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मां गंगा के आगोश में समाया अस्सी घाट का सुबह-ए-बनारस मंच, पर्यटक हुए मायूस

पहाड़ों में लगातार हो रही बारिश की वजह से काशी में गंगा अपनी उफान पर है. वाराणसी में गंगा का जल अब घाट के ऊपर तक आ चुका है. अस्सी घाट का सुबह-ए-बनारस का मंच जल में विलीन है, वहीं यज्ञशाला भी जल में समाहित हो चुकी है.

अस्सी घाट का सुबह-ए-बनारस मंच
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Published : Aug 20, 2019, 12:56 PM IST

वाराणसी: डूबे हुए घाट और जलमग्न मंदिर कुछ ऐसा नजारा है इन दिनों काशी नगरी का जहां इन दिनों गंगा अपने उफान पर हैं. कभी जिन घाटों का आकर्षण सबको मोहित करता था. वहां आज पानी ही पानी है. पहाड़ों पर हो रही तेज बारिश की वजह से काशी नगरी में गंगा नदी उफान पर है. इससे काशी के घाटों का संपर्क मार्ग टूट गया है और वाराणसी के अति प्राचीन मंदिर भी मां गंगा के आगोश में समा गए हैं.

काशी में डूबा सुबह ए बनारस मंच.

प्रसिद्ध अस्सी घाट के सुबह-ए-बनारस मंच पर मां गंगा की आरती होती है और यज्ञशाला में आहुति देकर विश्व कल्याण की कामना किया जाता है, लेकिन गंगा के उफान के साथ यह मंच भी डूब गया और और यज्ञशाला भी पूरी तरह गंगा में समा गई हैं. हालात यह है कि सीढ़ियां भी डूब चुकी हैं. काशी घूमने आए पर्यटकों को कहना है कि सुबह-ए-बनारस मंच के डूबने से वह काशी की गंगा आरती भी नहीं देख पाए रहे हैं. इससे पर्यटक बहुत मायूस हो गए हैं.

पढ़ें- मणिकर्णिका घाट पर लग रही 'मोक्ष के लिए वेटिंग'

  • लगातार बारिश के बाद वाराणसी में गंगा का जल स्तर बढ़ गया है.
  • वाराणसी में गंगा का जल अब घाट के ऊपर तक आ चुका है.
  • साथ ही काशी के प्राचीन मंदिर मां गंगा के आगोश में समा गए हैं.
  • अस्सी घाट का सुबह-ए-बनारस का मंच जल में विलीन है.
  • साथ ही यज्ञशाला भी जल में समाहित हो चुकी है.

वाराणसी: डूबे हुए घाट और जलमग्न मंदिर कुछ ऐसा नजारा है इन दिनों काशी नगरी का जहां इन दिनों गंगा अपने उफान पर हैं. कभी जिन घाटों का आकर्षण सबको मोहित करता था. वहां आज पानी ही पानी है. पहाड़ों पर हो रही तेज बारिश की वजह से काशी नगरी में गंगा नदी उफान पर है. इससे काशी के घाटों का संपर्क मार्ग टूट गया है और वाराणसी के अति प्राचीन मंदिर भी मां गंगा के आगोश में समा गए हैं.

काशी में डूबा सुबह ए बनारस मंच.

प्रसिद्ध अस्सी घाट के सुबह-ए-बनारस मंच पर मां गंगा की आरती होती है और यज्ञशाला में आहुति देकर विश्व कल्याण की कामना किया जाता है, लेकिन गंगा के उफान के साथ यह मंच भी डूब गया और और यज्ञशाला भी पूरी तरह गंगा में समा गई हैं. हालात यह है कि सीढ़ियां भी डूब चुकी हैं. काशी घूमने आए पर्यटकों को कहना है कि सुबह-ए-बनारस मंच के डूबने से वह काशी की गंगा आरती भी नहीं देख पाए रहे हैं. इससे पर्यटक बहुत मायूस हो गए हैं.

पढ़ें- मणिकर्णिका घाट पर लग रही 'मोक्ष के लिए वेटिंग'

  • लगातार बारिश के बाद वाराणसी में गंगा का जल स्तर बढ़ गया है.
  • वाराणसी में गंगा का जल अब घाट के ऊपर तक आ चुका है.
  • साथ ही काशी के प्राचीन मंदिर मां गंगा के आगोश में समा गए हैं.
  • अस्सी घाट का सुबह-ए-बनारस का मंच जल में विलीन है.
  • साथ ही यज्ञशाला भी जल में समाहित हो चुकी है.
Intro:गंगा किनारे बसी अर्धचंद्राकार शहर बनारस अगर बनारस को देखना है तो आपको गंगा में नौका विहार कर बनारस को देख सकते हैं लेकिन पहाड़ों में लगातार हो रही बारिश की वजह से वाराणसी में गंगा अपनी उफान पर है। घाटों का संपर्क मार्ग टूटने के साथ ही बनारस के अति प्राचीन मंदिर भी मां गंगा के आगोश में समा गए हैं।


Body:ऐसे में हम बात करें तो प्रसिद्ध अस्सी घाट पर सुबह ऐ बनारस मंच भी मां गंगा के आगोश में समा गया प्रतिदिन सुबह यहां मां गंगा की आरती होती थी और यज्ञशाला में आहुति देकर विश्व कल्याण की कामना किया जाता था लेकिन गंगा के उफान के साथ यह मंच भी डूब गया और और यज्ञशाला भी पूरी तरह गंगा में समा गई।


Conclusion:वही काशी घूमने आ पर्यटक मायूस हो रहे हैं। जहां वह शाम की गंगा आरती नहीं देख पा रहे तो वही ही सुबह ऐ बनारस मंच के डूबने की वजह से अब वह सुबह बनारस की आरती भी नहीं देख पाएंगे देखना यह है कि मां गंगा कब तक शांत होती है।


अशुतोष उपाध्यय

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