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तेलंगाना विधानसभा में जाति सर्वेक्षण पेश, CM रेवंत रेड्डी बोले- यह राजनीतिक-सामाजिक सुधारों का होगा आधार - CASTE COMPUTATION SURVEY TELANGANA

एम रेड्डी ने स्पष्ट किया कि सर्वेक्षण से प्राप्त आंकड़ों का उपयोग भविष्य में राज्य की कल्याणकारी नीतियों को आकार देने में किया जाएगा.

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Telangana CM Revant Reddy (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Feb 4, 2025, 4:31 PM IST

हैदराबाद, तेलंगाना: तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने राज्य में करवाए गए जाति सर्वेक्षण की सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक, शिक्षा और रोजगार संबंधी व्यापक रिपोर्ट प्रस्तुत की है. फरवरी 2024 में संपन्न हुए इस ऐतिहासिक गृह जाति सर्वेक्षण को लेकर सीएम रेड्डी ने इसे भविष्य में राज्य की कल्याणकारी नीतियों के लिए मील का पत्थर बताया है.

सर्वेक्षण की प्रक्रिया पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने बताया कि इसे शुरू करने से पहले कर्नाटक और बिहार सहित विभिन्न राज्यों में किए गए ऐसे सर्वेक्षणों का गहन अध्ययन किया गया. इस सर्वेक्षण को तैयार करने में विभिन्न सामाजिक समूहों और बुद्धिजीवियों की राय को भी शामिल किया गया.

लगभग 50 दिनों तक चले इस सर्वेक्षण में राज्य के 66.39 लाख ग्रामीण परिवारों और 45.15 लाख शहरी परिवारों से जानकारी एकत्रित की गई. इस प्रकार, कुल 1.12 करोड़ परिवारों का सर्वेक्षण किया गया, जबकि 3.56 लाख परिवार सर्वेक्षण में शामिल नहीं हो पाए. सीएम रेड्डी ने स्पष्ट किया कि सर्वेक्षण से प्राप्त आंकड़ों का उपयोग भविष्य में राज्य की कल्याणकारी नीतियों को आकार देने में किया जाएगा.

सर्वेक्षण के अनुसार, तेलंगाना में विभिन्न समुदायों की जनसंख्या इस प्रकार है:

  • अनुसूचित जाति (SC): 61,84,319 (17.43 प्रतिशत)
  • पिछड़ी जाति (BC) (मुस्लिम अल्पसंख्यक को छोड़कर): 1,64,09,179 (46.25 प्रतिशत)
  • अनुसूचित जनजाति (ST): 37,05,929 (10.45 प्रतिशत)
  • मुस्लिम अल्पसंख्यक: 44,57,012 (12.56 प्रतिशत)

रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए सीएम रेड्डी ने कहा, "यह सर्वेक्षण भविष्य में मील का पत्थर साबित होगा. यह सरकार की कल्याणकारी और रोजगार योजनाओं का दिशा-निर्देश है. इसमें 56 प्रतिशत से अधिक पिछड़े वर्गों को उचित सम्मान दिया जाना चाहिए." उन्होंने यह भी कहा कि उनकी सरकार ने निर्णय के एक साल के भीतर ही यह सर्वेक्षण पूरा कर लिया है.

सीएम ने सर्वेक्षण प्रक्रिया की पारदर्शिता पर जोर देते हुए बताया कि राज्य के हर घर का विवरण विधिवत चिपकाया गया है और एक गणनाकर्ता ने एक दिन में 10 से अधिक घरों का सर्वेक्षण नहीं किया है. 8 पृष्ठों की प्रश्नावली में विस्तृत जानकारी दर्ज की गई है. डेटा संकलन के काम में 76 हजार डेटा एंट्री ऑपरेटरों को लगाया गया था, जिन्होंने 36 दिनों तक यह कार्य किया. इस पूरी प्रक्रिया में सरकार ने 125 करोड़ रुपये खर्च किए हैं.

यह भी पढ़ें- 'भगवान जाने कितनी चप्पलें, कपड़े और साड़ियां पड़ी थीं', महाकुंभ हादसे पर BJP पर भड़के अखिलेश यादव

हैदराबाद, तेलंगाना: तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने राज्य में करवाए गए जाति सर्वेक्षण की सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक, शिक्षा और रोजगार संबंधी व्यापक रिपोर्ट प्रस्तुत की है. फरवरी 2024 में संपन्न हुए इस ऐतिहासिक गृह जाति सर्वेक्षण को लेकर सीएम रेड्डी ने इसे भविष्य में राज्य की कल्याणकारी नीतियों के लिए मील का पत्थर बताया है.

सर्वेक्षण की प्रक्रिया पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने बताया कि इसे शुरू करने से पहले कर्नाटक और बिहार सहित विभिन्न राज्यों में किए गए ऐसे सर्वेक्षणों का गहन अध्ययन किया गया. इस सर्वेक्षण को तैयार करने में विभिन्न सामाजिक समूहों और बुद्धिजीवियों की राय को भी शामिल किया गया.

लगभग 50 दिनों तक चले इस सर्वेक्षण में राज्य के 66.39 लाख ग्रामीण परिवारों और 45.15 लाख शहरी परिवारों से जानकारी एकत्रित की गई. इस प्रकार, कुल 1.12 करोड़ परिवारों का सर्वेक्षण किया गया, जबकि 3.56 लाख परिवार सर्वेक्षण में शामिल नहीं हो पाए. सीएम रेड्डी ने स्पष्ट किया कि सर्वेक्षण से प्राप्त आंकड़ों का उपयोग भविष्य में राज्य की कल्याणकारी नीतियों को आकार देने में किया जाएगा.

सर्वेक्षण के अनुसार, तेलंगाना में विभिन्न समुदायों की जनसंख्या इस प्रकार है:

  • अनुसूचित जाति (SC): 61,84,319 (17.43 प्रतिशत)
  • पिछड़ी जाति (BC) (मुस्लिम अल्पसंख्यक को छोड़कर): 1,64,09,179 (46.25 प्रतिशत)
  • अनुसूचित जनजाति (ST): 37,05,929 (10.45 प्रतिशत)
  • मुस्लिम अल्पसंख्यक: 44,57,012 (12.56 प्रतिशत)

रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए सीएम रेड्डी ने कहा, "यह सर्वेक्षण भविष्य में मील का पत्थर साबित होगा. यह सरकार की कल्याणकारी और रोजगार योजनाओं का दिशा-निर्देश है. इसमें 56 प्रतिशत से अधिक पिछड़े वर्गों को उचित सम्मान दिया जाना चाहिए." उन्होंने यह भी कहा कि उनकी सरकार ने निर्णय के एक साल के भीतर ही यह सर्वेक्षण पूरा कर लिया है.

सीएम ने सर्वेक्षण प्रक्रिया की पारदर्शिता पर जोर देते हुए बताया कि राज्य के हर घर का विवरण विधिवत चिपकाया गया है और एक गणनाकर्ता ने एक दिन में 10 से अधिक घरों का सर्वेक्षण नहीं किया है. 8 पृष्ठों की प्रश्नावली में विस्तृत जानकारी दर्ज की गई है. डेटा संकलन के काम में 76 हजार डेटा एंट्री ऑपरेटरों को लगाया गया था, जिन्होंने 36 दिनों तक यह कार्य किया. इस पूरी प्रक्रिया में सरकार ने 125 करोड़ रुपये खर्च किए हैं.

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