड़ा: देवभूमि उत्तराखंड अपनी खूबसूरती ही नहीं अपने खास प्रकार के व्यंजनों के लिए भी जाना जाता है. जिनका नाम जुबां पर आता ही मुंह में पानी आ जाता है. आए भी क्यों नहीं इन्हें पर्वतीय क्षेत्रों में आज भी जैविक खेती कर उगाया जाता है.

लोगों की जुबां पर चढ़ा पर्वतीय व्यंजनों का स्वाद.

अब आपकों व्यंजनों से रूबरू कराते हैं. सबसे पहले भांग की चटनी की बात करते हैं. यह उत्तराखंड की प्रसिद्ध चटनी है. चटनी और पहाड़ का रिश्ता काफी पुराना है. यह भांग के बीज, जीरा, लहसुन के पत्तों, इमली, और नमक से तैयार की जाती है. ये चटनी पहाड़ी व्यंजनों के स्वाद को बढ़ाती है. वहीं गहत की दाल के परांठे उत्तराखंड का एक प्रसिद्ध पकवान है. यह परांठे गहत की दाल को गेहूं या मडुए के आटे के मिश्रण में भरकर तैयार किया जाता हैं. साथ ही गहत की दाल का फाणु भी बनाया जाता है. फाणु भात उत्तराखंड में बहुत ज्यादा खाया जाता है.बाड़ी भी उत्तराखंड के उन व्यजनों में से एक है जो काफी मशहूर है. बाड़ी को मंडुए के आटे से बनाया जाता है, बाड़ी में भरपूर मात्रा में पोषक तत्त्व होते हैं. मंडुए को पानी में घी के साथ पकाकर इसे बनाया जाता है.

चेन्सू भी एक प्रोटीन युक्त लाजवाब व्यंजन है, जो कि काली दाल (उडद की दाल) से बनाया जाता है, और यह हर पहाड़ी के लिए एक लोकप्रिय भोजन विकल्प है. वहीं थिन्चौड़ी भी स्थानीय लोगों के खान-पान में शामिल है. जिसे काफी पसंद किया जाता है. इसे पहाड़ी मूली या पहाड़ी आलू को क्रश किया जाता है. रोटी या चावल के साथ परोसा जाता है. वहीं कंड़ाली की सब्जी की बात ही कुछ और है. जिसे बिच्छू घास कहा जाता है उसका साग भात रोजाना पकवान में शामिल किया जाता है. वहीं बात करें अरसा की तो ये मीठा पकवान है, आम तौर पर इसे पहाड़ी शादियों में परोसा जाता हैं. पहाड़ की स्वादिष्ट थाली में परोसे जाने वाले खाने के मुरीद विदेशी भी है. यही वजह है कि आज तमाम होटल-रेस्टोरेंट में पारंपरिक व्यंजनों को परोसा जाने लगा है.

अल्मोड़ा: देवभूमि उत्तराखंड अपनी खूबसूरती ही नहीं अपने खास प्रकार के व्यंजनों के लिए भी जाना जाता है. जिनका नाम जुबां पर आता ही मुंह में पानी आ जाता है. आए भी क्यों नहीं इन्हें पर्वतीय क्षेत्रों में आज भी जैविक खेती कर उगाया जाता है.

लोगों की जुबां पर चढ़ा पर्वतीय व्यंजनों का स्वाद.

अब आपकों व्यंजनों से रूबरू कराते हैं. सबसे पहले भांग की चटनी की बात करते हैं. यह उत्तराखंड की प्रसिद्ध चटनी है. चटनी और पहाड़ का रिश्ता काफी पुराना है. यह भांग के बीज, जीरा, लहसुन के पत्तों, इमली, और नमक से तैयार की जाती है. ये चटनी पहाड़ी व्यंजनों के स्वाद को बढ़ाती है. वहीं गहत की दाल के परांठे उत्तराखंड का एक प्रसिद्ध पकवान है. यह परांठे गहत की दाल को गेहूं या मडुए के आटे के मिश्रण में भरकर तैयार किया जाता हैं. साथ ही गहत की दाल का फाणु भी बनाया जाता है. फाणु भात उत्तराखंड में बहुत ज्यादा खाया जाता है.बाड़ी भी उत्तराखंड के उन व्यजनों में से एक है जो काफी मशहूर है. बाड़ी को मंडुए के आटे से बनाया जाता है, बाड़ी में भरपूर मात्रा में पोषक तत्त्व होते हैं. मंडुए को पानी में घी के साथ पकाकर इसे बनाया जाता है.

