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51 साल का हुआ कानपुर जू , मिस्टर एलेन के नाम पर पड़ा था नाम, ये खास तोहफा मिला - KANPUR ZOO TURNS 51 YEAR

केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण ने विशाखापट्टनम से वन्यजीवों को लाने की अनुमति दी.

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कानपुर चिड़ियाघर की 51वीं वर्षगांठ (Photo Credit; ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Feb 5, 2025, 2:01 PM IST

कानपुर : शहर के कई ऐतिहासिक पर्यटक केंद्रों में शुमार कानपुर का चिड़ियाघर अब 51 वर्ष का हो गया है. मंगलवार को कानपुर जू प्रबंधन के ने 51वीं वर्षगांठ बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया. कानपुर चिड़ियाघर में मौजूदा समय में 1240 वन्य जीव मौजूद हैं. हाल ही में जहां गुजरात के वनतारा जू से कई वन्यजीवों को लाया गया है जो कि अब कानपुर जू की रौनक बढ़ा रहे हैं. कानपुर चिड़ियाघर को अपने 51 वर्ष पूरे करने पर एक खास तोहफा भी मिला है केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण (सीजेडए) ने विशाखापट्टनम से वन्यजीवों को लाने की अनुमति दे दी है.

दर्शकों को आकर्षित करने के लिए जू प्रबंधन ने किया हर संभव प्रयास : कानपुर चिड़ियाघर के मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर अनुराग सिंह ने बताया कि आज जिस जगह पर कानपुर चिड़ियाघर स्थित है. यह जगह मिस्टर एलन की थी. उनके नाम पर ही इसका नाम एलेन फॉरेस्ट रखा गया था. सन 1971 में इसका निर्माण कार्य शुरू हुआ था और फिर 4 फरवरी 1974 में निर्माण कार्य पूरा होने के बाद इसे दर्शकों के लिए खोल दिया गया था.

उन्होंने बताया कि, कानपुर चिड़ियाघर करीब 74 हेक्टेयर में स्थित है. इसमें 18 हेक्टेयर की नेचुरल झील भी है, जहां पर हर वर्ष साइबेरियन पक्षियों का आवागमन होता है. कानपुर चिड़ियाघर प्राकृतिक जंगल के अंदर बना हुआ है. यहां पर वन्यजीवों का दीदार करने के लिए केवल शहर निवासी ही नहीं बल्कि विदेशों से भी लोग आते हैं. कानपुर जू में सबसे पहले जो वन्य जीव आया था वह ऊदबिलाव था. एक समय था जब यहां पर कुछ ही वन्यजीव थे, लेकिन आज मौजूदा समय में कानपुर जू में करीब 1240 वन्य जीव हैं. जिनका दर्शक अच्छी खासी संख्या में दीदार करने के लिए पहुंचते हैं.

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ETV Bharat (Photo Credit; ETV Bharat)

कानपुर जू में जल्द आएंगे कई नन्हें वन्यजीव : कानपुर चिड़ियाघर के मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर अनुराग सिंह ने बताया कि कानपुर जू में करीब 30 से ज्यादा तेंदूए, 5 बाघ इनमें सफेद बाघ भी शामिल हैं. 2 जेब्रा, 2 गैंडा 4 बब्बर शेर, 4 वलाबी कंगारू जैसा दिखने वाला जीव और 1000 से ज्यादा छोटे बड़े वन्य जीव हैं, जो कि दर्शकों का मनोरंजन कर रहे हैं. उन्होंने बताया, इस 51 वीं वर्षगांठ के शुभ अवसर पर केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण ने विशाखापट्टनम से वन्यजीवों को लाने की अनुमति दे दी है. जल्द ही विशाखापट्टनम से काला हंस, कांकड़, ढोल, भेड़िया, स्टार कछुआ, लूटीनो, हरी छिपकली जैसे दुर्लभ वन्य जीवों को भी कानपुर चिड़ियाघर में लाया जाएगा.

कानपुर जू में जल्द आएगा पवन का साथी : क्षेत्रीय वन अधिकारी नावेद इकराम ने बताया कि कानपुर जू नॉर्थ इंडिया का पहला जू बन गया है, जहां राइनो के बच्चे को बोतल से दूध पिलाया गया. उन्होंने बताया कि 16 अक्टूबर 2023 को मादा गैंडा गौरी की मां मनु की मौत हो गई थी. जिससे जू प्रशासन के सामने बड़ा चैलेंज था, गौरी की देख-रेख की गई और अब उसे अदला-बदली नियम के तहत गुजरात के वनतारा जू भेजा गया है. उन्हें उम्मीद है कि 52वीं वर्षगांठ से पहले पवन के लिए एक नई मादा गैंडा लाएंगे. इस वर्ष जू में नए वन्यजीवों के आगमन से खुशी है, लेकिन बाघ प्रशांत, भालू प्रिया, जेब्रा ऐश्वर्या और तेंदुआ श्याम को खोने का भी मलाल है.

कानपुर जू के डायरेक्टर के.के सिंह ने बताया कि जू प्रबंधन का चिड़ियाघर के विकास के लिए लगातार कई प्रयास किया जा रहा है. कई दुर्लभ वन्यजीवों को लाने का भी प्रयास किया जा रहा. जल्द ही कई नन्हे वन्य जीव दर्शकों का मनोरंजन करेंगे. कानपुर जू को विश्वस्तरीय पहचान दिलाने के लिए प्रबंधन की परफ से हर संभव प्रयास किया जा रहा है.

