वाराणसी: बिहार, महाराष्ट्र में लगातार बारिश के बाद नदियां उफान पर हैं. हर तरफ हाहाकार है और अब पहाड़ों पर हो रही बारिश की वजह से गंगा के जलस्तर में भी तेजी से वृद्धि होनी शुरू हो चुकी है. एक तरफ जहां धर्मनगरी वाराणसी में गंगा का जलस्तर बढ़ने से नियमित गंगा आरती का स्थल बदला जा चुका है तो वहीं, मोक्ष की राह भी कठिन हो गई है. महा श्मशान मणिकर्णिका का वह हिस्सा पानी में डूब चुका है, जहां गंगा किनारे शवों का दाह संस्कार किया जाता था.
शवों का दाह संस्कार के लिए आने वाले लोगों को हो रही परेशानी
- मणिकर्णिका श्मशान घाट के पानी में डूब जाने से लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
- हालात यह हैं कि नीचे जलने वाली डेड बॉडी ऊपर जलाई जा रही है.
- इस वजह से दूर-दराज से अपनों का दाह संस्कार करने आने वालों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.
- लोगों को इंतजार भी करना पड़ रहा है, क्योंकि जगह कम है और शवों की संख्या ज्यादा.
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दूर-दूर से आते हैं लोग
दरअसल, महाश्मशान मणिकर्णिका घाट पर सिर्फ वाराणसी ही नहीं, बल्कि पूर्वांचल के साथ ही बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल और देश-विदेश के कोने-कोने से लोग अपनों के मरणोपरांत उनका दाह संस्कार करने लेकर शव लेकर आते हैं, लेकिन इस समय गंगा के जलस्तर में तेजी से हुई वृद्धि के बाद हालात बेहद खराब हो चुके हैं. केंद्रीय जल आयोग के आंकड़ों पर अगर गौर करें तो वाराणसी में गंगा का जलस्तर वर्तमान में लगभग 64 मीटर से ऊपर पहुंच चुका है, जो तेजी से बढ़ ही रहा है.
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छत पर हो रहा दाह संस्कार
हालांकि, गंगा अभी खतरे के निशान से लगभग 7 मीटर दूर है, लेकिन गंगा के अपने वास्तविक स्तर से काफी ऊपर आ जाने की वजह से परेशानियां बढ़ती जा रही हैं. महाश्मशान मणिकर्णिका पर नीचे के जितने भी फर्स हैं, जहां पर लाशों को जलाया जाता था, वह पूरी तरह से जलमग्न हो चुके हैं, जिसके कारण अब छतों पर दाह संस्कार करना पड़ रहा है. इसके अलावा एक दूसरे घाटों का संपर्क भी अब गंगा के ऊपर आने की वजह से टूट चुका है, जिसके कारण अब यहां आने वाले पर्यटकों के लिए बनारस का सुबह दीदार करना भी मुश्किल हो जाएगा.