नई दिल्ली : जानलेवा हृदयरोग से पीड़ित मिस्र के 11 वर्षीय बालक की सर्जरी आईआईटी मद्रास द्वारा विकसित एक वर्चुअल रियलिटी मॉडल की मदद से की गई. चेन्नई के एमजीएम अस्पताल में इस तकनीक की मदद से बालक को हार्ट पंप लगाया गया.
अमेरिका और यूरोप के कई अस्पताल इस मामले को हाथ में लेने से इनकार कर चुके थे, जिसके बाद उसे भारत लाया गया था.
एमजीएम हेल्थकेयर में इंस्टीट्यूट ऑफ हार्ट एंड लंग ट्रांसप्लांट के निदेशक डॉ. केके बालकृष्णन ने बताया कि भारत में इस तरह की पहली सफल प्रतिरोपण सर्जरी है. अमेरिका में दो बार ऐसी सर्जरी की गई है.
अमेरिकन सोसाइटी ऑफ आर्टिफीशियल इंटरनल ऑर्गन्स के सालाना सम्मेलन में सोमवार को इस तकनीक को प्रस्तुत किया जाएगा. यह सम्मेलन कोविड-19 महामारी के कारण वर्चुअल तरीके से हो रहा है.
डॉ. बालकृष्णन ने बताया, 'लड़का रेस्ट्रिक्टिव कार्डियोमायोपैथी और गंभीर पल्मोरी हाइपरटेंशन (फेफड़ों में भारी दबाव) जैसे जानलेवा रोग से ग्रस्त था. लॉकडाउन लागू होने से पहले उसे एयर एम्बुलेंस से काहिरा से यहां लाया गया था.'
उन्होंने कहा कि अमेरिका और पश्चिम यूरोप के कई अस्पतालों ने इस मामले को हाथ में लेने से इनकार कर दिया था, जिसके बाद काहिरा में बच्चे का इलाज कर रहे बाल हृदयरोग विशेषज्ञ ने उसे मेरे पास भेजा.
डॉ बालकृष्णन ने कहा कि यहां पहुंचने के बाद बच्चे के हृदय की हालत और खराब हो गई और एक मात्र विकल्प यह था कि क्या किसी तरह हृदय के बाएं निलय से शेष शरीर में रक्त प्रवाह करने में मदद के लिए बैटरी-चालित मेकेनिकल पंप लगाया जा सकता है.
उन्होंने आईआईटी मद्रास के इंजीनियरिंग डिजाइन विभाग से संपर्क साधा और पता लगाया कि क्या बच्चे के सीटी स्कैन से कोई वर्चुअल रियलिटी मॉडल और पंप बनाया जा सकता है, ताकि प्रतिरोण को संभव बनाने के लिए आभासी प्रतिरोपण किया जा सके.
आईआईटी मद्रास के प्रोफेसर कृष्ण कुमार ने कहा, 'एक वर्चुअल मॉडल बनाया गया और कम्प्यूटर गेम की तरह 3डी ग्लास वाला हैड लगाकर पंप को आभासी तरीके से कई स्थितियों में लगाकर देखा गया, ताकि प्रक्रिया संभव हो सके. इसके बाद जब विश्वास हो गया तो प्रतिरोपण किया गया और वह पूरी तरह सफल हुआ.'
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उन्होंने बताया, 'बच्चे की हालत तेजी से सुधरी, उसका वजन बढ़ा और उसने हिंदी फिल्मों के गीतों पर नाचना तक शुरू कर दिया. अब वे यात्रा पाबंदियां समाप्त होने के बाद काहिरा लौटने का इंतजार कर रहे हैं.'