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USAid एजेंसी क्या है, जिसे स्टेट डिपार्टमेंट में विलय करेंगे ट्रंप? भारत सहित दुनियाभर में क्या होगा प्रभाव ? - WHAT IS USAID AGENCY

USAid की स्थापना 1961 में डेमोक्रेटिक राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी ने की थी. इसका उद्देश्य सोवियत प्रभाव का मुकाबला करना था.

WHAT IS USAID AGENCY
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (AP)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Feb 4, 2025, 4:31 PM IST

हैदराबाद: डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन ने अमेरिकी अंतरराष्ट्रीय सहायता एजेंसी (USAid) को स्टेट डिपार्टमेंट में विलय करने की योजना की पुष्टि की है. इससे एजेंसी के कर्मचारियों की संख्या कम हो जाएगी और इसके खर्च को ट्रंप की प्राथमिकताओं के अनुरूप बनाया जाएगा. इसको लेकर राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा कि USAid को पागल कट्टरपंथी का एक ग्रुप चला रहा था और हम उन्हें बाहर निकाल रहे हैं.

वहीं, उद्योगपति एलन मस्क ने भी एजेंसी को बिना किसी सबूत के एक आपराधिक संगठन कहा. उन्होंने कहा कि अब इसके खत्म होने का समय आ गया है. उल्लेखनीय है कि ट्रंप के इस कदम से दुनियाभर में चल रही मानवीय सहायता प्रोजेक्ट्स पर गंभीर असर पड़ेगा.

USAid एजेंसी का गठन कैसे हुआ?
एजेंसी का गठन मुख्य रूप से सोवियत प्रभाव का मुकाबला करने के लिए किया गया था. इसकी की स्थापना 1961 में डेमोक्रेटिक राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी ने शीत युद्ध के चरम पर विदेशी सहायता के माध्यम से सोवियत प्रभाव का मुकाबला करने के उद्देश्य से की थी.

USAID एजेंसी का मुख्य काम क्या है?
कांग्रेसनल रिसर्च सर्विस के अनुसार यूएसएआई रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण देशों और संघर्षरत देशों की मदद करता है. यह गरीबी, बीमारी और मानवीय जरूरतों को कम करने के लिए अमेरिकी प्रयासों का नेतृत्व करता है. इसके अलावा यह विकासशील देशों की आर्थिक वृद्धि का समर्थन करके वर्ल्ड ट्रेड में भाग लेने के लिए देशों की क्षमता का निर्माण करके अमेरिकी वाणिज्यिक हितों की सहायता करता है.

पीबीएस द पब्लिक ब्रॉडकास्टिंग सर्विस के अनुसार एजेंसी के पास 13000 से ज्यादा कर्मचारी हैं. इसमें कम से कम 1,000 कॉन्ट्रैक्टर हैं और यह लगभग 130 देशों को सहायता प्रदान करता है.

USAID एजेंसी द्वारा वित्तपोषित कार्यक्रम
कांग्रेस की रिसर्ट सर्विस सीआरएस के अनुसार 1990 के दशक की शुरुआत से ही USAID ने सबसे ज्यादा फंड स्वास्थ्य कार्यक्रम के लिए ही दिया है. इसे 2004 में एचआईवी/एड्स से निपटने के लिए अमेरिकी विदेश विभाग से अरबों डॉलर की मदद मिली थी. कोविड-19 महामारी के दौरान स्वास्थ्य ने यूएसएआईडी परियोजनाओं पर अपना दबदबा बनाए रखा.

किसको मिलती है USAID?
USAID के दुनियाभर में 100 से अधिक देशों में मिशन हैं. इन देशों अफ्रीका एशिया, लैटिन अमेरिका, मध्य पूर्व और पूर्वी यूरोप के देश शामिल हैं. 2023 में यूक्रेन, इथियोपिया, जॉर्डन, डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो, सोमालिया, यमन, अफगानिस्तान, नाइजीरिया, दक्षिण सूडान और सीरिया भी इसकी सहायता लेने वाले टॉप देशों में शामिल हो गए. USAID विदेशी सहायता डैशबोर्ड के अनुसार 2023 वित्तीय वर्ष में यूएसएआईडी ने दुनिया भर के 160 देशों और क्षेत्रों में लगभग 44 बिलियन डॉलर की सहायता वितरित का टारगेट रखा था.

