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वाराणसी: आर्थिक तंगी में कहीं दम न तोड़ दे महिला निशानेबाज पूजा का 'गोल्डन' सपना - वाराणसी हिन्दी न्यूज

उत्तर प्रदेश के वाराणसी की रहने वाली पूजा चौरसिया राइफल शूटिंग करती हैं. पूजा वाराणसी के लिए कई राज्य स्तरीय प्रतियोगिताओं में मेडल बटोर चुकी हैं, लेकिन आर्थिक परिस्थितियों के कारण फिलहाल पूजा का सपना धुंधला होता दिखाई दे रहा है.

आर्थिक अभाव के कारण पूजा का सपना हो गया काफी मुश्किल.
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Published : Aug 28, 2019, 10:50 AM IST

वाराणसी: कहते हैं कि सपने अगर दिल से देखे जाएं तो उन्हें पूरा करने के लिए दिन-रात एक करने में भी गुरेज नहीं होता, लेकिन कभी-कभी कुछ सपने सिर्फ परिस्थितियों के चलते पूरे होते-होते अधूरे रह जाते हैं. हालांकि अगर कोशिश की जाए तो आसमान तक भी पहुंचा जा सकता है. शिखर तक पहुंचने की ऐसी ही एक कहानी है काशी की एक बेटी की जो अपनी आंख में संजोए हुए है भारत को राइफल शूटिंग में ओलंपिक गोल्ड मेडल दिलाने का सपना.

कुछ परिस्थितियों के कारण फिलहाल पूजा चौरसिया का सपना धुंधला होता दिखाई दे रहा है. बनारस की बेटी आज भी चाहती है कि वह देश के लिए ओलंपिक का गोल्ड मेडल लाए. वह किसी भी हाल में परिस्थितियों से हार मानने को तैयार नहीं है.

आर्थिक अभाव के कारण पूजा का सपना हो गया काफी मुश्किल.

इसे भी पढ़ें- क्या अंतरराष्ट्रीय पावर लिफ्टर निधि पटेल कनाडा में होने वाले कॉमनवेल्थ में ले पाएंगी भाग?

काशी की शूटर बेटी
वाराणसी की गलियों में एक घर शहर की एक बेटी का भी है, जो हाथों में किताबों के साथ-साथ राइफल थामती है. जहां एक तरफ कई घरों में आज भी बड़े होते ही लड़कियों को चूल्हे चौके की बागडोर हाथ में दे दी जाती है. वहीं बनारस की रहने वाली पूजा चौरसिया के हाथ में उनके परिवार ने बंदूक थमा दी है. पूरा परिवार चाहता है की पूजा बहुत जल्द देशवासियों की जुबां पर अपना परिचय छोड़ जाएं. हालांकि, हर तरफ से पूजा को कई तरह की परेशानियों का भी सामना करना पड़ा है. पर बनारस कि जांबाज बेटी किसी भी परेशानी में झुकने को तैयार नहीं है.

आंखों में सज रहा है देश के लिए गोल्ड मेडल लाने का सपना
उसकी आंखों में सज रहा है देश के लिए गोल्ड मेडल लाने का सपना और ओलंपिक में भारत की एक बेहतरीन खिलाड़ी बनकर उभरने का एक ख्वाब. पूजा चौरसिया राइफल शूटिंग करती है और वाराणसी के लिए कई राज्य स्तरीय प्रतियोगिताओं में मेडल बटोर चुकी है. उत्तर प्रदेश की कई बेहतरीन शूटर में से एक पूजा चौरसिया ने हाल ही में राइफल शूटिंग में गोल्ड मेडल अपने नाम किया है. एयर पिस्टल और अन्य शूटिंग गेम में कांस्य और रजत पदक पर भी अपना नाम दर्ज कराया है.

मध्यमवर्गीय परिवार से आती है पूजा
पूजा एक मध्यमवर्गीय परिवार से आती है. उनके घर में माता-पिता के अलावा एक बड़ी बहन और बड़ा भाई है. पूजा के पिता पान बेचते हैं और अपने बच्चों को पढ़ाने-लिखाने के साथ-साथ इस महिला शूटर के शूटिंग के शौक को भी बढ़ावा दे रहे हैं. पिता जब-जब बिटिया को मेडल पहना हुआ देखते हैं तो उनकी आंखें भर आती हैं. घरवाले बताते हैं की पूजा के मेडल हाथ में लेकर इतना गौरवान्वित महसूस होता है कि जिसको बयां नहीं किया जा सकता.

