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यूपी में 2 लाख से अधिक आवेदकों के ड्राइविंग लाइसेंस लटके, जानिए क्यों और कब होगा जारी? - RTO OFFICE LUCKNOW

लखनऊ स्थित परिवहन विभाग मुख्यालय से डीएल नहीं हो रहे डिस्पैच, आवेदकों को दी रही झूठी जानकारी,

ड्राइविंग लाइसेंस.
ड्राइविंग लाइसेंस. (Photo Credit; ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Feb 3, 2025, 8:48 PM IST

लखनऊः राजधानी के आशियाना क्षेत्र निवासी अवधेश गुप्ता ने 20 जनवरी को ट्रांसपोर्टनगर स्थित आरटीओ कार्यालय से परमानेंट डीएल बनवाया था. डीएल नंबर बताया गया कि एक सप्ताह के अंदर हरहाल में डीएल घर पहुंचेगा. 31 जनवरी को जब अवधेश परिवहन विभाग मुख्यालय पहुंचे तो बताया गया कि सिलिकॉन चिप खत्म हो गई है, जिससे देरी हुई है. डीएल प्रिंट करने वाली कंपनी का करार भी खत्म हो चुका है. इसलिए इंतजार करना पड़ेगा. ऐसे ही प्रदेश भर के लाखों आवेदकों का डीएल अभी तक अटका हुआ है. परिवहन विभाग मुख्यालय से इसको डिस्पैच नहीं किया जा सका है. इसमें परिवहन विभाग मुख्यालय में की मैनेजमेंट सिस्टम (केएमएस) में तैनात कर्मियों की लापरवाही मानी जा रही है. साथ ही परेशान आवेदकों को झूठी जानकारी दी जा रही है.

बता दें कि परिवहन विभाग में आरटीओ से परमानेंट लाइसेंस की सारी प्रक्रिया पूरी होने के बाद प्रिंट होने के लिए लखनऊ स्थित मुख्यालय आता है. यहां से प्रदेश भर के परमानेंट लाइसेंस प्रिंट होने के बाद डाक के जरिये आवेदकों के सीधे घर पहुंचते हैं. एक ही जगह पर पूरे प्रदेश का काम आने के बाद वर्कलोड तो बढ़ा ही है, साथ में कर्मचारियों की लापरवाही भी है. लखनऊ के आवेदकों के डीएल पहुंचने की वेटिंग करीब एक माह तक पहुंच गई है. वहीं दूसरे जिलों में करीब दो से ढाई माह बाद डीएल पहुंच रहे हैं. नियम के अनुसार इसको एक सप्ताह में पहुंच जाना चाहिए. प्रदेश भर के आवेदक परेशान होकर अपने आरटीओ दफ्तर के चक्कर काट रहे हैं उनको राहत नहीं मिल रही है. मुख्यालय पहुंचने वालों को गलत सूचनाएं दी जा रही हैं.

लखनऊ में हर माह करीब 15 हजार परमानेंट डीएल बनते हैं. इसमें रिन्यू आदि भी शामिल हैं. यही हाल यूपी के सभी बड़े शहरों का है. परिवहन विभाग के छोटे जिलों में प्रिंटेड ड्राइविंग लाइसेंस आवेदकों तक पहुंचाने में पसीने छूट रहे हैं. डीएल डिस्पैच की जिम्मेदारी पहले आरटीओ को ही सौंपी गई थी. इसका केंद्रीयकरण कर मुख्यालय से कर दिया गया. एक ही जगह पर प्रदेश भर का भार आने से दिक्कतें बढ़ गईं हैं. इसे लेकर एक बार फिर से पुरानी व्यवस्था के तहत लागू करने की योजना चल रही है. जिससे आवेदकों को भागदौड़ से राहत मिले.

परिवहन आयुक्त बीएन सिंह डीएल डिस्पैच संबंधी दिक्कतों की शिकायतों पर नजर रखे हैं. कर्मचारियों की लापरवाहियों और गलत सूचनाएं देने की भी शिकायतें लगातार मिल रहीं हैं. उन्होंने वेटिंग खत्म करने के निर्देश दिये हैं. उनका कहना है कि गलत सूचनाएं देने वाले कर्मियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी. परिवहन आयुक्त ने बताया कि डीएल प्रिंट करने के लिए नई कंपनी से बातचीत चल रही है. जल्द ही करार कर डीएल डिस्पैच शुरू कर दिया जाएगा.