ट्रंप द्वारा USAID एजेंसी के बजट में कटौती के पिछले प्रयास
अपने पहले कार्यकाल के दौरान ट्रंप ने विदेशी सहायता खर्च में एक तिहाई की कटौती करने की कोशिश की, लेकिन कांग्रेस ने उनके प्रयासों को रोक दिया. जवाब में उनके प्रशासन ने पहले से स्वीकृत धन के फ्लो को प्रतिबंधित करने के लिए बजट फ्रीज और अन्य रणनीति का इस्तेमाल किया. बाद में जनरल अकाउंटिंग ऑफिस ने इंपाउंडमेंट कंट्रोल एक्ट के तहत इस कदम को अवैध घोषित कर दिया.

USAID के फंड पर रोक के दुनिभर में क्या होगा प्रभाव?
USAID की फंडिंग पर रोक के पहले से ही व्यापक परिणाम हो रहे हैं. सब-सहारा अफ्रीका, जिसे 2024 में 6.5 बिलियन डॉलर से अधिक की अमेरिकी सहायता मिली थी. उसको सबसे अधिक नुकसान होने की उम्मीद है. एचआईवी के मरीज जो यूएसएआईडी द्वारा फंडेड क्लीनिकों पर निर्भर थे. अब उनके दरवाजे बंद हो रहे हैं.

लैटिन अमेरिका में भी स्थिति खराब हो रही है. मेक्सिको में प्रवासियों के लिए एक आश्रय गृह ने अपना एकमात्र डॉक्टर खो दिया है. वेनेजुएला से भाग रहे LGBTQ+ युवाओं के लिए एक मानसिक स्वास्थ्य सहायता कार्यक्रम बंद कर दिया गया है.

USAID के फंड पर रोक लगने से कोलंबिया, कोस्टा रिका, इक्वाडोर और ग्वाटेमाला जैसे देशों में सेफ मॉबिलिटी ऑफिस जो प्रवासियों को अमेरिका में प्रवेश के लिए कानूनी रूप से आवेदन करने में मदद करते थे, उन्हें बंद करने के लिए मजबूर होना पड़ा है. सहायता संगठन इस रोक के पूरे प्रभाव का आकलन करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं, क्योंकि हजारों कार्यक्रम रुक गए हैं और अनगिनत वर्कर्स की नौकरी चली गई है.

USAID के बंद होने का भारत पर संभावित प्रभाव
1951 में राष्ट्रपति हैरी ट्रूमैन ने भारत आपातकालीन खाद्य सहायता अधिनियम पर हस्ताक्षर किए. पिछले कुछ दशकों में USAID की भूमिका खाद्य सहायता से लेकर बुनियादी ढांचे के विकास, क्षमता निर्माण, आर्थिक सुधारों और बहुत कुछ तक विकसित हुई है.

USAID वेबसाइट के अनुसार जनवरी 2021 तक एजेंसी छह राज्यों में मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य पहलों का समर्थन कर रही थी, जिसका ध्यान मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार पर था. यह कई शहरों में सुरक्षित पेयजल, स्वच्छता और स्वच्छता तक पहुxच को आगे बढ़ाकर स्वास्थ्य में सुधार के लिए पहलों को भी वित्तपोषित कर रहा था. इसके अलावा यह देश में लिंग आधारित हिंसा को रोकने और विकलांग आबादी की सुरक्षा और सहायता करने वाले कार्यक्रमों का समर्थन करने के लिए राज्यों और निजी एजेंसियों के साथ भागीदार था.

2004 में भारत सरकार ने किसी भी विदेशी सहायता को अस्वीकार करने का फैसला किया, जिसके लिए शर्तें रखी गई हों. समय के साथ इस तरह की सहायता की मात्रा में कमी आई है.

ForignAssistance.gov के अनुसार, वित्त वर्ष 2024 में भारत को अमेरिका की सहायता दायित्व 141 मिलियन डॉलर था, जो 2023 में 153 मिलियन डॉलर रह गया. डेमोक्रेट्स का तर्क है कि राष्ट्रपति के पास यूएसएआईडी को एकतरफा रूप से भंग करने का संवैधानिक अधिकार नहीं है.