आर्थिक अभाव के कारण पूजा का सपना हो गया काफी मुश्किल
कई बार जिंदगी इस तरह के इम्तिहान लेती है जिसमें कभी-कभी उम्मीद को हार जाना पड़ता है. कुछ ऐसा ही हुआ है पूजा के साथ जिनके पास अब अपने खेल को आगे बढ़ाने के लिए आर्थिक अभाव के अलावा कुछ नहीं है. पिता बताते हैं कि घर में पूजा की मां के एक भयंकर हादसे के बाद आर्थिक तंगी काफी तेजी से बढ़ गई, जिसके बाद पूजा का राइफल शूटिंग के सपने को पूरा करना काफी मुश्किल हो गया है. परिवार अब इस हालत में भी नहीं है कि उसे सपने को आगे बढ़ाने के लिए सपोर्ट कर पाए.

नहीं है खुद की राइफल
पूजा बताती हैं कि राइफल क्लब में यूं तो प्रैक्टिस करने के लिए रोज ही जाती है. पर क्लब के पास भी एक ही राइफल होने के कारण प्रैक्टिस का पर्याप्त समय नहीं मिल पाता. इस महिला खिलाड़ी का कहना है कि घर में इतने पैसे नहीं है कि वह खुद की राइफल ले सकें. खुद की किट लेने के लिए भी उनको कई बार सोचना पड़ता है. अगर इस महिला खिलाड़ी को अपने खेल को अंतरराष्ट्रीय स्तर का बनाना है तो मात्र 20 से 25 मिनट की प्रैक्टिस काफी नहीं होती, लेकिन इसके अलावा उनके पास और कोई रास्ता भी नहीं है.

कई मेडल बटोर चुकी है पूजा
पूजा अभी तक कई मेडल बटोर चुकी है. अपने स्कूल के दिनों के दौरान एनसीसी से शूटिंग शुरू करने वाली पूजा को इस खेल से इतना प्यार है कि वह किसी भी हाल में इस खेल को नहीं छोड़ना चाहती. किसी भी परिस्थिति में वह देश के लिए खेलना चाहती हैं और आने वाले दिनों में ओलंपिक का स्वर्ण पदक लाकर देश का नाम विश्व में करना चाहती है. पूजा ने हाल ही में उत्तर प्रदेश स्टेट निशानेबाजी प्रतियोगिता में एक गोल्ड सहित कांस्य और रजत पदक अपने नाम किए हैं.

वाराणसी: कहते हैं कि सपने अगर दिल से देखे जाएं तो उन्हें पूरा करने के लिए दिन-रात एक करने में भी गुरेज नहीं होता, लेकिन कभी-कभी कुछ सपने सिर्फ परिस्थितियों के चलते पूरे होते-होते अधूरे रह जाते हैं. हालांकि अगर कोशिश की जाए तो आसमान तक भी पहुंचा जा सकता है. शिखर तक पहुंचने की ऐसी ही एक कहानी है काशी की एक बेटी की जो अपनी आंख में संजोए हुए है भारत को राइफल शूटिंग में ओलंपिक गोल्ड मेडल दिलाने का सपना.

कुछ परिस्थितियों के कारण फिलहाल पूजा चौरसिया का सपना धुंधला होता दिखाई दे रहा है. बनारस की बेटी आज भी चाहती है कि वह देश के लिए ओलंपिक का गोल्ड मेडल लाए. वह किसी भी हाल में परिस्थितियों से हार मानने को तैयार नहीं है.

आर्थिक अभाव के कारण पूजा का सपना हो गया काफी मुश्किल.

इसे भी पढ़ें- क्या अंतरराष्ट्रीय पावर लिफ्टर निधि पटेल कनाडा में होने वाले कॉमनवेल्थ में ले पाएंगी भाग?

काशी की शूटर बेटी
वाराणसी की गलियों में एक घर शहर की एक बेटी का भी है, जो हाथों में किताबों के साथ-साथ राइफल थामती है. जहां एक तरफ कई घरों में आज भी बड़े होते ही लड़कियों को चूल्हे चौके की बागडोर हाथ में दे दी जाती है. वहीं बनारस की रहने वाली पूजा चौरसिया के हाथ में उनके परिवार ने बंदूक थमा दी है. पूरा परिवार चाहता है की पूजा बहुत जल्द देशवासियों की जुबां पर अपना परिचय छोड़ जाएं. हालांकि, हर तरफ से पूजा को कई तरह की परेशानियों का भी सामना करना पड़ा है. पर बनारस कि जांबाज बेटी किसी भी परेशानी में झुकने को तैयार नहीं है.