लखनऊः राजधानी के आशियाना क्षेत्र निवासी अवधेश गुप्ता ने 20 जनवरी को ट्रांसपोर्टनगर स्थित आरटीओ कार्यालय से परमानेंट डीएल बनवाया था. डीएल नंबर बताया गया कि एक सप्ताह के अंदर हरहाल में डीएल घर पहुंचेगा. 31 जनवरी को जब अवधेश परिवहन विभाग मुख्यालय पहुंचे तो बताया गया कि सिलिकॉन चिप खत्म हो गई है, जिससे देरी हुई है. डीएल प्रिंट करने वाली कंपनी का करार भी खत्म हो चुका है. इसलिए इंतजार करना पड़ेगा. ऐसे ही प्रदेश भर के लाखों आवेदकों का डीएल अभी तक अटका हुआ है. परिवहन विभाग मुख्यालय से इसको डिस्पैच नहीं किया जा सका है. इसमें परिवहन विभाग मुख्यालय में की मैनेजमेंट सिस्टम (केएमएस) में तैनात कर्मियों की लापरवाही मानी जा रही है. साथ ही परेशान आवेदकों को झूठी जानकारी दी जा रही है.

बता दें कि परिवहन विभाग में आरटीओ से परमानेंट लाइसेंस की सारी प्रक्रिया पूरी होने के बाद प्रिंट होने के लिए लखनऊ स्थित मुख्यालय आता है. यहां से प्रदेश भर के परमानेंट लाइसेंस प्रिंट होने के बाद डाक के जरिये आवेदकों के सीधे घर पहुंचते हैं. एक ही जगह पर पूरे प्रदेश का काम आने के बाद वर्कलोड तो बढ़ा ही है, साथ में कर्मचारियों की लापरवाही भी है. लखनऊ के आवेदकों के डीएल पहुंचने की वेटिंग करीब एक माह तक पहुंच गई है. वहीं दूसरे जिलों में करीब दो से ढाई माह बाद डीएल पहुंच रहे हैं. नियम के अनुसार इसको एक सप्ताह में पहुंच जाना चाहिए. प्रदेश भर के आवेदक परेशान होकर अपने आरटीओ दफ्तर के चक्कर काट रहे हैं उनको राहत नहीं मिल रही है. मुख्यालय पहुंचने वालों को गलत सूचनाएं दी जा रही हैं.

लखनऊ में हर माह करीब 15 हजार परमानेंट डीएल बनते हैं. इसमें रिन्यू आदि भी शामिल हैं. यही हाल यूपी के सभी बड़े शहरों का है. परिवहन विभाग के छोटे जिलों में प्रिंटेड ड्राइविंग लाइसेंस आवेदकों तक पहुंचाने में पसीने छूट रहे हैं. डीएल डिस्पैच की जिम्मेदारी पहले आरटीओ को ही सौंपी गई थी. इसका केंद्रीयकरण कर मुख्यालय से कर दिया गया. एक ही जगह पर प्रदेश भर का भार आने से दिक्कतें बढ़ गईं हैं. इसे लेकर एक बार फिर से पुरानी व्यवस्था के तहत लागू करने की योजना चल रही है. जिससे आवेदकों को भागदौड़ से राहत मिले.

परिवहन आयुक्त बीएन सिंह डीएल डिस्पैच संबंधी दिक्कतों की शिकायतों पर नजर रखे हैं. कर्मचारियों की लापरवाहियों और गलत सूचनाएं देने की भी शिकायतें लगातार मिल रहीं हैं. उन्होंने वेटिंग खत्म करने के निर्देश दिये हैं. उनका कहना है कि गलत सूचनाएं देने वाले कर्मियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी. परिवहन आयुक्त ने बताया कि डीएल प्रिंट करने के लिए नई कंपनी से बातचीत चल रही है. जल्द ही करार कर डीएल डिस्पैच शुरू कर दिया जाएगा.

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