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कोर्ट के आदेश के 90 दिन बाद बर्खास्त CRPF जवान ने राष्ट्रपति से लगाई यह गुहार - REQUESTS FOR EUTHANASIA

ओडिशा के रहने वाले एक बर्खास्त सीआरपीएफ जवान ने हाईकोर्ट के आदेश का पालन नहीं होने का आरोप लगाया है.

Dismissed CRPF jawan requests President for euthanasia
बर्खास्त सीआरपीएफ का जवान (ETV Bharat Odisha Desk)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Feb 6, 2025, 2:15 PM IST

बलांगीर: ओडिशा के बलांगीर जिले के तलपली पाड़ा गांव के बर्खास्त सीआरपीएफ जवान सुधीर दास ने राष्ट्रपति को पत्र लिखकर इच्छामृत्यु की अनुमति मांगी है. सुधीर दास की नियुक्ति 2008 में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) में हुई थी. सेवा के दो साल बाद यानी 2010 में उसके खिलाफ धोखाधड़ी का आरोप लगा. उसे गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया. विभागीय कार्रवाई के तहत उसे नौकरी से निकाल दी गई.

लंबी कानूनी लड़ाई के बाद 2018 में बलांगीर की एक अदालत ने उसे बरी कर दिया. बाद में उसने सीआरपीएफ में फिर से नौकरी के लिए याचिका लेकर हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया. 20 नवंबर 2024 को उड़ीसा हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुनाया. हाईकोर्ट ने इस फैसले की समीक्षा की और संबंधित विभाग को उसे सेवा से बर्खास्तगी जैसी सख्त सजा न देने का निर्देश दिया. सुधीर ने आरोप लगाया है कि कोर्ट के आदेश के 90 दिन बाद भी सीआरपीएफ ने उस पर अमल नहीं किया है.

Dismissed CRPF jawan requests President for euthanasia
कोर्ट का आदेश (ETV Bharat Odisha Desk)

14 साल की कानूनी लड़ाई
14 साल की कानूनी लड़ाई के बाद कोर्ट ने उसे बरी कर दिया. सुधीर का आरोप है कि अब सीआरपीएफ कोर्ट के आदेश का पालन नहीं कर रही है. नतीजतन उन्होंने राष्ट्रपति को पत्र लिखकर इच्छामृत्यु की अनुमति मांगी है.

सुधीर ने कहा, 'उस समय मेरे खिलाफ झूठा मामला दर्ज किया गया था. मैं कार्रवाई का शिकार हुआ हूं. मैंने केस लड़ने के लिए घर की सारी संपत्ति खर्च कर दी है. अब कोई दूसरा रास्ता नहीं है. सुधीर की पत्नी नमिता त्रिपाठी ने कहा, 'मेरे पति की नौकरी फर्जी मुकदमे में चली गई. न्याय के लिए हमने घर का सारा पैसा, जेवर और अन्य सामान बेच दिया.

सुधीर ने कहा कि कोर्ट ने दोबारा नौकरी पर रखने का आदेश दिया लेकिन उनकी नियुक्ति नहीं की जा रही है. उन्होंने कहा,'ऐसे में हम आगे लड़ाई नहीं लड़ सकते. इसलिए हमने राष्ट्रपति से स्वैच्छिक इच्छामृत्यु की याचिका लगाई है.'

मामले की जांच उस समय सीआरपीएफ के वरिष्ठ अधिकारी ने की थी. उनकी रिपोर्ट के अनुसार सुधीर दास को धोखाधड़ी के मामले में 8-10-2010 को गिरफ्तार किया गया था. इसी तरह वह 16-12-2010 तक बलांगीर जिला जेल में था. इसकी जानकारी जेल अथॉरिटी ने सीआरपीएफ को दी. वहीं सुधीर दास 25-10-2010 तक सीआरपीएफ में कार्यरत था. सीआरपीएफ अधिनियम के तहत यह दंडनीय अपराध की श्रेणी में आता है.

ये भी पढ़ें- पुलिस भर्ती: SI और अन्य पदों पर निकली वैकेंसी, 20 जनवरी से करें आवेदन

बलांगीर: ओडिशा के बलांगीर जिले के तलपली पाड़ा गांव के बर्खास्त सीआरपीएफ जवान सुधीर दास ने राष्ट्रपति को पत्र लिखकर इच्छामृत्यु की अनुमति मांगी है. सुधीर दास की नियुक्ति 2008 में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) में हुई थी. सेवा के दो साल बाद यानी 2010 में उसके खिलाफ धोखाधड़ी का आरोप लगा. उसे गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया. विभागीय कार्रवाई के तहत उसे नौकरी से निकाल दी गई.

लंबी कानूनी लड़ाई के बाद 2018 में बलांगीर की एक अदालत ने उसे बरी कर दिया. बाद में उसने सीआरपीएफ में फिर से नौकरी के लिए याचिका लेकर हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया. 20 नवंबर 2024 को उड़ीसा हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुनाया. हाईकोर्ट ने इस फैसले की समीक्षा की और संबंधित विभाग को उसे सेवा से बर्खास्तगी जैसी सख्त सजा न देने का निर्देश दिया. सुधीर ने आरोप लगाया है कि कोर्ट के आदेश के 90 दिन बाद भी सीआरपीएफ ने उस पर अमल नहीं किया है.

Dismissed CRPF jawan requests President for euthanasia
कोर्ट का आदेश (ETV Bharat Odisha Desk)

14 साल की कानूनी लड़ाई
14 साल की कानूनी लड़ाई के बाद कोर्ट ने उसे बरी कर दिया. सुधीर का आरोप है कि अब सीआरपीएफ कोर्ट के आदेश का पालन नहीं कर रही है. नतीजतन उन्होंने राष्ट्रपति को पत्र लिखकर इच्छामृत्यु की अनुमति मांगी है.

सुधीर ने कहा, 'उस समय मेरे खिलाफ झूठा मामला दर्ज किया गया था. मैं कार्रवाई का शिकार हुआ हूं. मैंने केस लड़ने के लिए घर की सारी संपत्ति खर्च कर दी है. अब कोई दूसरा रास्ता नहीं है. सुधीर की पत्नी नमिता त्रिपाठी ने कहा, 'मेरे पति की नौकरी फर्जी मुकदमे में चली गई. न्याय के लिए हमने घर का सारा पैसा, जेवर और अन्य सामान बेच दिया.

सुधीर ने कहा कि कोर्ट ने दोबारा नौकरी पर रखने का आदेश दिया लेकिन उनकी नियुक्ति नहीं की जा रही है. उन्होंने कहा,'ऐसे में हम आगे लड़ाई नहीं लड़ सकते. इसलिए हमने राष्ट्रपति से स्वैच्छिक इच्छामृत्यु की याचिका लगाई है.'

मामले की जांच उस समय सीआरपीएफ के वरिष्ठ अधिकारी ने की थी. उनकी रिपोर्ट के अनुसार सुधीर दास को धोखाधड़ी के मामले में 8-10-2010 को गिरफ्तार किया गया था. इसी तरह वह 16-12-2010 तक बलांगीर जिला जेल में था. इसकी जानकारी जेल अथॉरिटी ने सीआरपीएफ को दी. वहीं सुधीर दास 25-10-2010 तक सीआरपीएफ में कार्यरत था. सीआरपीएफ अधिनियम के तहत यह दंडनीय अपराध की श्रेणी में आता है.

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