यह भी पढ़ें : अलीगढ़ के स्कूल का गेट गिरने से कक्षा 2 के छात्र की मौत, BSA ने दिए जांच के आदेश

कानपुर : शहर के कई ऐतिहासिक पर्यटक केंद्रों में शुमार कानपुर का चिड़ियाघर अब 51 वर्ष का हो गया है. मंगलवार को कानपुर जू प्रबंधन के ने 51वीं वर्षगांठ बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया. कानपुर चिड़ियाघर में मौजूदा समय में 1240 वन्य जीव मौजूद हैं. हाल ही में जहां गुजरात के वनतारा जू से कई वन्यजीवों को लाया गया है जो कि अब कानपुर जू की रौनक बढ़ा रहे हैं. कानपुर चिड़ियाघर को अपने 51 वर्ष पूरे करने पर एक खास तोहफा भी मिला है केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण (सीजेडए) ने विशाखापट्टनम से वन्यजीवों को लाने की अनुमति दे दी है.

दर्शकों को आकर्षित करने के लिए जू प्रबंधन ने किया हर संभव प्रयास : कानपुर चिड़ियाघर के मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर अनुराग सिंह ने बताया कि आज जिस जगह पर कानपुर चिड़ियाघर स्थित है. यह जगह मिस्टर एलन की थी. उनके नाम पर ही इसका नाम एलेन फॉरेस्ट रखा गया था. सन 1971 में इसका निर्माण कार्य शुरू हुआ था और फिर 4 फरवरी 1974 में निर्माण कार्य पूरा होने के बाद इसे दर्शकों के लिए खोल दिया गया था.

उन्होंने बताया कि, कानपुर चिड़ियाघर करीब 74 हेक्टेयर में स्थित है. इसमें 18 हेक्टेयर की नेचुरल झील भी है, जहां पर हर वर्ष साइबेरियन पक्षियों का आवागमन होता है. कानपुर चिड़ियाघर प्राकृतिक जंगल के अंदर बना हुआ है. यहां पर वन्यजीवों का दीदार करने के लिए केवल शहर निवासी ही नहीं बल्कि विदेशों से भी लोग आते हैं. कानपुर जू में सबसे पहले जो वन्य जीव आया था वह ऊदबिलाव था. एक समय था जब यहां पर कुछ ही वन्यजीव थे, लेकिन आज मौजूदा समय में कानपुर जू में करीब 1240 वन्य जीव हैं. जिनका दर्शक अच्छी खासी संख्या में दीदार करने के लिए पहुंचते हैं.

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कानपुर जू में जल्द आएंगे कई नन्हें वन्यजीव : कानपुर चिड़ियाघर के मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर अनुराग सिंह ने बताया कि कानपुर जू में करीब 30 से ज्यादा तेंदूए, 5 बाघ इनमें सफेद बाघ भी शामिल हैं. 2 जेब्रा, 2 गैंडा 4 बब्बर शेर, 4 वलाबी कंगारू जैसा दिखने वाला जीव और 1000 से ज्यादा छोटे बड़े वन्य जीव हैं, जो कि दर्शकों का मनोरंजन कर रहे हैं. उन्होंने बताया, इस 51 वीं वर्षगांठ के शुभ अवसर पर केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण ने विशाखापट्टनम से वन्यजीवों को लाने की अनुमति दे दी है. जल्द ही विशाखापट्टनम से काला हंस, कांकड़, ढोल, भेड़िया, स्टार कछुआ, लूटीनो, हरी छिपकली जैसे दुर्लभ वन्य जीवों को भी कानपुर चिड़ियाघर में लाया जाएगा.

कानपुर जू में जल्द आएगा पवन का साथी : क्षेत्रीय वन अधिकारी नावेद इकराम ने बताया कि कानपुर जू नॉर्थ इंडिया का पहला जू बन गया है, जहां राइनो के बच्चे को बोतल से दूध पिलाया गया. उन्होंने बताया कि 16 अक्टूबर 2023 को मादा गैंडा गौरी की मां मनु की मौत हो गई थी. जिससे जू प्रशासन के सामने बड़ा चैलेंज था, गौरी की देख-रेख की गई और अब उसे अदला-बदली नियम के तहत गुजरात के वनतारा जू भेजा गया है. उन्हें उम्मीद है कि 52वीं वर्षगांठ से पहले पवन के लिए एक नई मादा गैंडा लाएंगे. इस वर्ष जू में नए वन्यजीवों के आगमन से खुशी है, लेकिन बाघ प्रशांत, भालू प्रिया, जेब्रा ऐश्वर्या और तेंदुआ श्याम को खोने का भी मलाल है.

कानपुर जू के डायरेक्टर के.के सिंह ने बताया कि जू प्रबंधन का चिड़ियाघर के विकास के लिए लगातार कई प्रयास किया जा रहा है. कई दुर्लभ वन्यजीवों को लाने का भी प्रयास किया जा रहा. जल्द ही कई नन्हे वन्य जीव दर्शकों का मनोरंजन करेंगे. कानपुर जू को विश्वस्तरीय पहचान दिलाने के लिए प्रबंधन की परफ से हर संभव प्रयास किया जा रहा है.

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