चेन्सू भी एक प्रोटीन युक्त लाजवाब व्यंजन है, जो कि काली दाल (उडद की दाल) से बनाया जाता है, और यह हर पहाड़ी के लिए एक लोकप्रिय भोजन विकल्प है. वहीं थिन्चौड़ी भी स्थानीय लोगों के खान-पान में शामिल है. जिसे काफी पसंद किया जाता है. इसे पहाड़ी मूली या पहाड़ी आलू को क्रश किया जाता है. रोटी या चावल के साथ परोसा जाता है. वहीं कंड़ाली की सब्जी की बात ही कुछ और है. जिसे बिच्छू घास कहा जाता है उसका साग भात रोजाना पकवान में शामिल किया जाता है. वहीं बात करें अरसा की तो ये मीठा पकवान है, आम तौर पर इसे पहाड़ी शादियों में परोसा जाता हैं. पहाड़ की स्वादिष्ट थाली में परोसे जाने वाले खाने के मुरीद विदेशी भी है. यही वजह है कि आज तमाम होटल-रेस्टोरेंट में पारंपरिक व्यंजनों को परोसा जाने लगा है.

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उत्तराखंड के इन व्यंजनों के देश-विदेश के लोग हैं मुरीद, इन से है देवभूमि की खास पहचान

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अल्मोड़ा:  देवभूमि उत्तराखंड अपनी खूबसूरती ही नहीं अपने खास प्रकार के व्यंजनों के लिए भी जाना जाता है. जिनका नाम जुबां पर आता ही मुंह में पानी आ जाता है. आए भी क्यों नहीं इन्हें पर्वतीय क्षेत्रों में आज भी जैविक खेती कर उगाया जाता है. 

अब आपकों व्यंजनों से रूबरू कराते हैं.  सबसे पहले भांग की चटनी की बात करते हैं.  यह उत्तराखंड की प्रसिद्ध चटनी है.  चटनी और पहाड़ का रिश्ता काफी पुराना है. यह भांग के बीज, जीरा, लहसुन के पत्तों, इमली, और नमक से तैयार की जाती है. ये चटनी पहाड़ी व्यंजनों के स्वाद को बढ़ाती है. 

वहीं गहत की दाल के परांठे उत्तराखंड का एक प्रसिद्ध पकवान है. यह परांठे गहत की दाल को गेहूं या मडुए के आटे के मिश्रण में भरकर तैयार किया जाता हैं. साथ ही गहत की दाल का फाणु भी बनाया जाता है. फाणु भात उत्तराखंड में बहुत ज्यादा खाया जाता है.

बाड़ी भी उत्तराखंड के उन व्यजनों में से एक है जो काफी मशहूर है. बाड़ी को  मंडुए के आटे से बनाया जाता है, बाड़ी में भरपूर मात्रा में पोषक तत्त्व होते हैं. मंडुए को पानी में घी के साथ पकाकर इसे बनाया जाता है. 

चेन्सू भी एक प्रोटीन युक्त लाजवाब व्यंजन है, जो कि काली दाल (उडद की दाल) से बनाया जाता है, और यह हर पहाड़ी  के लिए एक लोकप्रिय भोजन विकल्प है. 

वहीं थिन्चौड़ी भी स्थानीय लोगों के खान-पान में शामिल है. जिसे काफी पसंद किया जाता है. इसे पहाड़ी मूली या पहाड़ी आलू को क्रश किया जाता है. रोटी या चावल के साथ परोसा जाता है. 

वहीं कंड़ाली की सब्जी की बात ही कुछ और है. जिसे बिच्छू घास कहा जाता है उसका साग भात रोजाना पकवान में शामिल किया जाता है. 

वहीं बात करें अरसा की तो ये मीठा पकवान है, आम तौर पर इसे पहाड़ी शादियों में परोसा जाता हैं. 

पहाड़ की स्वादिष्ट थाली में परोसे जाने वाले खाने के मुरीद विदेशी भी है. यही वजह है कि आज तमाम होटल-रेस्टोरेंट में पारंपरिक व्यंजनों को परोसा जाने लगा है. 

 


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