आंखों में सज रहा है देश के लिए गोल्ड मेडल लाने का सपना
उसकी आंखों में सज रहा है देश के लिए गोल्ड मेडल लाने का सपना और ओलंपिक में भारत की एक बेहतरीन खिलाड़ी बनकर उभरने का एक ख्वाब. पूजा चौरसिया राइफल शूटिंग करती है और वाराणसी के लिए कई राज्य स्तरीय प्रतियोगिताओं में मेडल बटोर चुकी है. उत्तर प्रदेश की कई बेहतरीन शूटर में से एक पूजा चौरसिया ने हाल ही में राइफल शूटिंग में गोल्ड मेडल अपने नाम किया है. एयर पिस्टल और अन्य शूटिंग गेम में कांस्य और रजत पदक पर भी अपना नाम दर्ज कराया है.

मध्यमवर्गीय परिवार से आती है पूजा
पूजा एक मध्यमवर्गीय परिवार से आती है. उनके घर में माता-पिता के अलावा एक बड़ी बहन और बड़ा भाई है. पूजा के पिता पान बेचते हैं और अपने बच्चों को पढ़ाने-लिखाने के साथ-साथ इस महिला शूटर के शूटिंग के शौक को भी बढ़ावा दे रहे हैं. पिता जब-जब बिटिया को मेडल पहना हुआ देखते हैं तो उनकी आंखें भर आती हैं. घरवाले बताते हैं की पूजा के मेडल हाथ में लेकर इतना गौरवान्वित महसूस होता है कि जिसको बयां नहीं किया जा सकता.

आर्थिक अभाव के कारण पूजा का सपना हो गया काफी मुश्किल
कई बार जिंदगी इस तरह के इम्तिहान लेती है जिसमें कभी-कभी उम्मीद को हार जाना पड़ता है. कुछ ऐसा ही हुआ है पूजा के साथ जिनके पास अब अपने खेल को आगे बढ़ाने के लिए आर्थिक अभाव के अलावा कुछ नहीं है. पिता बताते हैं कि घर में पूजा की मां के एक भयंकर हादसे के बाद आर्थिक तंगी काफी तेजी से बढ़ गई, जिसके बाद पूजा का राइफल शूटिंग के सपने को पूरा करना काफी मुश्किल हो गया है. परिवार अब इस हालत में भी नहीं है कि उसे सपने को आगे बढ़ाने के लिए सपोर्ट कर पाए.

नहीं है खुद की राइफल
पूजा बताती हैं कि राइफल क्लब में यूं तो प्रैक्टिस करने के लिए रोज ही जाती है. पर क्लब के पास भी एक ही राइफल होने के कारण प्रैक्टिस का पर्याप्त समय नहीं मिल पाता. इस महिला खिलाड़ी का कहना है कि घर में इतने पैसे नहीं है कि वह खुद की राइफल ले सकें. खुद की किट लेने के लिए भी उनको कई बार सोचना पड़ता है. अगर इस महिला खिलाड़ी को अपने खेल को अंतरराष्ट्रीय स्तर का बनाना है तो मात्र 20 से 25 मिनट की प्रैक्टिस काफी नहीं होती, लेकिन इसके अलावा उनके पास और कोई रास्ता भी नहीं है.

कई मेडल बटोर चुकी है पूजा
पूजा अभी तक कई मेडल बटोर चुकी है. अपने स्कूल के दिनों के दौरान एनसीसी से शूटिंग शुरू करने वाली पूजा को इस खेल से इतना प्यार है कि वह किसी भी हाल में इस खेल को नहीं छोड़ना चाहती. किसी भी परिस्थिति में वह देश के लिए खेलना चाहती हैं और आने वाले दिनों में ओलंपिक का स्वर्ण पदक लाकर देश का नाम विश्व में करना चाहती है. पूजा ने हाल ही में उत्तर प्रदेश स्टेट निशानेबाजी प्रतियोगिता में एक गोल्ड सहित कांस्य और रजत पदक अपने नाम किए हैं.

Intro:वाराणसी। कहते हैं सपने अगर दिल से देखे जाएं तो उन्हें पूरा करने के लिए दिन रात एक करने में भी गुरेज नहीं होता पर कभी-कभी कुछ सपने सिर्फ परिस्थितियों के चलते पूरे होते होते अधूरे रह जाते हैं। हालांकि अगर कोशिश की जाए तो आसमान तक भी पहुंचा जा सकता है। शिखर तक पहुंचने की ऐसी ही एक कहानी है काशी की एक बेटी की जो अपनी आंख में संजोए हुए हैं भारत को ओलंपिक गोल्ड मेडल दिलाने का सपना, लेकिन कुछ परिस्थितियों के आगे विवश होने के कारण फिलहाल वह सपना धुंधला होता दिखाई दे रहा है। बनारस की बेटी आज भी चाहती है कि वह देश के लिए ओलंपिक का गोल्ड मेडल कमाए और किसी भी हाल में परिस्थितियों से हार मानने को तैयार नहीं है।