यह भी पढ़ें- क्या है ​​विदेशी शत्रु अधिनियम, जिसे ट्रंप करना चाहते हैं इस्तेमाल? ब्रिटेन-फ्रांस जैसे देशों के खिलाफ हो चुका का यूज

हैदराबाद: डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन ने अमेरिकी अंतरराष्ट्रीय सहायता एजेंसी (USAid) को स्टेट डिपार्टमेंट में विलय करने की योजना की पुष्टि की है. इससे एजेंसी के कर्मचारियों की संख्या कम हो जाएगी और इसके खर्च को ट्रंप की प्राथमिकताओं के अनुरूप बनाया जाएगा. इसको लेकर राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा कि USAid को पागल कट्टरपंथी का एक ग्रुप चला रहा था और हम उन्हें बाहर निकाल रहे हैं.

वहीं, उद्योगपति एलन मस्क ने भी एजेंसी को बिना किसी सबूत के एक आपराधिक संगठन कहा. उन्होंने कहा कि अब इसके खत्म होने का समय आ गया है. उल्लेखनीय है कि ट्रंप के इस कदम से दुनियाभर में चल रही मानवीय सहायता प्रोजेक्ट्स पर गंभीर असर पड़ेगा.

USAid एजेंसी का गठन कैसे हुआ?
एजेंसी का गठन मुख्य रूप से सोवियत प्रभाव का मुकाबला करने के लिए किया गया था. इसकी की स्थापना 1961 में डेमोक्रेटिक राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी ने शीत युद्ध के चरम पर विदेशी सहायता के माध्यम से सोवियत प्रभाव का मुकाबला करने के उद्देश्य से की थी.

USAID एजेंसी का मुख्य काम क्या है?
कांग्रेसनल रिसर्च सर्विस के अनुसार यूएसएआई रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण देशों और संघर्षरत देशों की मदद करता है. यह गरीबी, बीमारी और मानवीय जरूरतों को कम करने के लिए अमेरिकी प्रयासों का नेतृत्व करता है. इसके अलावा यह विकासशील देशों की आर्थिक वृद्धि का समर्थन करके वर्ल्ड ट्रेड में भाग लेने के लिए देशों की क्षमता का निर्माण करके अमेरिकी वाणिज्यिक हितों की सहायता करता है.

पीबीएस द पब्लिक ब्रॉडकास्टिंग सर्विस के अनुसार एजेंसी के पास 13000 से ज्यादा कर्मचारी हैं. इसमें कम से कम 1,000 कॉन्ट्रैक्टर हैं और यह लगभग 130 देशों को सहायता प्रदान करता है.

USAID एजेंसी द्वारा वित्तपोषित कार्यक्रम
कांग्रेस की रिसर्ट सर्विस सीआरएस के अनुसार 1990 के दशक की शुरुआत से ही USAID ने सबसे ज्यादा फंड स्वास्थ्य कार्यक्रम के लिए ही दिया है. इसे 2004 में एचआईवी/एड्स से निपटने के लिए अमेरिकी विदेश विभाग से अरबों डॉलर की मदद मिली थी. कोविड-19 महामारी के दौरान स्वास्थ्य ने यूएसएआईडी परियोजनाओं पर अपना दबदबा बनाए रखा.

किसको मिलती है USAID?
USAID के दुनियाभर में 100 से अधिक देशों में मिशन हैं. इन देशों अफ्रीका एशिया, लैटिन अमेरिका, मध्य पूर्व और पूर्वी यूरोप के देश शामिल हैं. 2023 में यूक्रेन, इथियोपिया, जॉर्डन, डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो, सोमालिया, यमन, अफगानिस्तान, नाइजीरिया, दक्षिण सूडान और सीरिया भी इसकी सहायता लेने वाले टॉप देशों में शामिल हो गए. USAID विदेशी सहायता डैशबोर्ड के अनुसार 2023 वित्तीय वर्ष में यूएसएआईडी ने दुनिया भर के 160 देशों और क्षेत्रों में लगभग 44 बिलियन डॉलर की सहायता वितरित का टारगेट रखा था.

