अल्मोड़ा: उत्तराखंड सरकार स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर करने का लाख दावा कर ले, लेकिन पहाड़ी जनपदों में आज भी स्वास्थ्य व्यवस्थाएं वेंटिलेटर पर है. तभी तो गरीब मरीजों सरकारी अस्पतालों में भगवान भरोस अपना इलाज कराने को मजबूर हैं. वहीं, स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव में इन मरीजों की मौत होना लगभग आम बता हो गई है. ताजा मामला विक्टर मोहन जोशी महिला अस्पताल अल्मोड़ा का है. जहां बेटी को जन्म देने के बाद एक प्रसूता ने वेंटिलेटर के अभाव में दम तोड़ दिया.
महिला अस्पताल अल्मोड़ा में एक बार फिर गर्भवती महिला की मौत का मामला सामने आया है. गर्भवती को प्रसव के लिए महिला अस्पताल में भर्ती किया गया था. जहां बेटी को जन्म देने के आधे घंटे बाद प्रसूता की मौत हो गई. मौत के बाद से ही परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है. बताया जा रहा है कि अस्पताल में वेंटिलेटर नहीं होने से प्रसूता की मौत हो गई.
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सोमेश्वर चनौदा के ग्राम खिराकोट निवासी दुर्गा भाकुनी (25) पत्नी कैलाश सिंह को प्रसव पीड़ा के बाद परिजन प्रसुता को सोमेश्वर अस्पताल लेकर पहुंचे. जहां से डॉक्टरों ने उसे अल्मोड़ा रेफर कर दिया. जिसके बाद प्रसूता को महिला अस्पताल अल्मोड़ा में भर्ती कराया गया. जहां महिला ने नॉर्मल डिलीवरी से बेटी को जन्म दिया. बच्चे के जन्म के बाद अचानक उसकी हालत बिगड़ने लगी और लगभग आधे घंटे के अंदर ही प्रसूता की मौत हो गई.
प्रसुता के परिजनों ने पोस्टमॉर्टम कराने से इनकार कर दिया. जिसके बाद शव परिजनों को सौंप दिया गया. वहीं नवजात पूरी तरह स्वस्थ है. बताया जा रहा है कि महिला का पहला प्रसव था. अस्पताल में वेंटिलेटर नहीं होने से महिला की मौत हो गई. जिले में अब भी वेंटिलेटर की व्यवस्था नहीं हो पाने से कई बार गंभीर मामलों में मरीजों की जान को खतरा बना रहता है. प्रसुता को यदि वेंटिलेटर मिल जाता तो शायद उसकी जान बच सकती थी.
बता दें कि महिला अस्पताल को कोरोना काल में दो वेंटिलेटर मिले हैं, लेकिन अस्पताल में जगह की कमी की वजह से वेंटिलेटर अब तक स्थापित भी नहीं हो पाए हैं. जिस कारण मरीजों को जान से हाथ धोना पड़ रहा है. अस्पताल प्रभारी सीएमएस महिला अस्पताल डॉ. प्रीति पंत ने बताया कि प्रसूता को भर्ती किया गया था, सामान्य प्रसव के बाद उसने बेटी को जन्म दिया, लेकिन कुछ ही देर में उसकी तबीयत बिगड़ गई और करीब आधे घंटे के भीतर महिला की मौत हो गई.