Body:VO1: वाराणसी की गलियों में एक घर शहर की एक बेटी का भी है जो हाथों में किताबों के साथ-साथ राइफल थामती है। जहां एक तरफ कई घरों में आज भी बड़े होते ही लड़कियों को चूल्हे चौके की बागडोर हाथ में दे दी जाती है वहीं बनारस की रहने वाली पूजा चौरसिया के हाथ में उनके परिवार ने बंदूक थमा दी है। पूरा परिवार चाहता है की पूजा बहुत जल्द देशवासियों के जुबां पर अपना परिचय छोड़ जाएं। हालांकि, हर तरफ से पूजा को कई तरह की परेशानियों का भी सामना करना पड़ा है पर बनारस किए जांबाज बेटी किसी भी परेशानी में झुकने को तैयार नहीं है। उसकी आंखों में सज रहा है देश के लिए गोल्ड मेडल लाने का सपना और ओलंपिक में भारत की एक बेहतरीन खिलाड़ी बनकर उभरने का एक ख्वाब। पूजा चौरसिया राइफल शूटिंग करती है और वाराणसी के लिए कई राज्य स्तरीय प्रतियोगिताओं में मेडल बटोर चुकी है। उत्तर प्रदेश की कई बेहतरीन शूटर में से एक पूजा चौरसिया ने हाल ही में राइफल शूटिंग में गोल्ड मेडल अपने नाम किया है और एयर पिस्टल और अन्य शूटिंग गेम में कांस्य और रजत पदक पर भी अपना नाम दर्ज कराया है। पूजा एक मध्यमवर्गीय परिवार से आती है। उनके घर में माता-पिता के अलावा एक बड़ी बहन और बड़ा भाई है। पूजा के पिता पान बेचते हैं और अपने बच्चों को पढ़ाने लिखाने के साथ साथ इस महिला शूटर के शूटिंग के शौक को भी बढ़ावा दे रहे हैं। पिता जब-जब बिटिया को मेडल पहना हुआ देखते हैं तो उनकी आंखें भर आती हैं। घरवाले बताते हैं की पूजा के मेडल हाथ में लेकर इतना गौरवान्वित महसूस होता है कि जिसको बयां नहीं किया जा सकता।

बाइट: नीलू चौरसिया, पूजा की माँ
बाइट: विजय शंकर चौरसिया, पूजा के पिता
बाइट: पूजा चौरसिया, महिला शूटर, वाराणसी


Conclusion:VO2: हालांकि कई बार जिंदगी इस तरह के इम्तिहान लेती है जिसमें कभी कभी उम्मीद को हार जाना पड़ता है। कुछ ऐसा ही हुआ है पूजा के साथ जिनके पास अब अपने खेल को आगे बढ़ाने के लिए आर्थिक अभाव के अलावा कुछ नहीं है। महिला राइफल शूटर के पिता बताते हैं कि घर में पूजा की मां के एक काफी भयंकर एक्सीडेंट के हादसे के बाद आर्थिक तंगी काफी तेजी से बढ़ गई, जिसके बाद पूजा का राइफल शूटिंग के सपने को पूरा करना काफी मुश्किल हो गया है। परिवार अब इस हालत में भी नहीं है कि उसे सपने को आगे बढ़ाने के लिए सपोर्ट कर पाए। पूजा बताती हैं कि राइफल क्लब में यूं तो प्रैक्टिस करने के लिए रोज ही जाती है पर क्लब के पास भी एक ही राइफल होने के कारण प्रैक्टिस का पर्याप्त समय नहीं मिल पाता। इस महिला खिलाड़ी का कहना है कि घर में इतने पैसे नहीं है कि वह खुद की राइफल ले सकें। खुद की किट लेने के लिए भी उनको कई बार सोचना पड़ता है। अगर इस महिला खिलाड़ी को अपने खेल को अंतरराष्ट्रीय स्तर का बनाना है तो मात्र 20 से 25 मिनट की प्रैक्टिस काफी नहीं होती लेकिन इसके अलावा उनके पास और कोई रास्ता भी नहीं है। हालांकि पूजा अभी तक कई मेडल बटोर चुकी है अपने स्कूल के दिनों के दौरान एनसीसी से शूटिंग शुरू करने वाली पूजा को इस खेल से इतना प्यार है कि वह किसी भी हाल में इस खेल को नहीं छोड़ना चाहती। किसी भी परिस्थिति में वह देश के लिए खेलना चाहती हैं और आने वाले दिनों में ओलंपिक का स्वर्ण पदक लाकर देश का नाम विश्व में करना चाहती है। पूजा ने हाल ही में उत्तर प्रदेश स्टेट निशानेबाजी प्रतियोगिता में एक गोल्ड सहित कांस्य और रजत पदक अपने नाम किए हैं।

Regards
Arnima Dwivedi
Varanasi
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