ट्रंप द्वारा USAID एजेंसी के बजट में कटौती के पिछले प्रयास
अपने पहले कार्यकाल के दौरान ट्रंप ने विदेशी सहायता खर्च में एक तिहाई की कटौती करने की कोशिश की, लेकिन कांग्रेस ने उनके प्रयासों को रोक दिया. जवाब में उनके प्रशासन ने पहले से स्वीकृत धन के फ्लो को प्रतिबंधित करने के लिए बजट फ्रीज और अन्य रणनीति का इस्तेमाल किया. बाद में जनरल अकाउंटिंग ऑफिस ने इंपाउंडमेंट कंट्रोल एक्ट के तहत इस कदम को अवैध घोषित कर दिया.

USAID के फंड पर रोक के दुनिभर में क्या होगा प्रभाव?
USAID की फंडिंग पर रोक के पहले से ही व्यापक परिणाम हो रहे हैं. सब-सहारा अफ्रीका, जिसे 2024 में 6.5 बिलियन डॉलर से अधिक की अमेरिकी सहायता मिली थी. उसको सबसे अधिक नुकसान होने की उम्मीद है. एचआईवी के मरीज जो यूएसएआईडी द्वारा फंडेड क्लीनिकों पर निर्भर थे. अब उनके दरवाजे बंद हो रहे हैं.

लैटिन अमेरिका में भी स्थिति खराब हो रही है. मेक्सिको में प्रवासियों के लिए एक आश्रय गृह ने अपना एकमात्र डॉक्टर खो दिया है. वेनेजुएला से भाग रहे LGBTQ+ युवाओं के लिए एक मानसिक स्वास्थ्य सहायता कार्यक्रम बंद कर दिया गया है.

USAID के फंड पर रोक लगने से कोलंबिया, कोस्टा रिका, इक्वाडोर और ग्वाटेमाला जैसे देशों में सेफ मॉबिलिटी ऑफिस जो प्रवासियों को अमेरिका में प्रवेश के लिए कानूनी रूप से आवेदन करने में मदद करते थे, उन्हें बंद करने के लिए मजबूर होना पड़ा है. सहायता संगठन इस रोक के पूरे प्रभाव का आकलन करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं, क्योंकि हजारों कार्यक्रम रुक गए हैं और अनगिनत वर्कर्स की नौकरी चली गई है.

USAID के बंद होने का भारत पर संभावित प्रभाव
1951 में राष्ट्रपति हैरी ट्रूमैन ने भारत आपातकालीन खाद्य सहायता अधिनियम पर हस्ताक्षर किए. पिछले कुछ दशकों में USAID की भूमिका खाद्य सहायता से लेकर बुनियादी ढांचे के विकास, क्षमता निर्माण, आर्थिक सुधारों और बहुत कुछ तक विकसित हुई है.

USAID वेबसाइट के अनुसार जनवरी 2021 तक एजेंसी छह राज्यों में मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य पहलों का समर्थन कर रही थी, जिसका ध्यान मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार पर था. यह कई शहरों में सुरक्षित पेयजल, स्वच्छता और स्वच्छता तक पहुxच को आगे बढ़ाकर स्वास्थ्य में सुधार के लिए पहलों को भी वित्तपोषित कर रहा था. इसके अलावा यह देश में लिंग आधारित हिंसा को रोकने और विकलांग आबादी की सुरक्षा और सहायता करने वाले कार्यक्रमों का समर्थन करने के लिए राज्यों और निजी एजेंसियों के साथ भागीदार था.

2004 में भारत सरकार ने किसी भी विदेशी सहायता को अस्वीकार करने का फैसला किया, जिसके लिए शर्तें रखी गई हों. समय के साथ इस तरह की सहायता की मात्रा में कमी आई है.

ForignAssistance.gov के अनुसार, वित्त वर्ष 2024 में भारत को अमेरिका की सहायता दायित्व 141 मिलियन डॉलर था, जो 2023 में 153 मिलियन डॉलर रह गया. डेमोक्रेट्स का तर्क है कि राष्ट्रपति के पास यूएसएआईडी को एकतरफा रूप से भंग करने का संवैधानिक अधिकार नहीं है.

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