देहरादून: प्रदेश में आपातकालीन सेवा का संचालन अब कैम्प कंपनी कर रही है. जिसके लिए जीवीके के कर्मचारियों ने वाहनों की चाबीया कैम्प कंपनी को सौंप दी है. वहीं जीवीके कंपनी के कर्मचारियों का आरोप है कि उन्हें पिछले 2 माह से वेतन नहीं दिया गया है. जिससे आक्रोशित होकर प्रदेश के 717 जीवीके कंपनी के कर्मचारी 30 अप्रैल को राजधानी में एकत्र होकर अनिश्चितकालीन धरना देंगे.
आपको बता दें कि जीवीके कंपनी पिछले 11 सालों से प्रदेश में आपातकालीन सेवाओं का संचालन कर रही थी. लेकिन इस साल राज्य सरकार ने एंबुलेंस सेवा को संचालित करने के लिए जीवीके कंपनी से टेंडर लेकर कैंप को दे दिया है. कैंप कंपनी को 1 अप्रैल से सेवा का संचालन करने का आदेश दिया था. लेकिन संचालन में देरी के चलते कैंप कंपनी अगले माह से आपातकालीन सेवाओं का संचालन करेगी.
वहीं कर्मचारी संघ के प्रदेश सचिव विपिन जमलोकी ने बताया कि पिछले 2 महीने से कर्मियों को वेतन नहीं मिला है, जिसके चलते कर्मचारियों पर आर्थिक संकट की स्थिति उत्पन्न हो गई है. साथ ही बताया कि कर्मचारियों ने हर किसी से गुहार लगाई है. लेकिन कर्मचारियों की मांगों पर कोई ध्यान नहीं दे रहा है. जिसके चलते कर्मचारियों ने 30 अप्रैल से अनिश्चितकालीन धरने पर बैठने का फैसला लिया है.
वहीं मामले को लेकर पूर्व कैबिनेट मंत्री हीरा सिंह बिष्ट का कहना है कि लोगों को नौकरी से निकालना और भूख से मरने देना यह बीजेपी के नीति में शामिल है. भाजपा को कर्मचारियों से कोई लेना देना नहीं है बस इन्हें बड़े पूंजीपतियों से मतलब है. साथ ही सवाल खड़ा किया कि जीरो टोलरेंस की बात करने वाली सरकार ने दूसरी कंपनी को टेंडर क्यों दिया? आपातकालीन सेवा बहुत महत्वपूर्ण सेवा है. और इस सेवा के कर्मी रात दिन 24 घंटे काम करते हैं. इसलिए सरकार को इनसे बैठकर वार्ता करनी चाहिए क्योंकि वार्ता से सारी समस्याओं का समाधान हो जाता है. लेकिन 57 का बहुमत इनके साथ है इसीलिए भाजपा को किसान, मजदूर, कर्मचारी और बेरोजगारों से कोई लेना देना नहीं है.